रायपुर।
आश्रम तिराहे के पास सोमवार सुबह 11 बजे राज्यपाल का काफिला गुजरने के दौरान रोके गए ट्रैफिक में फंसकर एक बुजुर्ग की जान चली गई। 50 साल के मधुसूदन गोयल को सिग्नल पर खड़े रहने के दौरान चक्कर आया और वह वहीं गिर गए। काफिला गुजरने तक चौराहे पर खड़े पुलिस जवानों ने उनकी कोई मदद नहीं की। इससे पहले कि उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता, वह सड़क पर ही दम तोड़ चुके थे।
पुलिस के मुताबिक, अश्वनी नगर में रहने वाले मधुसूदन अपने बेटे भूपेंद्र गोयल के साथ सुबह दुकान जा रहे थे। रास्ते में आश्रम तिराहे के पास से राज्यपाल का काफिला गुजरने वाला था, तभी पुलिस ने ऐन वक्त दो तरफ से ट्रैफिक रोक दिया। काफिला आने ही वाला था कि मधुसूदन को चक्कर आ गया। वह वहीं गिर गए। उनके बेटे ने लोगों से मदद मांगी, तो आसपास की भीड़ तत्काल मदद को दौड़ी। इससे वहां भीड़ जुट गई। पुलिस लोगों को काफिले के लिए हटाने लगी। इतने में काफिला गुजरा और पुलिस ड्यूटी में लग गई। करीब 10 मिनट तक मधुसूदन बेहोशी की हालत में सड़क पर पड़े रहे। चौराहे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के चार जवानों से भी मदद मांगी गई, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी।
स्पॉट से प्रत्यक्षदर्शी : डीडी नगर में रहने वाले पिंटू शुक्ला घटनास्थल पर मौजूद थे। उनके सामने ही मधुसूदन को चक्कर आया और उन्होंने उसकी मदद में हाथ भी बटाया। पिंटू ने दैनिक भास्कर को बताया कि जैसे ही व्यक्ति को चक्कर आया, वहां भीड़ लग गई। उन्होंने उनकी मदद की और आसपास काफी लोग भी जुट गए। वहीं राज्यपाल के काफिले की ड्यूटी में ट्रैफिक के चार सिपाही लगे थे। पिंटू ने उनसे भी कहा कि आप मदद कर एंबुलेंस बुलवा दें। उन्होंने जवाब दिया... ये हमारा काम नहीं है!
काफिला गुजरने के बाद उस व्यक्ति की मौत हो गई और उसके बाद भी वहां कोई मदद को नहीं आया। अगर समय रहते एंबुलेंस या पुलिस की गाड़ी में मधुसूदन को अस्पताल भेज दिया जाता, तो शायद उनकी जान बच जाती
आश्रम तिराहे के पास सोमवार सुबह 11 बजे राज्यपाल का काफिला गुजरने के दौरान रोके गए ट्रैफिक में फंसकर एक बुजुर्ग की जान चली गई। 50 साल के मधुसूदन गोयल को सिग्नल पर खड़े रहने के दौरान चक्कर आया और वह वहीं गिर गए। काफिला गुजरने तक चौराहे पर खड़े पुलिस जवानों ने उनकी कोई मदद नहीं की। इससे पहले कि उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता, वह सड़क पर ही दम तोड़ चुके थे।
पुलिस के मुताबिक, अश्वनी नगर में रहने वाले मधुसूदन अपने बेटे भूपेंद्र गोयल के साथ सुबह दुकान जा रहे थे। रास्ते में आश्रम तिराहे के पास से राज्यपाल का काफिला गुजरने वाला था, तभी पुलिस ने ऐन वक्त दो तरफ से ट्रैफिक रोक दिया। काफिला आने ही वाला था कि मधुसूदन को चक्कर आ गया। वह वहीं गिर गए। उनके बेटे ने लोगों से मदद मांगी, तो आसपास की भीड़ तत्काल मदद को दौड़ी। इससे वहां भीड़ जुट गई। पुलिस लोगों को काफिले के लिए हटाने लगी। इतने में काफिला गुजरा और पुलिस ड्यूटी में लग गई। करीब 10 मिनट तक मधुसूदन बेहोशी की हालत में सड़क पर पड़े रहे। चौराहे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के चार जवानों से भी मदद मांगी गई, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी।
स्पॉट से प्रत्यक्षदर्शी : डीडी नगर में रहने वाले पिंटू शुक्ला घटनास्थल पर मौजूद थे। उनके सामने ही मधुसूदन को चक्कर आया और उन्होंने उसकी मदद में हाथ भी बटाया। पिंटू ने दैनिक भास्कर को बताया कि जैसे ही व्यक्ति को चक्कर आया, वहां भीड़ लग गई। उन्होंने उनकी मदद की और आसपास काफी लोग भी जुट गए। वहीं राज्यपाल के काफिले की ड्यूटी में ट्रैफिक के चार सिपाही लगे थे। पिंटू ने उनसे भी कहा कि आप मदद कर एंबुलेंस बुलवा दें। उन्होंने जवाब दिया... ये हमारा काम नहीं है!
काफिला गुजरने के बाद उस व्यक्ति की मौत हो गई और उसके बाद भी वहां कोई मदद को नहीं आया। अगर समय रहते एंबुलेंस या पुलिस की गाड़ी में मधुसूदन को अस्पताल भेज दिया जाता, तो शायद उनकी जान बच जाती
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