चंडीगढ़। कोर्ट
में किसी की जिंदगी या मौत का फैसला लेने में किसी भी जज को कई बार सालों
लग जाते हैं। लेकिन एक फैसला ऐसा था, जिसे लेने में पंजाब एंड हरियाणा
हाईकोर्ट के 60 साल के जस्टिस एम. जियापॉल को सेकेंड का दसवां हिस्सा भी
नहीं लगा। बात 30 मार्च की है। वे रोज की तरह सुखना लेक पर मॉर्निंग वॉक कर
रहे थे। अचानक एक लड़की को डूबते देखा। तुरंत ही जज साहब उसे बचाने कूद
पड़े। वे आधे पानी में थे तभी उनका सिक्योरिटी ऑफिसर भी कूद पड़ा और दोनों
लड़की को बचा लाए। जज ने पीसीआर बुला 15 साल की इस लड़की को अस्पताल में
भर्ती करवाया और डॉक्टरों को हिदायत दी कि उसकी देखभाल सही से की जाए।
पीएसओ यशपाल को उसकी देखरेख में लगाया। खुद मिलने भी पहुंचे। ठीक होने के
बाद उसके मां-बाप को 5 हजार रुपए दिए और बच्ची को आगे पढ़ाने की हिदायत दी। पेश है उनकी जुबानी पूरी कहानी...
मैं जज हूं, लेकिन इससे पहले एक इंसान हूूं। किसी की जिंदगी से कीमती
दूसरी कोई चीज इस दुनिया में है ही नहीं। किसी की जिंदगी बचाने का मौका
मिले तो इससे बड़ा और क्या हो सकता है। मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूं कि
मुझे ऐसा मौका मिला। उस दिन मैं सैर पर निकला था। आधा घंटा लेट था।
लेक के रेगुलेटरी एंड पर पहुंचा तो देखा कि एक लड़की डूब रही है और कुछ लोग उसे डूबते देख मदद के लिए चिल्ला रहे हैं। बस कुछ नहीं सूझा। पल भर के लिए भूल गया कि मैं जज हूं और मेरे साथ मेरा पीएसओ यशपाल भी है। पानी में छलांग लगा दी। मुझे देखकर यशपाल भी झील में उतर गया। बीच में मैं थोड़ा स्लो हो गया और यशपाल आगे निकल गया। जैसे ही वह लड़की तक पहुंचा दोनों डूबने लगे। थोड़ी देर में ही अचानक झटके के साथ वह पानी से ऊपर आ गया। लड़की ने उसे कसकर पकड़ रखा था। किसी तरह हम तीनों पानी से बाहर निकले। लड़की को उल्टा लिटाकर उसकी कमर को दबा पेट से पानी निकाला। फिर पीसीआर को फोन किया और लड़की को सेक्टर 16 के अस्पताल पहुंचाया गया। शाम को मैं लड़की को देखने अस्पताल गया।
वह आधी बेहोशी की हालत में ही थी। अगले दिन मैंने सारी जानकारी मांगी
तो पता चला कि लड़की नौंवी क्लास में अच्छे नंबर लेकर पास हुई है। पिता
रिक्शा चलाता है। वह नहीं चाहता कि लड़की आगे पढ़े। इसी परेशानी में उसने
आत्महत्या करने की कोशिश की। फिर मैंने लड़की के माता-पिता को घर बुलाकर
समझाया। उनको कुछ पैसे भी दिए। हिदायत दी कि लड़की की पढ़ाई रुकनी नहीं
चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए।
पत्नी ने गले से लगाया, बना सबसे यादगार लम्हा
मेरी पत्नी को घटना की जानकारी मिल चुकी थी, लेकिन आधी-अधूरी। उसे लगा
था कि मैं डूब गया था। तुरंत वह लेक पर पहुंचीं। देखते ही मुझे गले लगा
लिया। ये मेरी जिंदगी का सबसे यादगार लम्हा था। ऐसा अहसास मुझे पूरी जिंदगी
में कभी नहीं हुआ था। मैं इसे कभी भूल नहीं पाऊंगा।
लड़की बोली: जिंदगी मिली व जीने का जरिया भी
लड़की अब अस्पताल से घर आ चुकी है। कहती है कि जज साहब ने मुझे नई जिंदगी तो बख्शी ही, जीने का जरिया भी खोल दिया। उनके समझाने के बाद मेरे मां-बाप अब मेरी पढ़ाई में बाधा नहीं बनेंगे। जो आिर्थक मदद मिली है, उससे मेरी पढ़ाई का खर्चा पूरा हो जाएगा।
लड़की अब अस्पताल से घर आ चुकी है। कहती है कि जज साहब ने मुझे नई जिंदगी तो बख्शी ही, जीने का जरिया भी खोल दिया। उनके समझाने के बाद मेरे मां-बाप अब मेरी पढ़ाई में बाधा नहीं बनेंगे। जो आिर्थक मदद मिली है, उससे मेरी पढ़ाई का खर्चा पूरा हो जाएगा।
पीएसओ के प्रमोशन की सिफारिश
जस्टिस ने पीएसओ यशपाल को प्रमोशन और बहादुरी पुरस्कार देने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि यशपाल ने जिस बहादुरी और समझदारी से लड़की को बचाया उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। एक मौका था जब लड़की उसे साथ लेकर डूब रही थी। ऐसे मौकों पर ताकत और समझदारी दोनों की जरूरत पड़ती है।
जस्टिस ने पीएसओ यशपाल को प्रमोशन और बहादुरी पुरस्कार देने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि यशपाल ने जिस बहादुरी और समझदारी से लड़की को बचाया उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। एक मौका था जब लड़की उसे साथ लेकर डूब रही थी। ऐसे मौकों पर ताकत और समझदारी दोनों की जरूरत पड़ती है।
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