कितने भ्रम में जीते ,है ,केसा भ्रामक सोचते है हम ,,,क्या भ्रामक शिक्षा
है हमारी ,,हम कहते है ,चाँद निकल रहा है ,,सूरज निकल रहा रहे ,,हम कहते है
सूरज डूब रहा है ,चाँद गुरुब हो रहा है ,,लेकिन दोस्तों आप और हम सभी तो
जानते है ,,चाँद कभी निकलता नहीं ,,सूरज कभी निकलता नहीं ,,,चाँद कभी गुरुब
नहीं होता ,,सूरज कभी गुरुब नहीं होता ,,,वोह तो हम है के हमारी घूमती हुई
ज़मीन को हम नहीं देखते ,,बस जब ज़मीन सूरज ,,चाँद के पास से निकलती है तो
हम सोचते है ,सूरज ,,चाँद उग रहा ,है ,जब हमारी ज़मीन सूरज और चाँद से दूर
जाती है हम सोचते है सूरज ,,चाँद डूब रहा है ,,लेकिन हम जो सोचते है उसमे
खुश रहते है ,,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)