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23 जनवरी 2021

ग़रज़ तुम लोग खु़द और तुम्हारे माबूद

 ग़रज़ तुम लोग खु़द और तुम्हारे माबूद (161)
उसके खि़लाफ (किसी को) बहका नहीं सकते (162)
मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है (163)
और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है (164)
और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं (165)
और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं (166)
अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे (167)
कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खु़दा में) होता (168)
तो हम भी खु़दा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते (169)
(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा (170)
और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है (171)
कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी (172)
और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा (173)
तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो (174)
और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे (175)
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं (176)
फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडे़गा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी (177)
और उन लोगों से एक ख़ास वक़्त तक मुँह फेरे रहो (178)
और देखते रहो ये लोग तो खु़द अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें (179)
ये लोग जो बातें (खु़दा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज़्ज़त का मालिक पाक साफ है (180)
और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो (181)
और कुल तारीफ खु़दा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है (182)

सुरए अस साफ़्फ़ात ख़त्म

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