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30 मई 2011

अन्ना दादा क्या देश की भी सोचोगे या कभी तारीफ़ कभी बुराइयां करोगे ....

अन्ना दादा क्या देश की  भी सोचोगे या कभी तारीफ़ कभी बुराइयां करोगे .... जी हाँ दोस्तों मेरा यह कथन निश्चित तोर पर आपको बुरा लगेगा आपको चोंका देगा लेकिन सच यही है ....देश में अचानक वर्षों तक भ्रस्ताचार होता देख एक आदमी अचानक भ्रस्ताचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लियें उठ खड़ा होता है और उनके अतीत और वर्तमान के चलते यह शख्स देश का महानायक बन जाता है ........जी हाँ दोस्तों यह पहले एक परिवार के दो पिता पुत्र को एक समिति में रख कर न जाने क्या संदेश देना चाहते हैं ......फिर गुजरात में फर्जी मुठभेड़ और दंगों के अपराध में मुख पर कालिख पुतने के बाद विकास के हीरो बने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हैं ..................फिर यही नायक गुजरात में जाकर नरेंद्र मोदी के क्षेत्र में भ्रस्टाचार  की शिकायत करते है ...फिर यह जनाब कर्नाटक में जाकर ऐसे बालक बन जाते हैं जो देश की राजनीति देश के सिस्टम को ना समझने की बात करते हुए प्रधानमत्री मनमोहन सिंह को इमानदार लेकिन सोनिया के रिमोट पर चलने वाल कहकर देश को चोंका देते हैं ,,,,,,,,,जी हाँ मनमोहन सिंह जिनके कार्यकाल में शक्कर घोटाला , गेहूं घोटाला, क्रिकेट घोटाला ,क्रिकेट ट्रोफी घोटाला , टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला , कोम्न्वेल्थ घोटाला ना जाने कितने घोटाले हुए महंगाई कई गुना बढती गयी और इस सभी के महानायक मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री रहे अगर वोह इमादार थे तो पद छोड़ते अगर वोह रिमोट से चल कर बेईमानी करवा रहे है तो फिर इमानदार केसे हो सकते हैं और इतने  खतरनाक भ्रष्टाचार के बाद भी मनमोहन सिंह इमानदार हैं तो फिर बेईमान केसा होता होगा क्या सोनिया गांधी मनमोहन से देश में भ्रष्टाचार फेलाने के लियें कहती हैं क्या सोनिया गांधी देश के काले धन वालों की सूचि सार्वजनिक करने से इनकार करती है और अगर वोह ऐसा कहती हैं और मनमोहन उनके इशारे पर ऐसा कर देश को गर्क में दाल रहे है तो भाई क्या इमादारी है मेरी तो समझ में नहीं आता के अन्ना दादा को क्या हुआ है वोह भ्रस्ताचार कनरे वाला किसे कहेंगे और इमानदार  किसे कहेंगे उनकी परिभाषा किया है कुछ समझ नहीं आता  .............अगर अन्ना दादा की ईमानदारी की परिभाषा कुछ इस तरह की है तो फिर भाई फिर तो देश की जेलों में बंद सभी इमानदार हैं ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. सठियाना इसी को कहते हैं । देश का दुर्भाग्य है कि इतने दिनों बाद किसी से आशा बँधी तो उसकी अक़्ल कम निकली ।

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