दोस्तों हाड़ोती की धरती पर  ,,निर्भीक पत्रकारिता के जनक ,,संघर्षशील 
,,जुझारू ,,मुखर वक्ता ,,क़लम के धनी ,,,लेखन क्षेत्र के भीष्म पितामाह 
,,अंगद की तरह पाँव जमाकर अव्यवस्थाओं का निदान करने वाले आदरणीय मदन मदीर 
को मेरा सलाम ,,मदन मदीर ,,हाड़ोती में बूंदी जिले के पत्रकारों में से 
प्रमुख रहे है ,,लेकिन आज़ादी के बाद समाजवादी विचारधारा के चलते ,,आम लोगो 
को इंसाफ दिलाने के लिए इनकी बेबाक क़लम पहले साप्ताहिक अंगद के रूप में 
प्रकाशित हुई ,,फिर अब यह सांध्य दैनिक के बाद दैनिक अंगद के रूप में 
,,लोगो के इंसाफ के लिए ,,समाजवाद की स्थापना करने के लिए कॉमरेड स्टाइल 
में संघर्ष कर रहे है ,,मूल रूप से बूंदी जिले से जुड़े मदन मदीर 
,,,लोकतंत्र सेनानियों की आज़ादी यानि    ,,आपातकाल के खिलाफ संघर्ष के 
प्रमुख सिपाही रहे है ,,,मदन मदीर ने ,,आम लोगों के लिए जब भी क़लम चलाई 
,,लोगों में वैचारिक उबाल आया है  ,,लोगो को इन्साफ मिला है ,,प्रशानिक और 
यहां तक के केंद्र और प्रदेश स्तर पर उथल पुथल भी हुई है ,,,जयपाल रेड्डी 
,,राजनारायण ,,,जॉर्ज फर्नाडीस ,,जयप्रकाश नारायण के साथी रहे ,,मदन मदीर 
स्वभाव से निर्भीक है ,,लेकिन अलफ़ाज़ इनके गुलाम है ,,यह हर अलफ़ाज़ को अपने 
नियंत्रण में रखकर ज़ुल्म ,,ज़्यादती के खिलाफ इंसाफ के पक्ष में इस्तेमाल 
करने का हुनर बखूबी निभाते है ,,हज़ारो हज़ार संघर्षो के गवाह रहे ,,मदन मदीर
 ने कई मंत्रियों को उनके भ्रष्टाचार के मामले में धुल चटाई है ,,कई 
कलेक्ट्र कई  अफसर बदलवाए है ,,कई अधिकारियो को निलम्बित करवाया है 
,,,इन्हे   तोड़ने ,,इन्हे खरीदने ,,इन्हे डराने की कई बार कोशिशें हुई 
,,लेकिन मदन मदीर  अंगद के पाँव की तरह अपने इरादों पर अटल रहे ,,यह झुके 
भी नहीं टूटे भी नहीं ,,लेकिन आम लोगों के हक़ के संघर्ष की आवाज़ जिस 
निर्भीकता से उठाई उसे सभी जानते है ,,पत्रकारिता में नयी नई विधा ,,नए 
प्रयोग करने वाले मदन मदीर ,,का स्वभाव लिखने का रहा है ,,यह मुखर वक्ता है
 ,,मुखर लेखक है ,,हाड़ोती भाषा को नियंत्रित में रखकर ,,हाड़ोती ,,राजस्थानी
 और हिंदी कवि है ,,अपने अल्फाज़ो को तराशना इन्हे आता है ,,अपने विचारों को
 ,,समाज के नंगे सच को ,,घटनाओं की हक़ीक़त को ,,इन्हे अल्फ़ाज़ों में पिरो कर 
,,लोगो के दिल ,,लोगो के ज़हन में गुलमजामुंन की तरह उतारना आता है ,,बस 
इसीलिए इनके लेखन का दूसरा नाम वैचारिक क्रान्ति कहलाती है ,,खुद अख़बार 
देखना ,,खुद खबर लिखना ,,खुद सम्पादकीय लिखना ,,मुद्दों पर त्वरित टिपण्णी 
,,साथ में शीर्षक में कुछ साहित्यिक काव्य अंदाज़ ,,,गगार में सागर  भरने 
वाला लेखन ,,,टूटो हुआ को जोड़ने वाला लेखन ,,बिखरे हुए लोगो को समेटने वाला
 लेखन ,,,ज़ुल्म अत्याचार से परेशान लोगों को इंसाफ दिलाने वाला इनका लेखन 
