दुखद परंतु सच,
पत्रकारिता कितना जोखिम भरा काम है। पत्रकार खुद सबसे बड़ी खबर है, लेकिन
दुनिया उसके दर्द से बेखबर है, वो किसी अख़बार की सुर्खी नहीं बनता, वो
दूसरों को सुर्ख़ियों में लाता है, खुद भूखा रहता है, भूखे के लिए खबर लिखता
है, खुद दुखों में रहता है, हर दुखी को खबर में जगह देता है, खुद प्यासा
है, हर प्यासे का सहारा है, हर घटना पे सबसे पहले जाता है, हर दंगे में खुद
को घुटता पाता है, खुद कोई बयां दे नहीं पाता, दूसरों के बयानों
को दिखाता है, खुद सवाल उठाता है, कइयों को कटघरे में लाता है, और खुद को
एक वक़्त पर, स्वयं कटघरे में खड़ा पाता है, कोई बैंक कोई सरकार उसे लोन नहीं
देती, तमाम उम्र एक मोटर साइकिल के सहारे बिताता है, बीवी बच्चों माँ बाप
को कहीं घुमा नहीं पाता है, मॉल के महंगे कपडे और रेस्टोरेंट में जाने से
कतराता है, किसी ब्रांडेड शर्ट और जीन्स के दामों के बराबर, पूरे महीने की
तनख्वाह पाता है, पूरा दिन खबर की तलाश में बिताता है, शाम को जब होता है
परिवार संग बिताने का समय, तो वो मुस्तैदी से दफ्तर पहुँच जाता है, दिन भर
तलाश की गयी खबर को, और धारदार बनाता है। पत्रकारो को लिखने/खबरे दिखाने
की आजादी हमेशा बनी रहे यही शुभकामना है
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 मई 2016
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
घायल की गति घायल जाने
जवाब देंहटाएं