एक भरत जो सिंह भी थे, ईमानदारी के सिंह इस किंग थे, जिनकी अवैध खनन, अवैध क्रेशर की सुबुतों के साथ की गई शिकायतें उन्हीं की सरकार में कचरे में रहीं, फिर सरकार पलटी, बदले की आग जली, ईमानदार भरत को पट्टों की गड़बड़ी के नाम पर भ्रष्ट साबित करने का षड्यंत्र, फिर तबियत में बिगाड़ फिर स्वर्गवास , बहुत कुछ भरत सिंह जी की जीवनी में है , उनकी ईमानदारी, साफगोई को सेल्यूट
कोटा 8 अक्टूबर, वरिष्ठ मनोचिकित्सक , वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक, अनुभवी किसी से भी विशेषज्ञ राय ले लो, एक स्वच्छ छवि को लेकर जो ज़िन्दगी जनता के नाम कर दे, एक कॉकस बनाकर उस शख्सियत को अगर डॉक्यूमेंट्री भ्रष्ट साबित करने का षड्यंत्र हो, एफ आई आर का प्रचार हो, इस आकस्मिक दाग से उस ईमानदार शख्सियत की आत्मा पर कितना आघात लगेगा, अंदर से टूटकर बिखरने से स्वास्थ्य का कितना नुकसान होगा, वोह बीमार होगा और ऐसे वक्त में ऐसी शख्सियत को उपेक्षित करने, तकलीफ देने वाले, उनके विरुद्ध बेईमानी के प्रचारक, कर्ता धर्ता उनके सामने उनकी कुशल क्षेम के नाम पर मौजूद हों , तो मरीज़ मनस्थिति पोजेटिव, नेगेटिव कैसी होगी, मनोचिकित्सा, मनोवैज्ञानिक खुद बता देंगे,
ईमानदार से भी ईमानदार ,, ईमानदारी की मिसाल , साफ़ गो , शख्सियत की ईमानदारी पर मुंग में सफेदी का दाग भी अगर लगाकर उन्हें बदनाम करने की साज़िशें रची जाएँ तो फिर उसकी आत्मा इन सब को बर्दाश्त नहीं कर पाती , वोह अंदर से कमज़ोर हो जाता है , और शायद भरत सिंह पूर्व मंत्री राजस्थान सरकार के साथ कमोबेश ऐसा ही हुआ है , गांधी के लिए गांधी बनकर लड़ने वाले , अपनों के ही खिलाफ ईमानदारी की जंग लड़ने वाले भरत सिंह कोई मामूली शख्सियत नहीं थे , वोह ईमानदार संघर्षशील साधू थे , लेकिन ऐसे साधू को , कांग्रेस के इस हीरे भरत सिंह को , कुछ लोगों की साज़िशों , बदले की भावना , षड्यंत्रों ने आखिर लीर ही लिया , यूँ तो गीता और क़ुरआन का ज्ञान है , हर इंसान को मोत का मज़ा चखना है , जो आया है वोह जाएगा , जो पैदा हुआ है , उसे मरना निश्चित है , लेकिन ऐसे अचानक , चटपट ,,कोई चला जाए , तो फिर उनके चहेते , उनके सिद्धांतों के साथ चलने वाले लोगों की आँख के आँसू रुकते नहीं है , जी हाँ दोस्तों दुःख की इस घड़ी में , पूर्व मंत्री , वरिष्ठ कोंग्रेसी नेता भरत सिंह जी को श्रद्धांजलि , श्रद्धा सुमन अर्पित हैं , लेकिन कोटा के लोगों को , कोटा संभाग और राजस्थान के लोगों को , कड़वा सच , भी जानना ही चाहिए , आप देखिए , खान की झोपड़ियां जो गलती से बारां में चला गया , वोह गाँव और आसपास के इलाक़े में , अवैध खनन कर्ताओं ने इसे स्वर्ग बनाकर रोज़ अवैध खनन के ज़रिये , लाखों करोड़ों के कारोबार किये ,, अवैध क्रेशरों को , अवैध खनन ,, अतिक्रमित ज़मीनों की खनन उपज से माल मिलता रहा , ,एक अकेले भरत सिंह निर्भीक होकर रोज़ मर्रा इस मामले में शिकायतें करते रहे , अवैध खनन और अवैध क्रेशर रोकने के लिए संघर्ष करते रहे , सुबूत देते रहे , खान की झोंपड़ी कोटा में मिलाने के लिए रेवेन्यू जिला विधि नियम के तहत कोटा संभागीय आयुक्त की रिपोर्ट खान की झोंपड़िया को कोटा में मिलाने के मामले में जो तय्यार हुई थी वोह लेकर घूमते रहे , लेकिन उनकी अपनी ही सरकार में , उनके ही मित्र मुख्यमंत्री द्वारा उनकी कोई सुनवाई की ही नहीं , भरत सिंह जी को निराश और हताश होकर अपनी ही सरकार के खिलाफ ईमानदारी का भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाना