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22 अक्टूबर 2017

आदरणीय तो में आपको कह नहीं सकता ,,अन्ना हज़ारे साहिब

आदरणीय तो में आपको कह नहीं सकता ,,अन्ना हज़ारे साहिब ,,,आप ने लोकपाल के घोड़े पर सवार होकर कांग्रेस से लोकपाल बनवाया ,,फिर उसी लोकपाल के घोड़े पर भाजपा की सवारी कर साहिब को प्रधानमंत्री और जनता द्वारा चुनाव में नकारे गए लोगो को चोर दरवाज़े राज्यसभा के ज़रिये उन्हें लोकतंत्र में जनता के बीच चुनाव जीत कर आये लोकतंत्र के विजेताओं पर भारी बनवाया ,,खेर साहिब आपके थे ,,आपने साहिब से कहकर आपकी टीम के सहयोगी में से किसी को गवर्नर ,,किसी को केंद्रीय मंत्री ,,किसी को विधायक ,,किसी को सांसद बनवाया ,,लेकिन लोकपाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वही अटका है ,प्रतिपक्ष का नेता नहीं बनने ,दिया ,प्रतिपक्ष का नेता नहीं होने पर भी बढ़ी पार्टी के नेता को प्रतिपक्ष का नेता मानकर लोकपाल बनाना ज़रूरी प्रावधान कांग्रेस ने रखा था ,,लेकिन शेम ,,शेम ,,शेम आप साहिब के आगे दुम हिलाते रहे और साहिब ने तीन साल से भी ज़्यादा वक़्त बिना लोकपाल के निकाल दिया ,,खेर कोई बात नहीं ,,लेकिन म्हारो राजस्थान की सरकार अफसरों की ऐसी गुलाम होगी ,,अफसरों के दबाव में अभिव्यक्ति का ऐसा गला घोटेंगी ,,,,सपनो में भी नहीं सोचा था हमेशा अधिकारियो के इशारे पर चलने वाले गृहमंत्री ,,के ज़रिये ,,राजस्थान की महारानी का हुक्म ,,अब पत्रकारों ,,भ्रस्टाचार के खिलाफ मुहिंम चलाने वालों के ,लिए ,,खामोश ,,खामोश का हुक्म है ,,हुक्म हुआ है ,,के अफसरों के खिलाफ बोले ,,अफसरों के खिलाफ लिखा तो उन्हें जेल भेजा जाएगा ,,इतना ही नहीं भ्रस्ट अफसर के खिलाफ पुख्ता सुबूत के बाद भी ,उसके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति प्रक्रिया को केंद्रीकृत कर ,,सरकार ने अपने क़ब्ज़े में लिया है ताकि अधिकारी खिलौना बनाकर नेताओं के हाथ में खेले और जनता के खिलाफ वही अंग्रेज़ों वाला शासन लागू हो जाए ,,अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित दण्ड प्रक्रिया संहिता की धरा 197 तो हटाई नहीं उलटे 228 बी आई पी सी बनाकर ,,ऐसे पत्रकार ,,ऐसे भ्रस्टाचार विरोधी जो बेईमान भ्रस्ट अफसरों के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे उन्हें अब जेल भेजने का हुकम होगा उन्हें दो साल की सज़ा होगी ,,पत्रकार तो इस मामले में दबे छुपे बोल रहे है ,सूना है ,,,महारानी साहिबा ने इस हुक्म नामे के पहले कुछ जेबी पत्रकारों ,,कुछ जेबी टी वी रिपोर्टरों ,,कुछ प्रेस क्लब ,,पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों को भी उनके खिलाफ जांच की तलवार बनाकर खामोश रहने के लिए कहा है शायद इसीलिए अब तक किसी भी पत्रकार संगठन ने इस दमनकारी कार्यवाही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बनने वाले क़ानून को लेकर कोई ,आवाज़ ,,कोई धरना प्रदर्शन ,,,नहीं शुरू किये है ,,,,,,,,वह म्हारो राजस्थान ,वहां म्हारो वीरों की धरती का राजस्थान जहाँ अभिव्यक्ति का गला घोंटने का एक नया तरीक़ा निकाला गया है ,,,,अफ़्सोस ,,अफ़सोस ,,अफ़सोस ,,,,इधर सुप्रीम कोर्ट पहले है ,,किसी भी अधिकारी के कतर्व्यो के निर्वहन को परिभाषित कर भ्रस्ट और कर्तव्यों का दुरूपयोग करने वाले अधिकारियो के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के मामले में कई खुलासा आदेश दे चुका है ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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