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28 अप्रैल 2012

राज्यपाल अगर राजस्थान में जनसुनवाई करें तो नोकरशाह और नेताओं पर अंकुश लगेगा और सियासी तोर पर तपता रेगिस्तान स्वर्ग बन सकेगा

राजस्थान की किस्मत खुली और इस बेचारे रेगिस्तान की आग में ताप रहे ..राजनीतिज्ञों की लूट से तड़प रहे राजस्थान को एक अदद संवेधानिक पद वाला फूल टाइमर राज्यपाल मिल गया ...वेसे तो राजस्थान को राज्यपाल मिलना यूँ भी ख़ुशी की बात है के राज्यपाल ही सरकार का रक्षक और पथ प्रदर्शक नीगराकर होता है ..हमारे राजस्थान के इतिहास में एक मिस्टर रेड्डी कर्नाटक से राज्यपाल बनकर आये थे जिन्होंने हर गली मोहल्लों और बस्तियों में जाकर राजस्थान से जिवंत रु बरु होकर यहाँ के हालात सूधारने की कोशिश की थी और इस दोरान नोकरशाह इनकी नजरों को भांप कर जान हित में काम करने लागे थे .....उस के बाद से अब तक राजस्थान में राज्यपाल न जाने कितने आये कितने चले गए कोई नहीं जानता ..यहाँ तक के जनता के हित में किसी राज्यपाल ने कोई कदम उठाया हो इसका भी कोई सुबूत नहीं मिलता ............मेरा अपना स्वभाव है के रोज़ जनहित के मुद्दों पर दस चिट्ठी कम से कम संबधित लोगों को लिखता हूँ जिसमे से कई चित्थियें इन दिनों सम्बंधित राज्यपालों को भी लिखी हैं लेकिन नतीजा सिफर रहा है ......हाँ पहले रेड्डी साहब के टाइम पर चिट्ठी पहुंची और कम शुरू हो जाता था ....बढ़ी ख़ुशी की बात है के देर स्वर सही राजस्थान को एक अदद फूल फ्लेश राज्यपाल तो मिला ही है ..खुदा उन्हें लम्बी उम्र दे सह्त्याब करे लेकिन राजस्थान के होसलों को वोह समझें और राजस्थान के नेताओं को उनकी ओकात याद दिलाने के लियें जनता को उनका हक दिलाने की वोह पहल करे ..अधिकारीयों की नाक में नकेल डालें और फिर हर सम्भाग हर जिले में खुद जाकर जनसुनवाई करें और सरकार तक जनता की बात पहुंचाएं उनकी समस्याएं बताएं उन्हें इंसाफ दिलवाएं और जो निकम्मे मंत्री विधायक संसद है उनकी रिपोर्ट सरकार तक पहुंचा कर उन्हें घर बिठाएं ..जो अधिकारी कर्मचारी घुस लेते है ..निठल्ले रहते है कोई काम नहीं करते उन पर निगरानी रखे जनता की आवाज़ सुने और खुद जनता की आवाज़ बने तो ही यहाँ राज्यपाल उनका होना सार्थक है वरना यह बीमारू राज्य राजनितिक तोर पर जनता के साथ बलात्कार करने के लियें मशहूर सा हो गया है राजनितिक रूप से बलात्कार ही नहीं सामूहिक बलात्कार कहा जाए तो कम है क्योंकि नोकरशाह भी जनता के साथ ऐसा ही सुल्लुक करते नज़र आते है ....अगर राज्यपाल खुद राजभवन से निकल कर जिलों और सम्भागों में जाएँ आम जनता से फरियाद सुने तो निश्चित तोर पर यही राजस्थान स्वर्ग होगा और नेता जो जनता को जुटी की नोक पर रखते है जनता को माई बाप समझने लगेने और लोक सेवक जो जानता की सेवा करने के स्थान पर सरकार के इशारे पर नाचते है और लोकसेवक के स्थान पर खुद गवर्मेंट सर्वेंट हो जाते है वोह उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने लगेंगे ..काश ऐसा हो जाए अल्लाह ...खुदा,,,गोड,,भगवान मेरी यह मुराद पूरी करे आमीन ... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल
जयपुर. मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल होंगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित कर दिया है। अल्वा 10 मई को जयपुर आ सकती हैं और 12 मई को शपथ ले सकती हैं। अल्वा अभी उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। उनका कार्यकाल दो साल बचा है। वे इतने समय राजस्थान की राज्यपाल रहेंगी।

अल्वा राजस्थान की 36वीं और तीसरी महिला राज्यपाल होंगी। इससे पहले प्रतिभा पाटील और प्रभा राव इस पद पर रह चुकी हैं। शिवराज पाटील पंजाब के राज्यपाल हैं और 28 अप्रैल 2010 से राजस्थान का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। राष्ट्रपति भवन से जारी सूचना के मुताबिक मप्र के पूर्व मंत्री अजीज कुरैशी को उत्तराखंड, एसपीजी के पूर्व प्रमुख बीवी वांचू को गोवा, ईएसएल नरसिम्हन को आंध्र और शंकर नारायणन को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है।

चार बार राज्यसभा सांसद रही हैं अल्वा

1974 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने छह-छह साल के चार कार्यकाल लगातार पूरे किए। 1999 में वे लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्हें 1984 में संसदीय कार्य राज्यमंत्री और बाद में युवा मामलात और खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी का दायित्व दिया गया था। 1991 में उन्हें कार्मिक, पेंशन, जन अभाव अभियोग और प्रशासनिक सुधार राज्यमंत्री का जिम्मा दिया गया था।

कुछ समय के लिए उन्होंने विज्ञान और तकनीकी मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। वे अपने तीस साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल रही और नेतृत्व भी किया। वे जुलाई, 2009 से उत्तराखंड की राज्यपाल हैं।

कांग्रेस में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में समन्वयक और 2004-09 के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व भी दिया गया था। उन्होंने महिला कांग्रेस की समन्वयक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

विवादों में भी

मारग्रेट अल्वा 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान विवादों में भी आ गई थीं। उस समय उन्होंने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा था, लेकिन टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आरोप लगाया था कि पैसे लेकर टिकट दिए जा रहे हैं। इसे लेकर उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव पद से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बना दिया गया।

मारग्रेट अल्वा का जीवन परिचय

नाम : मारग्रेट अल्वा
जन्म : कर्नाटक में साउथ कनारा के मंगलौर में
जन्म तिथि : 14 अप्रैल, 1942
पिता का नाम : पी.ए. नजारेथ
माता का नाम : ई.एल. नजारेथ
पति का नाम : निरंजन अल्वा
संतान : तीन पुत्र और एक पुत्री
शिक्षा : बीए, बीएल, मानद डॉक्टरेट एजुकेटेड एट मा. केरेमल कॉलेज और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज बेंगलुरू
विशेष : ऑयल पेंटिंग और इंटीरियर डेकोरेशन में विशेष डिग्री
पेशा : वकालत, सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनिस्ट

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