पढ़ा , मुख्यमंत्री उन्ही की पार्टी के उन्ही के मित्र , लेकिन फिर भी भरत सिंह को अपनी ईमानदाराना मागों के लिए याचक बनना पढ़ा , वोह सांसद जी के खिलाफ भी लिखते रहे , वोह अवैध खनन की शिकायतें करते रहे , सोरसन अभ्यारण्य के मामले में आवाज़ उठाते रहे , मुकंदरा की बात उठाते रहे , एरोड्रम कोटा की ज़मीन पर हरियाली की बात करते रहे , मुकंदरा को एक नई पर्यटन व्यवस्था से जोड़ने , और वन्य जीव की रौनक से सजाने की ज़िद पर अड़े रहे ,, कोटा सांसद के खिलाफ उनका लगातार खुला संघर्ष चलता रहा , सभी अव्यवस्थाओं के तो खिलाफ वोह बोलते थे , लेकिन फिर भी , उनकी ईमानदारी की चमक उन्हें किसी के भी आगे झुकने नहीं देती थी , अचानक ,, एक षड्यंत्र कहो , या सरकार बदल जाने के बाद , व्यवस्था कहो , एक खबर आती है , के भरत सिंह के उप सरपंच , उनकी पत्नी के सरपंच के कार्यकाल में , ज़मीन आवंटन में गड़बड़ियां हुई है, वन विभाग की ज़मीन में भी गड़बड़ हुई है राजस्थान के एक मंत्री जी जिनके खिलाफ वोह हमेशा मुखर रहकर बोलते रहे , सांसद जी के खिलाफ भी वोह कई बातें बोलते रहे , इन्ही के इलाक़े के उन्ही के खास कार्यकर्ता ,, नेता जी ने , एक शिकायत भरत सिंह और उनकी पत्नी सरपंच के कार्यकाल में पट्टे देने को लेकर की , आनन फानन में जांच हुई , और अवैध खनन , अवैध क्रेशर , वगेरा की जांच रिपोर्टें तो दूर , शिकायत कर्ता भरत सिंह जी के खिलाफ ही जांच शुरू हो गई , सरकार ने घोषणा कर दी के , पट्टा वितरण में गड़बड़ियां हुई हैं , और इसकी जांच होने के बाद , सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर ,भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में एफ आई आर दर्ज करवाई जा रही है ,, अख़बार में यह खबर सुर्खियां बनीं , ,भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस ने कहा के हाँ शिकायत मिली है , उसे जयपुर भेजी गई है , यह कैसी माया थी के एक ईमानदार शख्सियत के खिलाफ हमले हुए , वोह बात अलग है के भरत सिंह ऐसा करना तो दूर सोच भी नहीं सकते इस व्यवस्था का सभी ने समर्थन किया , भाजपा सरकार , शिकायत कर्ता और उन्हें जिन लोगों का वरदहस्त था , सभी का मज़ाक़ उड़ाया जाने लगा ,,, कांग्रेस के नेताओं ने भी खुलकर भरत सिंह के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया , और इसे एक ईमानदार आदमी पर झूंठ का पुलंदा बताते हुए बोखलाहट का नतीजा बताया ,, आप टाइमिंग देखिए एक हष्ट पुष्ट व्यक्ति , जो पूर्ण रूप से स्वस्थ थे , पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे , कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे थे , पंद्रह अगस्त की पूर्व संध्या पर , उनके विरुद्ध आरोपित करने की खबर प्रकाशित होती है , कोंग्रेसी उनके खुले समर्थन में आते हैं ,, भाजपा के लोग फिर वही बेहूदगी से, उनके विरुद्ध बयानबाज़ी शिकवे शिकायत की शुरुआत करते है , फिर अचानक भरत सिंह जी , सदमे में आते हैं , आखिर एक ईमानदार शख्सियत जिसने विकट परिस्थितियों में भी अपने ऊपर एक दाग भी नहीं लगने दिया , उसे इस तरह से षड्यंत्र रचकर , प्रशासनिक अगर एरर हुई भी तो बदनाम करने की साज़िश , ऐ सी बी में एफ आई आर की शुरुआत फिर अख़बारों में खबरों का प्रकाशन ,, यह सब वोह कैसे बर्दाश्त करते , कमज़ोर हो गये , अंदर से टूट से गए , हीमोग्लोबिन कम हो गया , फेफड़े कमज़ोर होने लगे , और पंद्रह अगस्त के एक दिन पहले की इन खबरों की शुरूआत के बाद , पक्षाघात से