और उन लोगों ने खु़दा को छोड़कर दूसरे-दूसरे माबूद बना रखे हैं ताकि वह उनकी इज़्ज़त के बाएस हों हरगि़ज़ नहीं (81)
(बल्कि) वह माबूद खु़द उनकी इबादत से इन्कार करेंगे और (उल्टे) उनके दुशमन हो जाएँगे (82)
(ऐ रसूल) क्या तुमने इसी बात को नहीं देखा कि हमने शैतान को काफि़रों पर छोड़ रखा है कि वह उन्हें बहकाते रहते हैं (83)
तो (ऐ रसूल) तुम उन काफिरों पर (नुज़ूले अज़ाब की) जल्दी न करो हम तो बस उनके लिए (अज़ाब) का दिन गिन रहे हैं (84)
कि जिस दिन परहेज़गारों केा (खु़दाए) रहमान के (अपने) सामने मेहमानों की तरह तरह जमा करेंगे (85)
और गुनेहगारों को जहन्नुम की तरफ प्यासे (जानवरो की तरह हकाँएगे (86)
(उस दिन) ये लोग सिफारिश पर भी क़ादिर न होंगे मगर (वहाँ) जिस शख़्स ने ख़ु़दा से (सिफारिश का) एक़रा ले लिया हो (87)
और (यहूदी) लोग कहते हैं कि खु़दा ने (अज़ीज़ को) बेटा बना लिया है (88)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुमने इतनी बड़ी सख़्त बात अपनी तरफ से गढ़ के की है (89)
कि क़रीब है कि आसमान उससे फट पड़े और ज़मीन शिगाफता हो जाए और पहाड़ टुकड़े-टुकडे़ होकर गिर पड़े (90)
(ऐ रसूल) क्या तुमने इसी बात को नहीं देखा कि हमने शैतान को काफि़रों पर छोड़ रखा है कि वह उन्हें बहकाते रहते हैं (83)
तो (ऐ रसूल) तुम उन काफिरों पर (नुज़ूले अज़ाब की) जल्दी न करो हम तो बस उनके लिए (अज़ाब) का दिन गिन रहे हैं (84)
कि जिस दिन परहेज़गारों केा (खु़दाए) रहमान के (अपने) सामने मेहमानों की तरह तरह जमा करेंगे (85)
और गुनेहगारों को जहन्नुम की तरफ प्यासे (जानवरो की तरह हकाँएगे (86)
(उस दिन) ये लोग सिफारिश पर भी क़ादिर न होंगे मगर (वहाँ) जिस शख़्स ने ख़ु़दा से (सिफारिश का) एक़रा ले लिया हो (87)
और (यहूदी) लोग कहते हैं कि खु़दा ने (अज़ीज़ को) बेटा बना लिया है (88)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुमने इतनी बड़ी सख़्त बात अपनी तरफ से गढ़ के की है (89)
कि क़रीब है कि आसमान उससे फट पड़े और ज़मीन शिगाफता हो जाए और पहाड़ टुकड़े-टुकडे़ होकर गिर पड़े (90)
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