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30 अक्टूबर 2018

गुनाहगारों के दिलों में राह दी

और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है (191)
और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़़ुरआन) सारी ख़़ुदायी के पालने वाले (ख़़ुदा) का उतारा हुआ है (192)
जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाजि़ल हुए है (193)
ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह (194)
लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ (195)
और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है (196)
क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं (197)
और अगर हम इस क़़ुरआन को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाजि़ल करते (198)
और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर इमान लाने वाले न थे (199)
इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी (200)

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