"ख्वाब भी तेरे, खंजर तेरा, मंजर तू ही जाने,
तश्वीर मेरी, तक़दीर मेरी, तहरीर मेरी है,
मुद्दई भी तू, मुलजिम भी तू, मुंसिफ भी तू, बस मरा मैं ही हूँ
अब तू क़ातिल को नामजद कर दे ."
----- राजीव चतुर्वेदी
तश्वीर मेरी, तक़दीर मेरी, तहरीर मेरी है,
मुद्दई भी तू, मुलजिम भी तू, मुंसिफ भी तू, बस मरा मैं ही हूँ
अब तू क़ातिल को नामजद कर दे ."
----- राजीव चतुर्वेदी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)