केबिनेट मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी के नजदीकी रहे ,पूर्व पार्षद , वक़्फ़ कमेटी सदर, भाजपा नेता मोहम्मद उमर के नाम से बनी है घण्टाघर क्षेत्र की उमर कॉलोनी,
कोटा के पूर्व पार्षद वक़्फ़ सदर भाजपा नेता मोहम्मद उमर ललित चतुर्वेदी केबिनेट मंत्री के ,जी हुज़ूर , नहीं मित्र रहे हैं, वोह हाथ जोड़ कर खड़े रहने वालों में से नहीं, आंखों में आंखें डाल कर अपने लोगों का काम करवाने वाले रहे हैं , ज़िला प्रशासनिक स्तर की अधिकतम समितियों में सदस्य रहे हैं, जबकि चुनाव के वक़्त मीडिया फ्रेंडली व्यवहार से यह मीडिया कर्मियों में भी लोकप्रिय रहे हैं,
घंटाघर कोटा क्षेत्र में ज़रूरत मंद , ,गरीब लोगों के लिए रिहायशी कॉलोनी बनाने वाले ,, पूर्व पार्षद मोहम्मद उमर के नाम से ,,उमर कॉलोनी बनी हुई है , मोहम्मद उमर वक़्फ़ कमेटी कोटा के चेयरमेन के रूप में भी कल्याणकारी कार्य करने के लिए पहचाने जाते हैं , जी हाँ में बात कर रहा हूँ भाजपा नेता मोहम्मद उमर साहब की जो उम्र के उच्च पायदान के बाद भी , आम जनता से जुड़े हुए हैं , उनके द्वारा आम जनता के हक़ में किये गए कार्य आज भी यादगार बने हुए हैं , ,मोहम्मद उमर कोटा घंटाघर क्षेत्र में नगर परिषद कोटा का चुनाव लड़े और कम उम्र में ही , पार्षद निर्वाचित हुए , इनके कार्यकाल में घंटाघर में ज़रूरतमन्दों के लिए रिहायशी व्यवस्था नहीं थी , तब मोहम्मद उमर ने क्षेत्रवासियों के लिए एक कॉलोनी स्थापित करवाई , वहां लोगों को रिहाइशी सुविधाएं दिलवाई और इसीलिए वहां के रहवासियों ने इस कॉलोनी का नाम भी मोहम्मद उमर कॉलोनी रख दिया ,, पार्षद कार्यकाल में मोहम्मद उमर ने कई संघर्ष किये , आम जनता के लिए कल्याणकारी कार्य करवाए , घंटाघर कोटा में , मुस्लिम मुसाफिर खाने के निर्माण के समय जब विवाद हुआ , सरकारी अड़चने खड़ी हुईं , तब मोहम्मद उमर , कमरेड अब्दुल हमीद , बाबू नज़ीर सहित कई लोगों ने संघर्ष करके इसके निर्माण की अड़चने दूर करवाकर मुस्लिम मुसाफिर खाने का निर्माण करवाया जो आज तक आने जाने वाले मुसाफिरों के लिए कम खर्च पर बहतर सुविधा का स्थान बना हुआ है , मोहम्मद उमर कोटा विधायक रहे केबिनेट मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी के निकटतम लाडलों में से एक थे , ललित चतुर्वेदी के चुनाव में , मोहम्मद उमर हमेशा सक्रिय भूमिका निभाते थे और यही वजह थी के इंद्रा लहर के वक़्त भी , घंटाघर क्षेत्र से मुस्लिम समाज के वोट कांग्रेस के मुक़ाबिल ललित चतुर्वेदी को मिले और ललित चतुर्वेदी इंद्रा लहर में भी कोटा से विधायक निर्वाचित हुए , केबिनेट मंत्री बनने के बाद ललित किशोर चतुर्वेदी ने मोहम्मद उमर ताक़त दी , कलेक्टर हो , एस पी हो , कमिश्नर हो , डी आई जी हो , सभी अफसरों को वोह साथ बुलाकर अपने साथियों में से मोहम्मद उमर , मणिभाई पटेल , अरुणा अग्रवाल , सुभाष अग्रवाल सहित कुछ लोगों से दबंगाई से परिचय कराते हुए कहते थे , यह मेरे मित्र हैं , में जयपुर