लड़ते हुए , सदमे से लड़ते हुए , उन्हें ज़िंदगी की जंग जीतने के लिए कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाना पढ़ा , जहाँ उनकी जांचें हुईं , डॉक्टर्स ने वही हीमोग्लोबीन की कमी फेफड़ों में कमज़ोरी देखी और इलाज शुरू किया , डॉक्टर्स के मुताबिक़ वोह ठीक हो रहे थे , लेकिन ईमानदार शख्सियत पर दाग का सदमा रिकवरी में बाधक सा लगा , और फिर कोटा में तबियत बिगड़ी फिर जयपुर एस एम एस में इलाज के लिए भर्ती हुए ,, लेकिन खुदा को कुछ और ही मंज़ूर था ,,वोह जिनके खिलाफ सिस्टम की गड़बड़ी की वजह से थे और सिस्टम में मज़बूत रहते उन्होंने भरत सिंह जी की आवाज़ दबा दी थी वही लोग उन्हें ढांढस बंधाने, तबियत पूंछने आने जाने लगे, तो फिर सोचो भ्रष्टाचार की वाजिब शिकायतों के मामले में हारे हुए ईमानदार की मन स्थिति क्या होगी ,, सभी अपने पराये , दोस्त , दुश्मन , उनकी खैरियत को गए , उनके लिए दुआएं कीं , लेकिन होनी को कौन टाल सकता है , अचानक भरत सिंह के चले जाने की खबर ने कोटा संभाग , हाड़ोती को , तोड़ कर रख दिया , ईमानदारी की एक पहचान की हत्या होती लोगों ने देखी है , अब फैसला कोटा की ईमानदारी के पक्षधर लोगों को लेना है , सच्चाई की जंग भरत सिंह जी के जो फ़ॉलोअर्स है , उन्हें लड़ना है , ,भरत सिंह जी के सभी शिकवे शिकायत के पत्र , जिन जिन लोगों के लिए शिकायतें थीं , उन पर उन्ही की सरकार में किस वजह से कार्यवाही नहीं हुई , आखिर अवैध खनन , अवैध क्रेशर के सच के पीछे कोनसी ऐसी ताक़त थी , जो इन सब को , एक पूर्व मंत्री के द्वारा , गाँधी कहे जाने वाले मुख्यमंत्री से शिकायतें की जाने के बाद भी , उन्हें रुकवाने , उनके खिलाफ ईमानदाराना कार्यवाही करने के लिए बाधक बनी हुई थी , खान की झोंपड़िया कमिश्नर रिपोर्ट में कोटा में शामिल करने की रिपोर्ट के बाद भी , बारा में ही क्यों रह गई जबकि राजस्थान में ज़िले ही ज़िले बनाये जाते रहे थे , ,भरत सिंह जी के सर्मथक यह भी देखे के आखिर उनके सरपंच , उप सरपंच के क्रियाकलापों को प्रश्नगत करने के पीछे किसकी साज़िशें थीं , क्यों नाराज़गी थी , और उस नाराज़गी को , योजनाबद्ध तरीके से अख़बारों में प्रकाशन और ऐ सी बी में एफ आई आर का हल्ला क्यों खड़ा कर रखा था , फिर अचानक तबियत खराब होना , फिर तबियत खराब होती चली जाना , इन सब के पीछे का सच , इन आरोपों की टाइमिंग, फिर बीमारी की टाइमिंग, सम्पूर्ण कार्यवाहियों के मामले में एक श्वेतपत्र तय्यार कर बेईमानों , षडंत्रकारियों के उस गिरोह का पर्दाफाश तो करना ही चाहिए जिसकी वजह से एक ईमानदार आवाज़ कुचली जाती रही, दबाई जाती रही , और फिर आखिर में उस आवाज़ को दागदार बनाने की साज़िशें रची गईं , और इस साज़िश के चलते , वोह बिमारी में पक्षाघात के शिकार भी हुए , कमज़ोर हुये , और फिर एक ईमानदार शख्सियत का हौसला टूट गया , सब कुछ मटियामेट हो गया , कोटा संभाग ही नहीं ,, पुरे राजस्थान की यह अज़ीम ईमादार शख्सियत जो पश्चाताप भी करना जानती थी , जो अपनी हर बात ईमानदारी से ताक़त के साथ रखना जानती थी , वोह हमे छोड़ कर चली गई , लेकिन सीख दे गई उस शहादत की के ईमानदारी कभी मरती नहीं , शहीद होती है ,और जब शहीद होती है , तो फिर कई ईमानदारों की फसल पैदा होती है , इसलिए कहता हूँ भरत सिंह जी ज़िंदाबाद , उनकी ईमानदारी ज़िंदाबाद , वोह और उनकी ईमादारी अमर रहे , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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