यक़ीनन निजी बस ऑपरेटर्स को क़ानून के खिलाफ बिना किसी फिटनेस के, फिटनेस प्रमाणपत्र देकर बस संचालन की खुली छूट अधिकारियों ने दी हैं , और बसों के जल जाने ओवर लोडेड होने सहित दुर्घटना के वक़्त आपात काल गेट नहीं होने से कई बढे हादसे जो टाले जा सकते थे , वोह टाले नहीं जा सके और कई लोगों की अकाल मोत हो गई , ,इसके लिए अधिकारी , संबंधित जिला कलेक्टर पूरी तरह से ज़िम्मेदार है , उन्हें चिन्हित कर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया जाना ज़रूरी है , क्योंकि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी , यातायात पुलिस और ज़िला यातायात प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर ऐसी अव्यवस्थाओं के लिए खुले रूप से ज़िम्मेदार है , एक तरफ तो बसों का परमिट जारी हो रहा है , बसों को सुरक्षा प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं , और जो मोटरव्हीकल एक्ट के सुरक्षा मानक है , आवश्यकताएं हैं , उन्हें नज़र अंदाज़ कर बसें संचालित करवाई जा रही हैं , और फिर अगर विधि विरुद्ध प्रमाणपत्रों के ज़रिये या बिना सुरक्षा प्रमाणपत्र के बसों का संचालन है तो फिर उन्हें रोका क्यों नहीं गया , सीधी सी बात है के उनकी जेबें गर्म होती रही हैं ,लेकिन उनकी जेबें तो गर्म हुई और इसके बदले जोधपुर , बीकानेर , बाड़मेर , जयपुर , कोटा क्षेत्रों में बेहिसाब दृघटनाएँ ,, बेहिसाब मौतें ज़िम्मेदार कौन , सही मायनों में राजस्थान सरकार के मुखिया , यानी मुख्यमंत्री मुखिया द्वारा यातायात मंत्री की ज़िम्मेदारी जिन्हे दी गई है वोह और , जो यातायात सुरक्षित करने , बसों के परमिट , सुरक्षा प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए नियुक्त किये गए अधिकारी है , वोह सभी तो इस में शामिल है ,इसके लिए ज़िम्मेदार हैं , क्या उनके खिलाफ हत्या का मुक़दमा नहीं चलना चाहिए , राजस्थान सरकार ने रोडवेज बसें बंद करने के लिए निजी बसों को बढ़ावा दिया है , जब निजी बसें रोडवेज के समाननतर चलेंगी , रोडवेज प्रशासन , यातायात पुलिस , परिवहन विभाग निजी बसों से सांठगांठ करेंगे तो फिर रोडवेज को तो घाटा होगा ही सही , खटारा बसें , समय पर बसों का संचालन नहीं , व्यवहार ठीक नहीं , और जानबूझकर घाटा खाने की प्रवृत्ति निजी बसों के संचालन को मुनाफे के साथ बढ़ावा दे रही है ,रोडवेज बस से कम किराए में निजी बसें सवारियां ले जाती हैं , उनकी बसों का संचालन व्यवस्थित होता है , सुविधाजनक होता है , बसें ऐ वन कंडीशन की होती है , फिर रोडवेज अधिक किराया वसूली के बाद भी घाटे में क्यों है , यह गणित आज तक किसी को भी समझ में नहीं आई , खेर रोडवेज बस स्टेण्ड बेच रही है , अन्य स्त्रोत से आमदनी बढ़ा रही हैं , अरबों रूपये की सम्पत्ति है , लेकिन बसें ठीक नहीं , बसों का संचालन व्यवस्थित नहीं है , रुट पर बसों की कमी है , और फिर निजी बस ऑपरेटर्स से हाथ भी मिला लिए है , उन्हें अनुबंधित भी कर लिया है , ऐसे में घाटा तो होना ही है , लेकिन निजी बसों के सुरक्षा प्रमाण पत्र , आपात स्थिति में गेट होना , फर्स्ट ऐड बोक्स ,फायर फाइटिंग सिस्टम , वगेरा वगेरा क्यों नहीं है , फिर बसे सड़कों पर चल कैसे रही हैं , इसके लिए तो सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है , और बस ऑपरेटर्स तो बस खरीद रहे हैं , बस बनवा रहे हैं , कागज़ विधि अनुसार बनवा रहे है , तो फिर परमिट फिटनेस देते वक़्त , परमिट की जांच करते वक़्त , बसों के सुरक्षात्मक उपायों की जाँच करते वक़्त , कंडीशन जांचते वक़्त , सरकार के लाखों रूपये प्रतिमाह तनख्वाह लेने वाले अधिकारी , सरकार के खर्च पर लाखों रूपये प्रतिमाह के वेतन के अलावा , लाखों रूपये का खर्च करवाने वाले मंत्री जी , मुख्यमंत्री जी क्या जनता की सुविधा से सीधी जुडी इस समस्या को नहीं देखना चाहते , इसका स्थाई समाधान नहीं चाहते , और स्थाई समाधान सूक्ष्म जांच मोटर व्हीकल एक्ट के शत प्रतिशत प्रावधान की पालना लेकिन एक अल्टीमेटम के साथ समयबद्ध योजना बनाकर इसे रिफॉर्म करना चाहिए , क्योंकि अगर एक बस सवारियां लेकर चल पढ़ी है , तो आपकी ज़िम्मेदारी है के गलत बस कैसे संचालित हुई , और फिर रास्ते में रोककर जांच करना , सवारियों को प्रताड़ित करना यह भी आपकी डबल गलती है , जो अक्षम्य अपराध है , इसलिये संवेदनविहीन सरकार ,, पर्ची सरकार , ज़रा सम्भले लोगों की मौतों से सबक़ ले , निजी बसों के संचालन में विधि नियमों की पालना सुनिश्चित हो , आकस्मिक जांचें हो , और इसके लिए अभी तक ज़िम्मेदार रहे अधिकारीयों को चिन्हित कर निलंबित भी किया जाएँ दंडित भी किया जाए , ,, बसों में अवैध कोरियर, अवैध कार्गो, स्टेज कैरीज परमिट उलंग्घन, नो एंट्री में प्रवेश सभी तो गड़बड़ घोटाले हैं, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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