अगर रहूँ और अगर पीछे से यह कुछ काम कहें तो समझना यह ललित किशोर चतुर्वेदी की आवाज़ है , और इनका हर काम करना ,, बस मोहम्मद उमर की आवाज़ प्रशासन और सरकार में ललित किशोर चतुर्वेदी की आवाज़ बन गई , इस कार्यकाल में मोहम्मद उमर के इर्द गिर्द काम करवाने वालों का जमावड़ा रहता था और कई ज़िम्मेदार लोगों के उलझे हुए काम भी , मोहम्मद उमर करवाकर समाज में हीरो बन जाते थे , ,मोहम्मद उमर को ललित किशोर चतुर्वेदी ने , प्रदेश उर्दू एकेडमी में सदस्य बनाया , नगर विकास न्यास में न्यासी बनाया , कई ज़िला स्तरीय समिति में सदस्य रहे, भाजपा जिला, प्रदेश कार्यकारिणी में रहे, मोहम्मद उमर को ललित चतुर्वेदी ने वक़्फ़ कमेटी कोटा का चेयरमेन बनवाया , मोहम्मद उमर के वक़्फ़ कमेटी कार्यकाल में राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन शौकत अंसारी थे जो इनके बहुत निकटतम होने के कारण , मोहम्मद उमर को वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से तो फ्री हेंड मिला ही , साथ ही ,, ललित किशोर चतुर्वेदी के सपोर्ट के चलते प्रशासन में भी इनकी पकड़ थी , इस कारण वक़्फ़ कमेटी कोटा में इनका कार्यकाल ऐतिहासिक रहा , वक़्फ़ कमेटी कोटा का अपना कार्यालय नहीं था , मोहम्मद उमर के कार्यभार ग्रहण करने के बाद कोटा में चंबल गार्डन के सामने वक़्फ़ कमेटी कोटा का कार्यालय स्थापित हुआ , दुकाने बनवाई गईं , किराया आमदनी बढ़ी , खाली पढ़ी ज़मीन पर पत्थर के स्टॉक लगवाए गए , खाली पढ़ी ज़मीनों को कृषि के लिए किराये से , दी गई, रिहायशी निर्माण हुए , वक़्फ़ की बेशक़ीमती ज़मीन जो अतिक्रमणकारियों के क़ब्ज़े में थी , उसे मोहम्मद उमर के कार्यकाल में छुड़वाई गई , मुक़दमे लड़े और जीते गए , करोड़ों करोड़ रूपये की ज़मीने वक़्फ़ के क़ब्ज़े में ली गई ,, क़ानूनी कार्यवाही तेज़ की गई , ,वक़्फ़ कमेटी में कोई कर्मचारी कार्यरत नहीं थे , लेकिन इनके कार्यकाल में वक़्फ़ कमेटी का कार्यालय खोला गया , कर्मचारी रखे गए ,, जो आज भी नियुक्त हैं , कई कर्मचारी सेवानिवृत भी हो गए ,, मोहम्मद उमर साहब के वक़्फ़ कमेटी कार्यकाल में , चंबल गार्डन के सामने वक़्फ़ हॉस्टल बना , जबकि छावनी क्षेत्र में इक़बाल हॉस्टल के नाम से एक मकान प्लाट के बदले लेकर छात्रों के लिए हॉस्टल बनाया गया , ,मोहम्मद उमर सियासत में किसी के गुलाम नहीं थे , मेरी जानकारी में मुस्लिम नेताओं में मरहूम इकरामुल्ला एडवोकेट , अब्दुल सत्तर एडवोकेट के अलावा ,, सिर्फ मोहम्मद उमर ही ऐसे , मुस्लिम नेता हैं , जो नेताओं की जी हुज़ूरी , गुलामी नहीं करते ,, उनकी आँखों में आँखें डालकर ,मसले मसाइल पर बात करते रहे हैं , ,ज़िद करके अपनी बात मनवाते रहे हैं , अधिकारीयों से बात करते वक़्त उन्हें हिचक नहीं रही , यह सोच नहीं रही के हमारे भाईसाहब नाराज़ हो जाएंगे या उन्हें आने दो जब बढे बाबू यानी जिला कलेक्टर या पुलिस अधीक्षक से कोम के मसाइलों या अपने लोगों की समस्याओं पर बात करने की इजाज़त