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18 अक्तूबर 2016

देश में किसी धर्म मज़हब की मज़हबी मान्यताओ ,,रिवायतों के मुताबिक़ पूर्व में बनाये गए क़ानूनों में संशोधन कर ,,एक तरह का क़ानून बनाने का ख़्वाब एक मज़ाक़ सा लगता है

देश में किसी धर्म मज़हब की मज़हबी मान्यताओ ,,रिवायतों के मुताबिक़ पूर्व में बनाये गए क़ानूनों में संशोधन कर ,,एक तरह का क़ानून बनाने का ख़्वाब एक मज़ाक़ सा लगता है ,,देश में अराजकता का माहौल बनाना ,,पूर्व न्यायधिशो और ,,विधि आयोग का गैरक़ानूनी इस्तेमाल करना ,,एक तमाशा ही है ,,देश में न जाने कितने मज़हब ,,न जाने कितनी जातियां ,,कितने समाज ,,कितनी ज़ुबाने ,,कितनी सन्सक्रतियां ,,कितने रिवाज चल रहे है ,,आरक्षण है ,,श्यूडयुल समाज और जातियो के लिए कॉमन सिविल कोड है ,,शादी ब्याह ,,मरना ,,जीना ,,सामजिक रीतिरिवाज ,,सभी लोगो को अपने तरीके से जीने का हक़ है ,,देश का संविधान इस मामले में साफ़ है ,,अब इस संविधान की भावना के विपरीत ,,अपनी निजी विचारधारा सौंपने की साज़िश सरकार का दिवालियापन नहीं तो और क्या है ,,,आरक्षित जातियां ,अपने रिवाज अलग रखती है ,,वोह हिन्दू है ,,लेकिन हिन्दू विधि से गवर्न नहीं होती ,,अदालतों में उनके रीतिरिवाजो ,,शादीब्याह के मामले में हिन्दू विधि के मामले नहीं बनते बल्कि सिविल विधि से उन्हें न्याय मिलता है ,,सिक्ख समाज ,,जेन समाज ,,,क्रिश्चियन ,,बोद्ध ,,मुस्लिम ,, दक्षिणी भारतीय लोग है जिनके सब के अपने रीतिरिवाज नियम है ,,जो संवैधानिक दायरे में लागू है ,,,,देश को कोई आपत्ति नहीं बस एक ज़िद ,,एक सनक ,,,एक चुनावी मुद्दा ,, देश को अराजकता के माहौल में धकेल रहा है ,,क्या कॉमन सिविल कोड में ,,नोकरियो में सभी को योग्यता के समान अधिकार देने का क़ानून बनाने का साहस इस संघ की मान्यता दिशा निर्देशो के विपरीत संचालित नरेन्द्र मोदी सरकार में है ,,क्या गरीबी की रेखा के नीचे रहे रहे ,,सभी समाजो को एक रूप क़ानून बनाकर ,,छात्रव्रत्तियां ,,शिक्षा की मदद ,,यूनिफॉर्म ,,किताबें ,,ट्यूशन फीस देने का क़ानून बनाने की हिम्मत ,,इस जुमलो की सरकार में है ,,सिक्ख भाइयो को आर्म्स एक्ट के प्रावधान में तलवार लेकर चलने की छूट ,,,धार्मिक रिवाजो के मुताबिक़ संथारा प्रथा ,,,सार्वजनिक रूप से निर्वस्त्र रहकर मज़हबी ऐतेबार से चतुर्मास के लिए निकलना ,,बकराईद पर क़ुरबानी करना ,,,साधू सन्तो की समाधि करने के मामले में क्या सरकार पाबन्दी लगाकर नए एक रूप क़ानून बना सकेगी ,,अरे जो ताक़त सरकार इन फ़ालतू के मुद्दों में झोंक रही है ,,उससे आधी ताक़त भी अगर सरकार ने ,,काला धन वापस लाने ,,देश में चुनाव से अपराधियो को दूर करने ,,,संसद ,,विधानसभा ,,राज्यसभा को बिना किसी बाधा के संचालित करने ,,,मंत्रियो कथित वी आई पी पर बेवजह सुरक्षा के नाम पर हज़ारो हज़ार करोड़ रूपये खर्च कम करने ,,किसानों को अधिकतम उपज लेकर बिचोलियो से बचाकर उन्हें उनकी फसल की अच्छी क़ीमत दिलाकर उन्हें आत्म हत्या से बचाने ,,मुनाफाखोरों की मुनाफाखोरी रोककर ,,जमाखोरी के खिलाफ सहित कई उपयोगी क़ानून बनाने में लगाते तो शायद देश को फायदा होता ,,लेकिन अपने निजी स्वार्थो ,,अपरिपक्व अनुभवो के कारण इस तरह की बचकानी हरकतों से यह लोग देश को पीछे धकेल रहे है ,,जो देश की जनता फिर वोह इनके समर्थक बन्धु ही क्यों न हो क़तई मंज़ूर नहीं करेंगे ,,वोह बात और है जो इनके इशारो पर ऐश इशरत की ज़िन्दगी जी रहे है वोह भक्त जन ज़रूर बिना देश के संविधान ,,देश की बहुमुखी सन्स्क्रति के बारे में सोचे बगेर अनर्गल टिप्पणियां ज़रूर करेंगे जिसमे मेरे दो भाई तो मेरी हर लेखनी पर उलटी टिप्पणी करने के आवश्यक पक्षकार है ,,में उनका भी स्वागत करूँगा ,एक अच्छे मन से ,,एक भाई के मन से उनका भी स्वागत है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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