रात को
मेरी घबराहट
मेरी उचटती नींद
मुझ से कहती है
रात भर
अपनी गलती पर नादिम
तुम भी सोये नहीं
शायद दिल बहलाने को
मेरा भी ग़ालिब की तरह
ख्याल अच्छा हो ,,,,अख्तर
मेरी घबराहट
मेरी उचटती नींद
मुझ से कहती है
रात भर
अपनी गलती पर नादिम
तुम भी सोये नहीं
शायद दिल बहलाने को
मेरा भी ग़ालिब की तरह
ख्याल अच्छा हो ,,,,अख्तर
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