मुलाकात हो न हो
ये रूत सुहानी ये हालात हो न हो
क्या पता फिर मुलाकात हो न हो
कल किसने देखा है भला
मुमकिन है तुमसे बात हो न हो
मिल भी जायें गर किसी मोड़ पर
ये शोखियाँ ये जज्वात हो न हो
सपने सतरंगे बुन तो लेने दो
कल यादों की बारात हो न हो
उलझे तेरे गेसू ये सुर्ख होंठ लाल
ये हठखेलियाँ, वारदात हो न हो
इस पल को जी भर जीने तो दो
ये मधुमास भरी बरसात हो न हो
अभी छोड़कर न जाओ सनम
फिर अंतरंगी गलवात हो न हो
जी भर निहार लो चाँद
कल हसीन कायनात हो न हो
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