अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश कोंग्रेस के जिलाअध्यक्षों , लो बन गए ना अब तो, चलो शुरू हो जाओ, कोटा देहात के भाई असरार, टोंक के हसीन बरकाती, दो तीन ओर को छोड़कर लग जाओ काम पर मालाएं पहनो, स्वागत करो, स्वागत करवाओ, अपने अपने भाई साहबों के पिछलग्गू बने रहो , दो चार महीने तक तो ज़िला कार्यकारिणी भी मत बनाना, ओर हां मुस्लिमों पर हुए ज़ुल्म , पक्षपात के मामले में तो कोई धरना , कोई प्रदर्शन करना भी मत, शिकवे , शिकायत भी मत करना, ज़िला कोंग्रेस की बैठकों जो सम्मान , जो हक़ तुम्हारा संवैधानिक है, उसके बारे में भी संघर्ष मत करना, ज़िला कोंग्रेस कमेटी, प्रदेश कोंग्रेस, पंचायत, पालिका चुनावों में टिकिट की मांग मत करना , लेकिन सुनो तुम्हारे राष्ट्रीय अध्यक्ष इन मामलों में चाहे जितने भी नाकारा हों , अल्पसंख्यक मुद्दों से दूर हों, कोई आवाज़ नहीं उठाई हो लेकिन राजस्थान के प्रदेश चेयरमेन एम डी चोपदार सर तो दबंग हैं, ईमानदार है , ज़मीन से जुड़े हैं हर दिल अज़ीज़ हैं, लोगों का दुख दर्द समझने वाले हैं , तो फिर हो सके तो खुद को कर्तव्यनिष्ठ अल्पसंख्यक ज़िला अध्यक्ष बनाओ ना, तुम्हे पता है किस काम के लिये बनाता है, सरकार हो, कोंग्रेस संगठन हो अगर मुस्लिम, सिक्ख, किश्चियन, बौद्ध, जेन समाज के किसी भी व्यक्ति समूह के साथ नाइंसाफी हो ज़ुल्म हो , उन पर अत्याचार हो , पक्षपात हो तो तुम्हे यलगार करना है, हाईकमान को शिकायत करना है, सुनवाई नहीं होने पर उन्हें भीड़ ओर विरोध के बल पर इंसाफ करने को मजबूर करना है, कर सको तो करना, वर्ना चमचागिरी, चापलूसी, जी भाईसाहब , जो हुक्म भाईसाहब, ओर मुस्लिमों की उपेक्षा तो इसके पहले अल्पसंख्यक विभाग का अपना इतिहास अपना रिकॉर्ड रहा है, फिर भी कोटा देहात के असरार भाई, टोंक के हसीन बरकाती ओर दो तीन और जो हैं ना उनसे सीख लेना, के अपनों के लिये संघर्ष, आंदोलन और सामने वाले कि आंखों में आंखें डालकर कैसे इंसाफ का संघर्ष होता है, बातों से नहीं तो लातों से कैसे इंसाफ छीना जाता है, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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