धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। सन् 1990 से 2100 के बीच धरती 1.1 से 6.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म हो जाएगी। अगर तापमान 2.1 से 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाए तो ढाई से तीन अरब लोग (लगभग दुनिया की मौजूदा आधी आबादी) को पानी नहीं मिल सकेगा।
नतीजतन मालदीव जैसे कई देशों पर सागर में समा जाने का खतरा रहेगा। अंटार्कटिक (जहां दुनिया का 90 फीसदी बर्फ जमा है) और ग्रीनलैंड में सारा बर्फ पिघल जाने का खतरा रहेगा। अगर यह पिघल गया तो समुद्र का स्तर एक मीटर तक बढ़ जाने का खतरा रहेगा। ऐसे में न्यूयार्क, टोक्यो, लंदन जैसे दुनिया के तमाम बड़े तटीय शहरों का नामोनिशान मिट जाएगा। 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को खारे पानी की बाढ़ से जूझना होगा और बैंकॉक, ब्यूनस आयर्स और शंघाई जैसे कई तटीय शहरों में पीने का पानी प्रदूषित हो जाएगा।बीते 50 सालों में समुद्र का स्तर 20 सेंटीमीटर (6 इंच) से भी कम बढ़ा है। आधी बढ़ोतरी तापमान बढ़ने का ही नतीजा है।
क्यों है खतरा
तापमान में बढ़ोतरी का मुख्य कारण हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन वगैरह) का उत्सर्जन बढ़ना है। ज्यादातर ग्रीनहाउस गैसें इंसानी गतिविधियों के चलते माहौल में घुलती हैं और गर्मी बढ़ाती हैं।पेट्रोल, डीजल, गैस, कोयला, कूड़ा आदि जलाने से वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड का जहर खूब फैलता है। बढ़ते कल-कारखाने, बढ़ती गाडि़यां, एसी-फ्रिज जैसे लग्जरी सामान का अंधाधुंध इस्तेमाल आदि कई कारण हैं, जिनके चलते ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है।क्या करेंधरती का तापमान खतरनाक स्तर तक नहीं बढ़े, इसके लिए वर्ष 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 80 फीसदी (1990 की स्थिति के मुताबिक) कमी लानी होगी।
आप क्या कर सकते हैं
ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ाने में आम लोगों की भी खूब भूमिका है। इसे कम करने में भी उनकी बड़ी भागीदारी हो सकती है।फैक्ट्रियों में तैयार डिब्बाबंद खाना खाने पर काम जोर देंपरिवार के हर सदस्य अलग-अलग गाड़ी चलाने के बजाय वाहन साझा करना सीखेंएसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन कंप्यूटर, मोबाइल फोन जैसे उपकरण का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक किफायत से करें।
एक्सपर्ट्स व्यू
मौसम से जुड़ी स्थितियों में में आ रहे प्रतिकूल परिवर्तन का नतीजा भारत और पाकिस्तान जैसे मुल्कों को भी खूब भुगतना पड़ेगा। आने वाले वर्षों में बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याएं और गंभीर रूप में देखने को मिल सकती हैं।- डॉक्टर अरशद एम खान, ग्लोबल चेंज इंपैक्ट स्टडीज सेंटर के कार्यकारी निदेशक
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