केन्द्रीय वक्फ संशोधन अधिनियम आम मुसलमानों के लिए लोलीपोप और वक्फ के कब्जेदारों के लियें फिर से वरदान साबित होगा इस कानून में कब्जेदारों को बेदखल करने के लियें वक्फ के मुख्यकार्यकारी अधिकारी या फिर स्थानीय कमेटियों को कोई भी कानूनी अधिकार सीधे दिए गए है ...........उक्त कानून में संशोधन प्रस्तावों में मेरे द्वारा सरकार को सुझाव भेजे गए थे के राजस्व कानून ..नगर विकास न्यास कानून और दुसरे कानूनों की तरह अतिक्रमियों को वक्फ के अधिकारी को सीधे जेल भेजने का अधिकार मिलना चाहिए तथा पुलिस इमदाद से तुरतं वक्फ सम्पत्ति पर से अतिक्रमण हटाने के लियें जिला कलेक्टर और पुलिस प्रशासन की बाध्यता होना चाहिए लेकिन इन सुझावों को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है ...केवल एक झुनझुना मात्र यह संशोधन साबित हुआ है . ...इसी तरह से राज्य वक्फ बोर्ड और जिला कमेटियों के बैठकें आयोजित करने और बैठकों में लिए गए निर्णयन की पालना करने के बारे में कोई नियम नहीं है जबकि राज्य बोर्ड में एक सांसद ..दो विधायक एक प्रशासनिक अधिकारी इसीलियें मनोनीत किया जाता है के राज्य से संबधित कोई भी परेशानी हो तो वोह वक्फ के सम्बन्धित मामलों को विधानसभा में उठाये जबकि सांसद केंद्र स्तर की समस्या हो तो राज्यसभा या फिर लोकसभा में इस समस्या को उठाये और समाधान करवाए ..लेकिन इतिहास गवाह है के राजस्थान के किसी भी सांसद या फिर विधायक ने आज तक कोई भी सवाल वक्फ के मुताल्लिक नहीं किया है यहाँ तक के यह लोग तो बैठकों में गए भी नहीं है प्रशासनिक अधिकारी जो राजस्थान के सभी प्रशासनिक अधिकारीयों से मिलकर वक्फ की समस्या समाधान के प्रयास के लियें लगाये जाते है वोह भी या तो बैठकों में नहीं आते या फिर जिला कमेटियों के नाम पर बंदर बाँट करते नज़र आते है .........राजस्थान में अरबों अरब रूपये की सम्पत्ति पर कब्जेदारों के कब्जे है काफी सम्पत्ति पर सरकार काबिज़ है ...वर्ष दो हजार से लगातार सर्वे ही सर्वे हो रहे है लेकिन नई अधिसूचना राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने आजतक जारी नहीं की है इस वजह से वक्फ के रिकोर्ड संधारित करने में काफी दिक्कते आ रही है ..राजस्थान के सांसद ...राजस्थान के विधायक जो वक्फ बोर्ड में मनोनीत है उन्होंने सरकार में यह बात आजतक नहीं उठाई है लानत है ऐसे सिस्टम ऐसे कानून पर जो खुदा की राह में समर्पित सम्पात्ति और आमदनी को खुदा के बताये हुए रास्ते पर खर्च करने के सिस्टम को तमाशा बना दे ......वक्फ सम्पत्ति के देखरेख के नाम पर यह संशोधन मात्र दिखावा और छलावा ही साबित होगा जब तक इस कानून में अतिक्रमी को सजा देने ..अतिक्रमण को पुलिस इमदाद से तुरतं हटाने ..पुलिस और प्रशासनिक इमदाद चोबीस घंटे में इमदाद देने की बाध्यता रखने ... और सांसद को प्रत्येक बैठक में उपस्थित होने और विधानसभा ...लोकसभा राज्यसभा में इस मामले में प्रत्येक बैठक की रिपोर्ट देने की बाध्यता का कानून होना चाहिए .....वक्फ बोर्ड की बैठक एक माह में कमसे कम एक बार बुलाने और सभी सदस्यों की उसमे अनिवार्य उपस्थित का कानून बनाने .....वक्फ के खातों का संधारण और जांच लेख सेवा नियमों के अनुरूप करवाने और कमेटियों के गठन के वक्त बंदर बाँट खरीद फरोख्त की कार्यवाही जब तक रोकने का कानून नहीं होगा वक्फ ऐसे ही लुटता रहेगा ऐसे ही लुटता रहेगा और शायद यह सरकारे यही चाहती है इसीलियें तो कानून संशोधन के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लोलीपोप दिखावे के सिवा कुछ नहीं है ...............
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