रात 12:00 बजे नेत्रदान के बाद सुबह संपन्न हुआ देहदान।
बुधवार शाम विजय पाड़ा निवासी विनोद कुमार जैन और जम्मू जैन के भाई राजेंद्र बज़ 'पिंटू' का सड़क दुर्घटना में घायल होने के उपरांत,एमबीएस हॉस्पिटल में उपचार के बाद रात 10:00 बजे आकस्मिक निधन हो गया ।
हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहने वाले राजेंद्र सामाजिक कार्यों से काफी समय से जुड़े हुए थे, उन्होंने अपना देहदान का संकल्प पत्र भी काफी पहले भर दिया था । उनकी अंतिम इच्छा को जानकर, संस्था के ज्योति मित्र सुरेश जैन और मनोज 'निरखी' ने शाइन इंडिया फाउंडेशन को नेत्रदान और देहदान के लिए संपर्क किया ।
सूचना मिलते ही देर रात आई बैंक टेक्नीशियन टिंकू ओझा एमबीएस अस्पताल पहुंचे और परिजनों की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न किया ।
संस्था के डॉ कुलवंत गौड़ ने परिजनों को बताया कि, दुर्घटना के केस में, यदि पुलिस केस दर्ज होता है, और यदि पोस्टमार्टम कराया जाता है, तो ऐसी अवस्था में देहदान संभव नहीं है, लेकिन परिजन यदि किसी तरह का कोई केस दर्ज नहीं करते हैं,और पोस्टमार्टम नहीं करने के लिए सहमति देते हैं,तो ऐसी अवस्था में देहदान संभव है ।
एमबीएस अस्पताल के डॉ नवनीत शर्मा ने परिजनों को देर रात ही राजेंद्र के देह को , मेडिकल कॉलेज के छात्रों के अध्ययन के लिए स्वीकार करने के लिए सहमति दे दी थी, अतः सुबह 11:00 बजे, परिवार की सहमति के बाद मेडिकल कॉलेज कोटा को राजेंद्र की पार्थिव देह सौंपी गई ।
नेत्रदान देहदान के इस कार्य में, स्व० अमिता भार्गव नेत्रदानी अंगदानी देहदानी संस्था का भी सहयोग रहा ।
बुधवार शाम विजय पाड़ा निवासी विनोद कुमार जैन और जम्मू जैन के भाई राजेंद्र बज़ 'पिंटू' का सड़क दुर्घटना में घायल होने के उपरांत,एमबीएस हॉस्पिटल में उपचार के बाद रात 10:00 बजे आकस्मिक निधन हो गया ।
हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहने वाले राजेंद्र सामाजिक कार्यों से काफी समय से जुड़े हुए थे, उन्होंने अपना देहदान का संकल्प पत्र भी काफी पहले भर दिया था । उनकी अंतिम इच्छा को जानकर, संस्था के ज्योति मित्र सुरेश जैन और मनोज 'निरखी' ने शाइन इंडिया फाउंडेशन को नेत्रदान और देहदान के लिए संपर्क किया ।
सूचना मिलते ही देर रात आई बैंक टेक्नीशियन टिंकू ओझा एमबीएस अस्पताल पहुंचे और परिजनों की सहमति से नेत्रदान का कार्य संपन्न किया ।
संस्था के डॉ कुलवंत गौड़ ने परिजनों को बताया कि, दुर्घटना के केस में, यदि पुलिस केस दर्ज होता है, और यदि पोस्टमार्टम कराया जाता है, तो ऐसी अवस्था में देहदान संभव नहीं है, लेकिन परिजन यदि किसी तरह का कोई केस दर्ज नहीं करते हैं,और पोस्टमार्टम नहीं करने के लिए सहमति देते हैं,तो ऐसी अवस्था में देहदान संभव है ।
एमबीएस अस्पताल के डॉ नवनीत शर्मा ने परिजनों को देर रात ही राजेंद्र के देह को , मेडिकल कॉलेज के छात्रों के अध्ययन के लिए स्वीकार करने के लिए सहमति दे दी थी, अतः सुबह 11:00 बजे, परिवार की सहमति के बाद मेडिकल कॉलेज कोटा को राजेंद्र की पार्थिव देह सौंपी गई ।
नेत्रदान देहदान के इस कार्य में, स्व० अमिता भार्गव नेत्रदानी अंगदानी देहदानी संस्था का भी सहयोग रहा ।

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