आपका-अख्तर खान

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15 अगस्त 2025

पहले हम किसी ओर तरह गुलाम थे ,,अब किसी ओर तरह गुलाम है ,,,सोचो अब हम किस तरह गुलाम है ,

पहले हम किसी ओर तरह गुलाम थे ,,अब किसी ओर तरह गुलाम है ,,,सोचो अब हम किस तरह गुलाम है ,,
बात वही आ जाती है गुलामी की ......उनकी छाया कभी नही जायेगी हर वक्त साथ साथ रहेगी,,,गुलामी जरा ..सोचो ,,,,,,,यह खतरनाक हाकिम ...जिसकी मुझे करना पढ़ रही है गुलामी ....बताओ .... यह केसी आज़ादी ....एक खुली जेल ....सवालों की भरमार ...थर्ड डिग्री टेम्प्रेचर में ....थर्ड डिग्री पुलिस से भी खतरनाक रिमांड ...कहा गए थे ..क्या लाये ..यह किया क्यूँ नहीं ...वोह क्या या नहीं ...यह कर लो ...वोह कर लो ..उसे हंस कर बात क्यूँ कर रहे थे ....थोड़ा सर में दर्द है दबा दो ....सब्जी गर्म कर लेना ..मुझ से फ़ालतू बात मत करो ...में मायके चली जाउंगी तुम देखते रहियो ......मुझे घुमाने ले चलो ...नई फिल्म लगी है मुझे देखना है .....क्या मुसीबत है भाई सोचते थे आज़ाद है लेकिन यह केसी गुलामी भाई .......खेर दोस्तो ....यह गुलामी तो बनी रहे ............सच तो यह है ....के ...हमारे देश की आज़ादी ....हमे खुदा की नियामत .है ....हमे खुदा का तोहफा है ....हमे खुदा का इनाम है .....आओ ...अब तक जो होता रहा ...अब तक जो हुआ ....उसे भूल जाए और खुदा की इस नियामत ..खुदा के इस इनाम को सहजने ..संवारने और बचाने के संकल्प के साथ ....नई शपथ ले ....नई कसम खाए और फिर इस देश को ....नई आज़ादी की रौशनी दे ....देश की जनता को ....नया आज़ादी का जश्न मनाने का मोका दें ....देश के लोग ....हम पर हमारे कर्मो पर ...गर्व करे और कहे .... हाँ दिल से कहे ...हां हम सच में ...आज़ाद है ...हां हम सच में आज़ाद है .....तो आइये ...हम आज़ादी के इस जश्न को .....इस आजादी के सपने को ....साकार करने के लियें ....आज से ही ...सर पर कफन बाँध कर ...निकल पढ़े ..निकल पढ़े ....जनाब यही वक्त का तकाजा है ......यही जीवन की मर्यादा है ..यही गीता ..कुरान ...धर्म ग्रंथों का आदेश निर्देश है ... और मेंम साहब का हुक्म भी यही है जनाब ......

 

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