सहरसा/पटना. बिहार के खगडिय़ा जिले में हुए भयानक रेल हादसे
पर राजनीति जारी है। रेल हादसे का मसला आज संसद में भी गूंजा। स्थानीय
सांसद दिनेश चंद्र यादव ने मृतकों के परिजन को नौकरी दिए जाने और मुआवजा की
राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये किए जाने की मांग की। उन्होंने धमारा स्टेशन
का विकास किए जाने और वहां पर फुट ओवर ब्रिज बनाए जाने की भी मांग
की। धमारा घाट स्टेशन पर राज्यरानी एक्सप्रेस की चपेट में आकर 37 लोगों की
मौत हो गई और 50 घायल हो गए। सभी कांवडि़ए थे। मृतकों में 13 महिलाएं और
चार बच्चे भी हैं। गुस्साए लोगों ने ट्रेन को आग के हवाले कर दिया। बताया
जा रहा है कि इस वजह से रेलवे को 90 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ
है। ट्रेन की चपेट में आकर जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा
देने का ऐलान कर दिया गया है लेकिन असल में ये इनके हकदार नहीं हैं
ऐसे हुआ हादसा
स्टेशन पर दो प्लेटफार्म पर दो ट्रेनें खड़ी थीं और बीच की पटरी से
राज्यरानी एक्सप्रेस गुजर रही थी। कांवडि़ए पटरी लांघकर कात्यायिनी मंदिर
जा रहे थे, या वहां से ट्रेन पकडऩा चाह रहे थे। भीड़ ढोल-नगाड़े बजाते हुए
पटरी पार कर रही थी। न रेलवे कर्मचारियों या सुरक्षाकर्मियों ने ध्यान
दिया, न ट्रेन ड्राइवर ने तत्परता दिखाई। कतार से लोग कटते गए और ट्रेन 80
किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरती गई। ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक
लगाए लेकिन तब तक 37 लोग कट चुके थे। धमारा स्टेशन पर कटे गाजर-मूली की
तरह लोगों के शव बिखरे हुए थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी पुष्टि की।
बाद में एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) एसके भारद्वाज ने बताया कि हादसे में 37
नहीं 28 लोगों की मौत हुई है। स्थानीय सांसद के मुताबिक गुस्साए लोगों ने
ट्रेन के ड्राइवर की हत्या कर दी जबकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र
कुमार के मुताबिक ड्राइवर की हालत बेहद गंभीर है और वह अस्पताल में भर्ती
है। खगडिया जिले के बिसनपुर गांव के एक ही परिवार के पांच लोग मारे गए हैं।
इस गांव के तीन बच्चे अपने दादा दादी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे
हैं।
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