चंडीगढ़. सातवीं
क्लास में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़ित 12 साल की लड़की का गर्भपात नहीं हो
सकेगा। चंडीगढ़ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडकिल
साइंसेज (एसजीपीजीआई) द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद बुधवार
को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को डिलिवरी पर होने वाला
सारा खर्च उठाने और इसके अलावा दो लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए
हैं।
मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की मांग की थी
हाईकोर्ट ने एसजीपीजीआई के डायरेक्टर को निर्देश जारी करते हुए कहा कि
डिलीवरी उन्हीं के अस्पताल में ही कराई जाए और लड़की की पहचान सार्वजनिक न
की जाए। पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उसका
गर्भपात कराया जाए। लड़की की मां ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दी थी
कि लड़की का अचानक वजन बढ़ना शुरु हो गया। डॉक्टर ने जांच की तो बताया कि वह
गर्भवती है। लड़की की मां की शिकायत पर करनाल पुलिस ने इस मामले में 19
फरवरी को आरोपी सतीश के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था।
अक्सर घर आता था आरोपी
शिकायत में कहा गया कि सतीश उनके घर अक्सर आता था। एक दिन घर में किसी
को न पाकर उसने लड़की से दुष्कर्म किया और धमकाया कि इस बारे में किसी को
बताया तो उसे जान से मार देगा। केस दर्ज होने के बाद इस मामले में बच्ची के
गर्भपात के प्रयास चल रहे थे, लेकिन डॉक्टरों ने इससे इनकार कर दिया था।
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