दोस्तों राजस्थान के दलित ,,पीड़ित ,,शोषित ,,घुमन्तु ,,पिछड़े
,,अल्सपसंख्य्क समाज के लोगों को एक जुट कर एक झंडे के नीचे लाकर उन्हें
उनका सियासी और सामजिक हक़ दिलाने का सपना देखने वाले युवा उत्साहित
नेतृत्व गोपाल केशावत ,,शीघ्र ही बंजारा समाज के कैलाश बंजारा सहित कई दलित
और अल्पसंख्यक नेताओं के साथ मिलकर एक महासम्मेलन करने के प्रयासों में
जुट गए है ,,,गोपाल केशावत जिसने अपने समाज की दरिद्रता देखी है ,,अपने
सहयोगी समाजों का संघर्ष उनके साथ ना इंसाफी देखी है ,,उस युवा ने अपने
छात्र जीवन से ही सभी पिछड़े समाजो को एक जुट कर उनकी उपेक्षा के खिलाफ
सियासी और सामाजिक तोर पर संघर्ष के बिगुल के बाद उन्हें इंसाफ दिलवाने का
सपना देखा था जिसे साकार करने के प्रयासों में एक नई क्रान्ति की सोच के
साथ वोह बंजारा समाज के नेतृत्व कैलाश बंजारा और दूसरे साथियों के साथ
मिलकर जुट गए है ,,, तीन जुलाई उन्नीस सो अस्सी को राधिका पैलेस गाँव
जहाज़पुर में श्री हरचंदा निवासी राधिका बाढा के परिवार में जन्मे गोपाल
केशावत ने छात्र जीवन से ही संघर्ष क्या कई महत्वपूर्ण पदो पर रहे ,,,एम ऐ
एल एल बी की परीक्षा उत्तीर्ण कर वकालत के व्यवसाय से जुड़कर लोगों को इंसाफ
की राह दिखाई और खुद जीवन यापन के लिए रियल स्टेट और होटल व्यवसाय से भी
जुड़ गए ,,इन्होने स्नातक विधानसभा क्षेत्र शाहपुरा बनेड़ा से किया ,,गोपाल
केशावत ने राजथान के सभी बिखरे पढ़े घुमन्तु समाज को एक जुट किया ,,उनकी
दरिद्रता ,,समस्याएं जानी ,,,उन्हें एक जुट किया ,,उनकी समस्याओं के समाधान
का प्रयास किया और राजस्थान स्तर पर डी ऍन टी प्रकोष्ठ बनाया जिसे सामान्य
रूप से ,,,विमुक्त घुमंतु अर्द्धघुमंतु जाति प्रकोष्ठ ,,,के नाम से जाना
जाता है ,,गोपाल केशावत इस संघर्ष में अव्वल रहने से इस समाज का नेतृत्व
बने और प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्यरत रह कर पुरे देश में राष्ट्रीय स्तर
पर समाज को उनका हक़ दिलाने के लिए कैलाश बंजारा और साथियों के साथ मिलकर
संघर्ष किया ,,किसान और मज़दूर के बेटे रहे इसलिए इस दर्द को भी उन्होंने
जाना ,,कांग्रेस में भी गोपाल केशावत कुशल नेतृत्व होने से इस समाज के
प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित हुए कई सम्मेलन ,,कई सेमिनार की गई ,,,पिछली
अशोक गेहलोत सरकार में गेहलोत के नज़दीकी होने से गोपाल केशावत सरकार पर
अपना दबाव बनाने में कामयाब हुए और राजस्थान में पहली बार राज्य विमुक्त
घुमतु अर्द्धघुमंतु कल्याण बोर्ड गठित करवाया जिसके अध्यक्ष
(राज्यमन्त्री दर्जा ) लेकर गोपाल अपनी क़ाबलियत के बल पर नियुक्त हुए
,,गोपाल केशावत दरिद्रों पर ,,घुमन्तुओं और बंजारों पर निरंतर योजनाबद्ध
तरीके से हो रहे सामूहिक हमलों से आहत है ,,वोह कैलाश बंजारा के साथ मिलकर
बंजारा समाज के लिए भी संघर्ष शील है ,,मंत्री दर्जा पद पर रहकर भी गोपाल
केशावत का जीवन व्ही सादा और उच्च विचार वाला रहा ,,अपनों में अपनों के साथ
उठे बैठे ,,दिल से दिल की बात कही ,,लोगों के दिल की बात सुनी और समाज में
हर दिल अज़ीज़ बन गए ,,गोपाल केशावत हाल ही में राजस्थान में किसानों के हक़
के लिए संघर्ष करते वक़्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट के साथ
चोटिल हुए ,,,,,गोपाल केशावत ने आयोग का चेयरमेन होने के नाते पिछड़े दलितों
का दर्द नज़दीक से देखा है ,,केशावत देश और समाज को आगे लाने का एक ही
फार्मूला मानते है जिसमे वोह कहते है के देश में दलित ,,शोषित ,,पीड़ित
,,,,पिछड़े ,,दरिद्र ,,अनुसूचित ,,अल्पसंख्यक एक होकर संघर्ष करे उन्हें
सियासी और सामाजिक हक़ मिले तब कहि जाकर देश विकसित हो अटूट एक हो सकेगा और
इसीलिए गोपाल केशावत अपने अनुभवों के आधार पर शीघ्र ही राजस्थान के इस
तबके को एक जुट कर एक नए संघर्ष का बिगुल बजाने के प्रयासों में जुट गए है
,,,,,,,,,,,,बंजारा फाउंडेशन के कैलाश बंजारा और राजस्थान के कई समाजो के
सारथी इनके इस संघर्ष में मददगार बनने को तय्यार है ,,,,गोपाल केशावत वर्ष
दो हज़ार आठ से विधानसभा टिकिट की मांग कांग्रेस से कर रहे है उनका कहना है
की घुमन्तु जातियों के हक़ सम्मान के अधिकारों के लिए वोह मरते दम तक
संघर्ष करते रहेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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