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26 अक्तूबर 2011

सत्य का बोध हुआ तो मनाया भव्य दीपोत्सव


मौर्य वंश के राज बिंदुसार की मौत के बाद २७३ ईसा पूर्व में अशोक ने राज्य की बागडोर संभाली। अशोक का साम्राज्य वर्तमान अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश और दक्षिण भारत में केरल तक फैला हुआ था। आठ साल तक मगध पर शासन करने के बाद वह अपने दादा चंद्रगुप्त की भांति महाविजय पर निकले। उन्होंने कलिंग (वर्तमान में ओडिशा) पर कब्जा करने की योजना बनाई। 265-64 ईसा पूर्व दया नदी के किनारे धौली पहाड़ियों पर अशोक और कलिंग राज्य की सेनाओं में युद्ध हुआ। अशोक की सेना में ६क् हजार पैदल, एक हजार घुड़सवार और सात सौ हाथी सवार सैनिक थे। शाहबाद गढ़ी में मौजूद अभिलेखों के मुताबिक इस युद्ध में एक लाख लोग मारे गए। इतने बड़े पैमाने पर हिंसा देखकर अशोक का मन पश्चाताप से भर गया। उनके लिए यह प्रकाशोत्कर्ष का समय था। उन्हें सच का बोध हो गया। तब उन्होंने कभी युद्ध या हिंसा न करने की शपथ ली और यही नीति बनाई। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकारा। राजधानी लौटने पर अशोक ने प्रजा को दीप बांटे और भव्य दीपोत्सव मनाया।

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