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15 अक्तूबर 2011

अन्ना हजारे ने किया अनिश्चितकालीन मौन व्रत का ऐलान, दिग्विजय ने दी यूपी जाने की चुनौती

रालेगण सिद्धि. मजबूत जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे रविवार से अनिश्चितकालीन मौन व्रत पर रहेंगे। उन्‍हें 15 अक्‍टूबर से उत्‍तर प्रदेश के दौरे पर जाना था। उन्‍होंने यह यात्रा तो पहले ही टाल दी थी, लेकिन शनिवार को मौन व्रत पर जाने की भी घोषणा कर दी। इस दौरान वह किसी से भी बात नहीं करेंगे और रालेगण में पद्मावत मंदिर में ही रहेंगे।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उत्‍तर प्रदेश की यात्रा टालने के लिए अन्‍ना पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध करने की सबसे ज़्यादा जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश है। गौरतलब है कि अन्ना ने काफी पहले ऐलान किया था कि वह 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। लेकिन अब उनके बजाय उनकी टीम 17 से 22 अक्‍टूबर तक राज्‍य के दौरे पर रहेगी।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अन्ना इससे क्यों बच रहे हैं। उन्‍होंने अन्‍ना को तत्‍काल उत्‍तर प्रदेश जाने की एक तरह से चुनौती देते हुए कहा कि अगर अन्ना उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करते हैं तो वह खुद उनके साथ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। इससे पहले दिग्विजय ने लगातार तीन चिट्ठियां लिख कर टीम अन्‍ना पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा कि अन्‍ना हजारे राजनीतिक लोगों से घिरे हुए हैं। उनके इस आरोप पर पूछे जाने पर अरविंद केजरीवाल ने कोई टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया।

अन्ना हजारे के यह मौन व्रत उस समय शुरु हो रहा है जब कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और बाल ठाकरे ने अन्ना हजारे पर हमले तेज कर दिए हैं। यह मौन व्रत टीम अन्ना के असमंजस की स्थिति की ओर भी इशारा करता है। लेकिन अन्ना के मौन व्रत पर जाने का कोई और अर्थ नहीं निकाला जाए, इसके लिए उन्‍होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह भी कहा कि वह समय समय पर मौन व्रत धारण करते रहते हैं। उन्‍होंने कहा कि वह मौन व्रत अपने स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं। साथ ही, यह भी कहा कि सरकार को मेरे मौन व्रत की भाषा अच्छी तरह समझ में आती है।

कई बार मौन व्रत धारण कर चुके हैं अन्ना हजारे

अन्ना हजारे के निजी सचिव सुरेश पठारे के मुताबिक अन्ना ने अपने जीवन में करीब 12 बार मौन व्रत रखा है। शिवसेना-बीजेपी की सरकार द्वारा जेल भेजे जाने पर अन्‍ना ने पहली बार मौन व्रत रखा था। पठारे ने बताया कि जब भी उन्हें गहन चिंतन करना होता है, वह मौन व्रत पर चले जाते हैं। इस दौरान यदि उन्हें कोई बात कहनी होती है तो लिखकर कहते हैं। उन्‍होंने बताया कि मौन व्रत के दौरान वह गांव में ही रहेंगे।

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