कोटा मेडिकल कॉलेज , सुधा कॉलेज , निजी और सरकारी चिकित्सालयों सहित राजस्थान भर की चिकित्सा व्यवस्था सुधार को लेकर , कोटा जिला कलेक्टर , राजस्थान और राष्ट्रिय मेडिकल कौंसिल सहित मुख्य सचिव को नोटिस बिफोर जजमेंट जारी
के डी अब्बासी
कोटा 27 दिसम्बर दिसंबर ,, कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज ,, सुधा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ,, कोटा के सरकारी अस्पताल ,निजी अस्पताल , डिस्पेंसरी , क्लिनिक्स , लैबोरेट्रीज , ब्लड शुगर जांच केंद्र , सोनो ग्राफ़ी , सिटी स्केन सेंटर , मेडिकल स्टोर , अस्पतालों में चल रहे मेडिकल स्टोर , ब्लड बैंक वगेरा वगेरा की कोटा सहित राजस्थान भर की मेडिकल सेवाओं , मेडिकल कॉलेज व्यवस्था , ,डॉक्टर्स का मरीज़ों के प्रति सदव्यवहार , अनावश्यक मेडिकल लूट खसोट को लेकर इसे बंद करने , गुणवत्तायुक्त बनाने , डॉक्टरों के व्यवहार में सुधार , पारदर्शी चिकित्सा व्यवस्था विधि नियमों की पालना , आकस्मिक जांच वगेरा को लेकर , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी प्रतिनिधि , समाज सेवी नवीन अग्रवाल , मोहम्मद अली सय्यद , अतीक खान ने अपने वकील अख्तर खान अकेला के ज़रिये सभी ज़िम्मेदारों को नोटिस बिफोर जजमेंट दिलवाकर सभी आवश्यक चिकित्सा सेवायें सुधारने और लूट खसोट के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए मांग की है ,,
ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के नवीन अग्रवाल ,, मोहम्मद अली सय्यद , अतीक खान की तरफ से एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने , केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ,, केबिनेट सचिव भारत सरकार , मुख्य सचिव राजस्थान सरकार , रजिस्ट्रार मेडिकल कौंसिल ऑफ़ राजस्थान ,, मुख्य चिकित्सा सचिव राजस्थान सरकार , जिला कलेक्टर कोटा ,, प्रिंसिपल न्यू मेडिकल कॉलेज कोटा , चेयरमेन मेडिकल कौंसिल भारत सरकार , मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कोटा ,, संयुक्त निदेशक चिकित्सा कोटा संभाग कोटा ,, प्रिंसिपल सुधा मेडिकल कॉलेज जगपुरा कोटा सहित कुल 11 संबंधित ज़िम्मेदारों को नोटिस बिफोर जजमेंट भेजकर कोटा सहित समूचे राजस्थान की चिकित्सा सेवायें सुधारने , आकस्मिक निरीक्षण करने ,, चिकित्सा व्यवस्थाओं में लूटखसोट ,, कमीशन खोरी , अनावश्यक बिलिंग वगेरा रोकने सहित , मेडिकल सेवाओं में आयुर्वेद , डेंटल , होम्योपैथी चिकित्सको से आमजनता को गुमराह करते हुए सेवायें लेने पर साठ दिन की समयावधि में कार्यवाही की मांग करते हुए , नोटिस बिफोर जजमेंट जारी किया है ,,,,, एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने नोटिस में कहा है के नेशनल मेडिकल कौंसिल ,, मेडिकल कॉलेज की मान्यता निर्धारित शर्तों पर देती है , जिसके विधि नियम बने हुए है और समय समय पर आकस्मिक जांच भी करती है , लेकिन कोटा में ऐसा नहीं है , कई तरह की असुविधाएं है , दिक़्क़तें है , आम मरीज़ों को परेशानी है जांच उपकरण खराब है , संबंधित बिमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ सेवायें नहीं है , प्रोफेसर विशेषज्ञ के पद रिक्त है , निर्धारित मापदंडों का उलंग्घन हो रहा है , जबकि सुधा प्राइवेट कॉलेज में तो अभी तक पर्याप्त सुविधाएँ , हैं ही नहीं , विशेषज्ञ चिकित्स्कों के दस्तावेज हो सकते है , लेकिन उनकी भौतिक नियमित उपस्थिति का रजिस्टर लेकर वोह इसी मेडिकल कॉलेज में उपस्थित रहते हैं , तृतीय पक्ष से जांच भी नहीं हुई है , मरीज़ों की फीडिंग के लिए अलग अलग मोहल्लों में टाउटिज़्म व्यवस्था के तहत काउंटर जैसी व्यस्थाएं है , पर्याप्त उपकरण , विशेषज्ञ सेवायें , भवन व्यवस्थाएं पूरी तरह से उपलब्ण्ध नहीं हो पाई है , इसके लिए अभी और काम होना बाक़ी है ,,जबकि निजी चिकित्सालयों को जिला कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , संयुक्त चिकित्सा निदेशक सहित संबंधित अधिकृत कमेटी के ज़िम्मेदारों ने आकस्मिक जांच कर कोई रिपोर्टें भी तय्यार नहीं की है , हालात यह है के , अनुमति के पूर्व किस चिकित्सालय के पास क्या क्या सुविधाएं है , इसकी लिस्ट और और लिस्ट के हिसाब से निरीक्षण रिपोर्टों का ब्यौरा भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है , ,नोटिस में कहा गया है के राजस्थान मेडिकल कौंसिल में तो फ़र्ज़ी डिग्री के आधार पर डॉक्टर्स के पंजीयन हुए है , जिन्होंने काम भी किया है और पकड़े भी गए है , जबकि मेडिकल कौंसिल नियम के तहत एलोपेथी में होमयोपैथ , आयुर्वेद , डेंटल चिकित्सकों से , आम एलोपेथी मरीज़ों की बिमारियों के इलाज , मॉनिटरिंग व्यवस्था के लिए कार्य करवाने पर पाबंदी है फिर भी अनेकों एलोपेथी निजी चिकित्सालयों , डिस्पेंसरियों , सरकारी अस्पतालों में एलोपेथी के अलावा अन्य चिकित्स्कों को एलोपेथी मरीज़ों की देखरेख के लिए विधि विरुद्ध सस्ते मेहनताना के बदले रखे जाने का नियम बना लिया गया है , नोटिस बिफोर जजमेंट में कहा गया है के , कोटा सहित किसी भी ज़िले में संचालित निजी चिकित्सालय के लिए सर्वप्रथम क्लिनिकल ऐंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट , ड्रग्स एंड फार्मेसी एक्ट ऐंड रूल्स के तहत संचालित ब्लड बैंक , मेडिकल स्टोर , बायो मेडिकल वेस्ट नियम , पर्यावरण क़ानून , फायर ऍन ओ सी नियम , भवन निर्माण स्वीकृति , भवन में उपचार के लिए सभी तरह के कमरे , विशेषज्ञ सेवायें , उपकरण , मरीज़ों की संख्या के अनुरूप व्यवस्थाएं , प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ , पार्किंग व्यवस्था ,, मरीज़ों , उनके तीमारदारों के लिए चिकित्सा परिचालन नियम के तहत डॉक्टर्स के व्यवहार की पालना , बिलिंग पारदर्शिता, केंटीन व्यवस्था , सभी आवश्यक उपकरणों की जांच , उनका सुचारू रूप से काम करने की रिपोर्ट , वगेरा देखकर , भौतिक सत्यापन करने के बाद ही उन्हें क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत जिला कलेक्टर की कमेटी स्वीकृति देती है , लेकिन कोटा कलेक्ट्रेट के समक्ष इस तरह की सूचि है भी , या नहीं , आकस्मिक जांच रिपोर्ट में किस अस्पताल में क्या क्या व्यवस्थाएं खराब मिलीं , मशीने , उपकरण , वगेरा क्या कम रहे , इसकी कोई रिपोर्ट , कोई सूचि , विधि नियमों के तहत संचालित अस्पताल , डिस्पेंसरी , क्लिनिक की सूचि और अवैध संचालित अस्पताल , क्लिनिक की सूचि तक परफेक्ट रूप से उपलब्ण्ध नहीं है , मुख्य चिकित्सा अधिकारी ,संयुक्त निदेशक इस मामले में सक्रिय भूमिका के लिए कर्तव्यबद्ध नहीं है ,, हालात यह है के चिकित्सालयों , निजी चिकित्सालयों में डॉक्टर्स का व्यवहार पारदर्शी नहीं है , चिकित्सा परिचालन नियमों के तहत नहीं है , मरीज़ो को टारगेट कमाई के रूप में इस्तेमाल करने की शिकायतें है , अनावश्यक जांचें , आई सी यूं और ऑपरेशन के समय दवाओं की लम्बी लिस्ट , खुद अस्पताल के मेडिकल स्टोर , उसमे अनावश्यक दवाओं के लिखने की शिकायतें , दवाओं का साल्ट जेनेरिक लिखने की पाबंदी के बाद भी कमीशन की दवाओं का बोलबाला , मरीज़ को अनावश्यक भर्ती करना , उसे अनावश्यक ज़्यादा समय तक भर्ती रखना और कई बार तो ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होने पर भी ऑपरेशन वगेरा का अतिरिक्त भार टार्गेट व्यवस्था के तहत करना , , मरीज़ों के तीमारदारों से रुई के पेड , दस्ताने , साफ़ सफाई करने वाला डिटोल वगेरा , इंजक्शन की सिरिंजें ,, ग्लूकोस , कैनुला सहित कई अनावश्यक डिमांड पर्ची देकर मंगाई जाती है, नतीजन मरीज़ पर अनावश्यक आर्थिक भार पढ़ता है , जबकि उक्त इलाज व्यवस्था , इलाज खर्च , विशेषज्ञ सेवायें , डॉक्टर्स की विज़िटर्स फीस , और सभी तरह की दवाओं वगेरा के मामले में , जांचों की आवश्यकता और क्या ऑपरेशन इन जांच रिपोर्ट्स के बाद आवश्यक थी या नही , इस मामले में कोई सरप्राइज़ रेंडम जांचें भी नहीं किये जाने से अव्यवस्थाएं , मनमानी है , अस्पतालों में कमरे छोटे है उपकरण सही नहीं है , पुराने है , टाइमबार्ड है , छोटे छोटे कमरे , छोटे छोटे ऑपरेशन थियेटर , विधिविरुद्ध संचालित ब्लड व्यवस्थाएं , जनरल वार्ड की निर्धारित मापदंडों के अनुरूप व्यवस्थाएं नहीं , निजी अस्पताल छोटे छोटे मल्टीस्टोरी घिच पिच भूत बंगलों की तरह है , कोई भी हादसा हो तो बचने के लिए व्यवस्थाएं नहीं है , छोटी सी ज़मीन पर मल्टी स्टोरी के नाम पर सभी सेवायें देने की ज़िद में छोटे छोटे कमरे , निर्धारित मापदंडों के विपरीत संचालन है , मरीज़ों और उनके तीमारदारों के लिए सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं नहीं , केंटीन , कार पार्किंग व्यवस्थाओं में कोताही है , जबकि यह सब होने के बाद ही चिकित्सालय संचालन का लाईसेंस दिया जा सकता है , लेकिन जांच नहीं हो रही है , ,नोटिस में कहा गया है के कोटा सहित राजस्थान के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों , मेडिकल कॉलेजेज़ , ,डिस्पेंसरी क्लिनिक , मेडिकल स्टोर, अस्पताल में अस्पताल द्वारा ही संचालित मेडिकल स्टोर नियम , निजी चिकित्सको द्वारा घरों पर ही मेडिकल स्टोर का संचालन , ब्लड बैंक संचालन , ,,जांच केंद्रों , लेबोरेट्री वगेरा में , विशेषज्ञ चिकित्स्कों की अनुपस्थिति , सिर्फ हस्ताक्षर , वगेरा वगेरा सब कुछ चिकित्सा अव्यवस्था का परिचायक है , और कोटा सहित राजस्थान की आम जनता इससे दुखी है , नोटिस में केंद्र सरकार के चिकित्सा शिक्षा सचिव, नेशनल मेडिकल कौंसिल द्वारा परीक्षा में कम और कम से भी कम न्यूनतम अंक लाने वाले फिसड्डीयों से भी फिसड्डीयों को मोटी फीस , डोनेशन के बदले, एम बी बी एस ओर पोस्ट ग्रेजुएट विशेषज्ञ कोर्सों में एडमिशन को खत्म करने और देश की चिकित्सा, सर्जरी, सम्पूर्ण में से 50 फीसदी इलाज व्यवस्था फिसड्डीयों के हवाले करने को देश की जनता के लिये नुकसानदायक बताते हुए इसे रोकने की भी मांग की गई है, नोटिस में कहा गया है कि नोटिस प्राप्ति के साठ दिवस के भीतर भीतर , इन सभी अव्यवस्थाओं की जांच हो , भौतिक सत्यापन हों , भवन , परिसर , चिकित्सा परिचालन नियम के तहत चिकित्स्कीय व्यवहार , मेडिकल स्टोर क़ानून , दवाओं के मामले में सिर्फ साल्ट जेनेरिक लिखने के नियम की पालना , कमीशन की दवाओं पर प्रतिबंध ,, अनावश्यक जांचों पर रोक , भवन व्यवस्थाओं की विधि नियम के तहत जांच , मेडिकल कॉलेजेज़ में मेडिकल कॉलेज संचालन नियमावली , स्वीकृति निर्देशों की पालना वगेरा वगेरा मामलों में सरप्राइज़ जांच कर , सभी व्यवस्थाओं को सूचीबद्ध करें , आवश्यकता पढ़ने पर आम जनता को भी जानकारी उपलब्ध कराये , ट्रेनिंग व्यवस्थाएं हो , ट्रेंड स्टाफ हो , विशेषज्ञ प्रोफेसर , आवश्यक सभी उपकरण हों , बंद पढ़े उपकरण जांच मशीने शीघ्र ठीक होकर आम मरीज़ों के लिए कार्यरत हों , सभी कुछ व्यवस्थित कर लें , व्यवस्थाएं सुधरवा दें , उलंग्घन करने वाले अस्पतालों , मेडिकल स्टोरों , चिकित्सको के खिलाफ कार्यवाही करें , अन्यथा सक्षम न्यायालय में कार्यवाही करना मजबूरी जिसके समस्त हर्जे खर्चे की ज़िम्मेदारी आप पक्षकारान की होगी , ,,,,,,,,,,,के डी अब्बासी

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