,,,आज भी लोगो के दिलो में अपनी छोड़ता है ,,मदन मदीर पत्रकार भी है ,,लेखक 
भी है ,,कवि भी है ,,साहित्य्कार भी है ,,समाजवादी भी है ,,कम्युनिस्ट भी 
है ,,यह सब है  ,, लेकिन वह दिखते भी है ,,एक झोला ,,कुरता पायजामा ,,चेहरे
 पर मुस्कान ,,जुबां पर सरस्वती ,,चुटकुलेबाजी में ,,हंसी मज़ाक़ में अपनी 
कड़वी से कड़वी बात चाशनी में लपेट कर कहने की अदा ,,सभी को लुभाती है 
,,इन्होने पत्रकारिता की कई पीढ़ी  देखी है ,,हाथ से लिखने वाला अखबार 
,,ट्रेडिल पर छपने वाला अख़बार ,,,रोटरी पर छपने वाला अख़बार ,,फिर कम्प्यूटर
 युग में ,,नई आधुनिक पद्धति से छपने वाला अख़बार ,,एक युग वह जो नो बजे 
अख़बार की खबरें आखरी होती थी ,,,फोटो के लिए ब्लॉक बनाने के लिए घंटो 
इन्तिज़ार करना पढ़ता था ,,,दूरदराज़  इलाकों में वितरण के लिए संघर्ष था 
,,लोगो के साथ एडिशन के नाम पर  क्षेत्रीय खबरों की चोरी करने की प्रथा 
नहीं थी ,,बस एक अख़बार ,,फिर डाक एडिशन शुरू हुआ ,,लेकिन अब ,,आदरणीय मदन 
मदीर ,.,ब्लॉगिंग विधा ,,,व्हाट्सएप्प ,,सोशल मिडिया पत्रकारिता में भी कूद
 पढ़े है ,,इनके अनुभव ,,पत्रकारिता महाविद्यालय ,,विश्व विद्यालय 
,,पत्रकारिता पर रिसर्च करने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है 
,,इनके अनुभवों से आज की  पीढ़ी के पत्रकारों को नयी सीख मिल सकती है 
,,लेकीन मदन मदीर के   कार्यकाल में ,,गुलामी की ज़ंजीरो में जकड़ी हुई 
,,सर्कस छाप ,,मालिकों की नौकरी नहीं होती थी ,,क़लम आज़ाद थी ,,आलम आग उगलती
 थी ,,क़लम बिकती नहीं थी ,,,क़लम डरती नहीं थी ,,,आज की तरह क़लम बेबस 
,,लाचार नहीं थी ,डी पी आर ,,कलेक्ट्र ,,पुलिस ,,मंत्री सभी अखबारों की एक 
दहाड़ पर ,,चड्डी  गीली कर देते थे ,,इनके कार्यकाल में कलेक्ट्र पत्रकारों 
का इन्तिज़ार करता था ,,मंत्री पत्रकारों का इन्तिज़ार करता था ,,आज उल्टा है
 अख़बार वाले मंत्रियों और कलेक्ट्र का  पर्ची देकर इन्तिज़ार करते है ,,इनके
 कार्यकाल में  पत्रकारिता का आत्मसम्मान था ,,एक मालिक पत्रकार की क़लम 
मनमाने तोर पर ज़मीर बेचकर इस्तेमाल करवाने के लिए दबाव नहीं बनाता था 
,,,मदन मदुिर कहते है के भाई आज के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित लोडेड 
पत्रकार कितने ही बढे हो जाए ,,लेकिन वह पत्रकार नहीं ,,आज़ाद नहीं पत्रकार 
तो वही झोला छाप शख्सियत हुआ करती थी ,,जिसके  कुर्ते में लगी क़लम से 
प्रधानमंत्री ,,मुख्य्मंत्री ,,अधिकारी ,माफिया सभी थर थर कांपा करते थे 
,,आज यह आधुनिक सुसज्जित लोग जिन्हे सो कोल्ड पत्रकार कहा जाता है ,,यह इन 
लोगों से कांपते है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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