लेंगे , मोहम्मद उमर उनके पास पहुंचे पीड़ितों के लिए अपने मंत्री से तो खुलकर आँखों में आँख डालकर बात करते थे , उनके काम करवाते थे जबकि छोटे मोटे काम जो कलक्टर ,, पुलिस अधीक्षक के नियंत्रण में होते थे वोह तो वोह खुद ही , उनसे अपनी वक़्फ़ कमेटी के चेयरमन की ताक़त बता कर कर लिया करते थे , वक़्फ़ कमेटी के ओहदे पर कोटा शहर क़ाज़ी के बाद , मोहम्मद उमर प्रशासन में मज़बूत शख्सियत थे, लेकिन उनके बाद वक़्फ़ नेतृत्व मुस्लिम नेतृत्व में कोई भी मज़बूत शख्सियत नहीं रही , कलेक्टर से बात करने , पुलिस अधीक्षक से मिलने के पहले अपने अपने भाई साहबों की इजाज़त का इन्तिज़ार ,, फिर कलेक्टर , एस पी के बाहर इन्तिज़ार के बाद जी हुज़ूरी वाली मुलाक़ात का दौर सभी ने देखा है ,, ,मोहम्मद उमर के खुसूसी दोस्तों में एडवोकेट जमील अहमद ,, पूर्व पार्षद रंजीत कछावा , खुद शान्ति कुमार धारीवाल भी शामिल रहे हैं , मोहम्मद उमर भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में प्रदेश पदाधिकारी भी रहे ,, इन्होने इनकी सियासी सक्रियता के चलते , कोटा ज़िले की लाडपुरा और झालावाड़ ज़िले की पिड़ावा सीट से , कई बार भाजपा से विधायक का टिकिट भी माँगा , ललित किशोर चतुर्वेदी के समर्थन से इनका नाम हर चुनाव में पेनल में रहा , लेकिन फिर भाजपा के अचानक बदले चेहरे से इनके टिकिट पर विचार नहीं हुआ ,,, वक़्फ़ कमेटी में रहते इनके क्रियाकलापों , दबंगई से कई लोग नाराज़ भी रहे , आरोप भी लगे , मुझे मेरे वक़्फ़ कमेटी कार्यकाल में , इनके वक़्फ़ कार्यकाल की जांच की पत्रावलियां , जांच अधिकारी के रूप में मिली , मोहम्मद उमर ने घाटे के वक़्फ़ को करोड़ो फायदे में पहुंचाया , पेंशनें , छात्रवृत्तियां बांटी , बंजर पढ़ी कृषि भूमि पर कृषि योग्य भूमि बनाई , लोढी वाले बाबा सहित कई भूमि को वक़्फ़ के खाते चढ़वा कर वहां रिहाइशी कॉलोनी बनाई , वोह बात अलग है के वोह आज भी अटकी पढ़ी है , और वर्तमान वक़्फ़ कमेटी का मुख्य विवाद का कारण बनी है , मोहम्मद उमर के कार्यकाल में बीमारों का इलाज हुआ , वक़्फ़ कमेटी कार्यालय में , न्यूनतम खर्च पर इलाज के लिए वक़्फ़ की डिस्पेंसरी खोली गई , यहां वक़्फ़ के खर्च से एक्स रे मशीन , दूसरी कई जांचे लेबोरेट्री में खून पेशाब और आवश्यक जांचों की व्यवस्था की गई ,, इतना ही नहीं , एक फिज़िशियन को भी नर्सिंग स्टाफ के साथ वक़्फ़ डिस्पेंसरी में रखा गया जिन्होंने काफी वक़्त तक लोगों का इलाज किया , बाद में उनके वेतन के विवाद को राजस्थान हायकोर्ट ने सुलझवाकर सरकार से ही दिलवाया ,,,,,,,,मोहम्मद उमर चाहे उम्र के लम्बे पड़ाव पर हैं , लेकिन उनका जलवा वही बरक़रार है माशा अल्लाह आज भी उनकी समझ , उनका ठसका , उनकी कार्यशैली पूर्ववत दबंग है , ज़िंदाबाद है , अल्लाह उन्हें तंदरुस्त रखे , हर बिमारी से महफूज़ रखे , उम्रदराज़ करे ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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