आपका-अख्तर खान

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09 अक्टूबर 2017

केसा भ्रामक सोचते है हम ,

कितने भ्रम में जीते ,है ,केसा भ्रामक सोचते है हम ,,,क्या भ्रामक शिक्षा है हमारी ,,हम कहते है ,चाँद निकल रहा है ,,सूरज निकल रहा रहे ,,हम कहते है सूरज डूब रहा है ,चाँद गुरुब हो रहा है ,,लेकिन दोस्तों आप और हम सभी तो जानते है ,,चाँद कभी निकलता नहीं ,,सूरज कभी निकलता नहीं ,,,चाँद कभी गुरुब नहीं होता ,,सूरज कभी गुरुब नहीं होता ,,,वोह तो हम है के हमारी घूमती हुई ज़मीन को हम नहीं देखते ,,बस जब ज़मीन सूरज ,,चाँद के पास से निकलती है तो हम सोचते है ,सूरज ,,चाँद उग रहा ,है ,जब हमारी ज़मीन सूरज और चाँद से दूर जाती है हम सोचते है सूरज ,,चाँद डूब रहा है ,,लेकिन हम जो सोचते है उसमे खुश रहते है ,,,अख्तर

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