गहलोत मुसलमानों को टिकट देकर खुद जीतते रहे, उन्हें हरा देते...
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष की पोस्ट चर्चा में
जोधपुर में कल जब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए जिलाध्यक्षों को रूठों को मनाने की सीख दे रहे थे और अपने अनुभव बता रहे थे, ठीक उसी वक्त कांग्रेस के करीब डेढ़ दशक तक जोधपुर शहर जिलाध्यक्ष रहे सईद अंसारी इस कदर रूठे हुए थे कि उन्होंने गहलोत पर अपना गुस्सा उगल दिया। यह गुस्सा किसी मीटिंग में उगला होता तो किसी को पता भी नहीं चलता लेकिन अंसारी ने यह गुस्सा सीधे फेसबुक पर उगला जो सबको दिख सके। हालांकि सबको नहीं दिख पाए, इसलिए शायद बाद में अंसारी से वह फेसबुक पोस्ट डिलीट करवा दी गई या अंसारी ने डिलीट कर दी। लेकिन किसी ने तीन अंगुलियों से फान की स्क्रीन को स्वाइप कर उस पोस्ट को सबको दिखाने का जुगाड़ कर दिया।
सईद अंसारी ने तीन विधानसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़े। हालांकि तीनों बार ही वे हार गए। अशोक गहलोत ने इसी दौर में छह विधानसभा चुनाव लड़े और वे सारे जीत गए।
सईद अंसारी फेसबुक पर लिखते हैं- अशोक गहलोत ने हमेशा मुस्लिम समाज का सिर्फ वोट लेने के लिए उपयोग किया है। अपना चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम को टिकट देते हैं और फिर खुद जीत जाते हैं और मुस्लिम को हरा देता है।
मुझे तीन बार टिकट देकर सहयोग नहीं दिया। मैं चुनाव 425 वोट से हारा। किसी एजेंट को मतगणना में नहीं भेजा। कोर्ट से मैं चुनाव जीत गया था। फिर सुप्रीम कोर्ट में चला गया। वहां फैसला नहीं हुआ। दूसरी बार सूरसागर से भी बहुत कम मतों से हारा। उस समय भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं किया गया। मेरे निवेदन पर भी गहलोत के करीबी कई नेता खुलकर मेरा विरोध करते रहे। तीसरी बार सूरसागर से फिर कम अंतर से हार गया। उस समय कुछ गहलोत के करीबी ने मेरे खिलाफ खुलकर खूब पैसे बांटकर मुझे हराया। उसके खिलाफ कार्रवाई की बजाय उसको टिकट दे दिया गया। मैं 50 साल से कांग्रेस के लिए समर्पित हूं। मेरा परिवार स्वतंत्रता सेनानी है। मेरा पूरा जीवन कांग्रेस के लिए समर्पित रहा लेकिन किसी मुस्लिम को कभी सत्ता में भागीदारी नहीं दी।
मेरा पूरा जीवन कांग्रेस के लिए समर्पित रहेगा…
यह कोई साधारण फेसबुक पोस्ट नहीं थी। हमेशा अशोक गहलोत के दाईं या बाईं बाजू रहने वाले सईद अंसारी की पोस्ट थी। वैभव गहलोत जब जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आए तो सबसे पहले आशीर्वाद लेने भी सईद अंसारी के घर ही गए थे और फेसबुक पर फोटो लगाई थी। आज एक बार कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनने या रहने वाले कांग्रेस नेताओं के स्वागत कार्यक्रमों की लिस्ट जारी होती है। रीलें वायरल हो रही हैं, भर-भरकर बधाई संदेश दिए जा रहे हैं। ऐसे में करीब 15 साल लगातार कांग्रेस जिलाध्यक्ष और वह भी अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति की यह पोस्ट काफी कुछ कहती है।
इस तरह सार्वजनिक तौर पर गहलोत से नाराजगी जताने वाले अंसारी पहले या अकेले नहीं हैं। इनसे पहले जोधपुर नगर निगम के उप महापौर रहे न्याज मोहम्मद भी लगातार फेसबुक पर नाराजगी व्यक्त करते रहे हैं। जोधपुर के महापौर रहे गहलोत के सबसे करीबियों में से एक रामेश्वर दाधीच उनसे विधानसभा चुनाव से पहले ही अलग हो चुके हैं। और देखो तो गहलोत के भरोसेमंद डॉ.अजय त्रिवेदी और हनुमानसिंह खांगटा तक एक पूरी विश्वस्त नेताओं की पूरी फेहरिस्त है।
जोधपुर में सूरसागर और सरदारपुरा सीट का हिसाब किताब यह है कि सूरसागर से किसी मुस्लिम चेहरे को उतारा जाता है और सरदारपुरा से अशोक गहलोत खुद प्रत्याशी होते हैं। परिसीमन में ऐसा खेल किया गया कि वहां मुस्लिम वोट बड़ी संख्या में हो गए। इन्हें साधने के लिए सरदारपुरा से मुस्लिम चेहरा उतारा जाता है। उसके जीतने की कोई भी गारंटी नहीं होती लेकिन सरदारपुरा के मुस्लिम वोट अशोक गहलोत को मिलने की गारंटी मिल जाती है। हालांकि मुस्लिम वोट वैसे भी कांग्रेस को ही मिलना होता है, इसमें कोई संदेह भी नहीं है लेकिन गहलोत अपना जुगाड़ बिठाकर चलते हैं।

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