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19 मई 2025

शिखा अग्रवाल की श्रंगार एक स्वाभाविक वृत्ति, पुस्तक को देश भर के ब्यूटीशियंस द्वारा सराहा जा रहा है, ब्यूटीशियंस के लिये पुस्तक एक मार्गदर्शक, शोध ग्रन्थ बन गई है,

 

शिखा अग्रवाल की श्रंगार एक स्वाभाविक वृत्ति, पुस्तक को देश भर के ब्यूटीशियंस द्वारा सराहा जा रहा है, ब्यूटीशियंस के लिये पुस्तक एक मार्गदर्शक, शोध ग्रन्थ बन गई है,
यूँ तो सुंदरता , खूबसूरती ,, ब्यूटी ,, भारत की पहचान है , कहते हैं , हर शख्स खूबसूरत और खूबसीरत होना ज़रूरी है , ओर खूबसूरती शक्ल सूरत से नहीं , सीरत यानी व्यवहार, पहनावे, साज सज्जा की सांझा व्यवस्था है, इसीलिये विश्व सुंदरी प्रतियोगिता में यह सभी सांझी व्यवस्थाएं कसौटी पर अव्वल साबित करने के लिये शामिल की जाती हैं, लेकिन कोई खूबसूरत , है , तो कोई खूबसीरत , तो कोई दोनों ही नहीं है , लेकिन वोह चाहे खुद की नज़र में खूबसूरत ना हो , फिर भी लोगों की निगाह में वोह बदसूरत हो , ऐसी किसी की समझ नहीं है , ऐसा है भी नहीं, हर शख्स, हर महिला अपने आप में खूबसूरत है, हमारे देश में , विश्व में , और इन दिनों , बदलती सामजिक व्यवस्था , फैशन ,, फिल्म , टी वी चेनल्स , न्यूज़ चेनल्स ऐंकर , शादी , ,ब्याह , सामाजिक कार्यक्रमों के इस दौर में मेक अप ,, ब्यूटीफिकेशन , शृंगार की अपनी अलग अहमियत हो गई है , आज देश भर में , ब्यूटी पार्लर , हेंडसम पार्लर , ,सेलून , वगेरा की सबसे बढ़ी इंडस्ट्रीज़ है , एक सामाजिक , कार्यक्रम ,, शादी , ब्याह , सगाई , जन्म दिन सहित, सभी कार्यक्रमों में ब्यूटी पार्लर पर लाखों रूपये एक कार्यक्रम के खर्च हो रहे हैं , दूल्हा दुल्हन की तो अलग बात ही, लेकिन रिश्तेदार, नातेदार, आगन्तुक भी पार्लर के मज़े ले रहे हैं, ऐसे में , देश भर के अलग अलग शहरों में ब्यूटी पार्लर का रोज़गार भी कुकुरमुत्ते की तरह से फेल गया है , लेकिन इन सब के बीच यह सही है , के एक महिला , एक औरत ,, एक भारतीय नारी का शृंगार शर्म ओ हया ,, आदाब , अख़लाक़ की अदाओं के साथ , सोलह श्रगार से ही जुड़ा है , पुरानी सभ्यता हो , परियों की कहानी हो, देवी देवताओं की लोक कथाएं हों ,, स्वर्ग की अप्सराएं हो ,, महाराजा, महारानियाँ हों, सोलह शृंगार का जो फार्मूला है , वोह सदियों से आज भी जस का तस है ,, बदलाव आये , फिल्म, टी वी सीरियल सहित कई जगह मेक अप के फार्मूले में चाहै वैज्ञानिक बदलाव आया हो , लेकिन सोलह शृंगार का फार्मूला आज भी जस का तस है , आज भी क़ायम है ,विश्व भर में सोलह श्रगार के इसी ,फार्मूले के बदलाव ,, आधुनिकीकरण , वैज्ञानिक बदलाव को लेकर , लेखिका शिखा अग्रवाल ने , श्रंगार एक स्वाभाविक वृत्ति ,, शीर्षक नाम से ,,दुनिया की उत्पत्ति से लेकर ,, आज तक के अलग अलग काल , अलग अलग देशों की सभ्यता में श्रंगार बदलाव को संकलित कर एक पुस्तकीय रिसर्च दस्तावेज तय्यार किया है , जो ब्यूटी पार्लर से जुड़े उधमियों , आर्टिस्टों , इस काम में लगे स्त्री ,, पुरुषों के लिए बहुउपयोगी दतावेज बन गया है ,, 40 से अधिक विशेषज्ञ के रिसर्च आलेख ,, इस पुस्तक में समामेलित किये गये हैं , जिसमे 46 सौंदर्य , ,प्रसाधन सौंदर्य व्यवस्था ,, तब और अब , बदलते बदलाव , व्यवस्थाओं ,, पोशाकों , बिंदी , टीकी , गजरा , ज़ेवर ,पायल , चूड़ी ,, सिंदूर , ,साफे सहित हर शृंगार व्यवस्था को गागर में सागर भर दिया है , विख्यात लेखिका , शिखा अग्रवाल की इस पुस्तक लेखन में अंतर्राष्ट्रीय लेखक विजय जोशी भी शृंगार की परम्परा और फैशन की धारा के ,,विचारों के साथ सहयोगी साथी , मार्गदर्शक रहे हैं , समरस संस्थान सृजन भारत , गांधीनगर गुजरात जिला इकाई कोटा द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की संकलनकर्ता लेखिका ,, शिखा अग्रवाल ने , इतिहास के हर काल ,में आदिकाल से , वर्तमान काल तक की हर शृंगार व्यवस्था , बदलाव को ,लेकर 40 से भी अधिक विशेषज्ञ लेखकों के सारगर्भित , श्रंगार व्यवस्था बदलाव , ज़रूरतें , श्रगार रस , श्रगार ज़रूरतों ,,शृंगार के तोर तरीकों , पहनावे सहित हर आवश्यक मुद्दों को लेकर , 46 आलेख प्रकाशित किये है , जिसमे कुछ रचनाये श्रृंगार रस को लेकर भी शामिल की गई हैं काव्यांजलि प्रकाशन कोटा द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के मुख पृष्ठ पर ,,सोलह शृंगार से सजी , धजी , एक तस्वीर है , जिन्हे अगर गौर से देखें तो शृंगार के हर रस को , इसमें देखा जा सकता है , ,इस पुस्तक प्रकाशन से साहित्यिक क्षेत्र से जुड़े साहित्यकारों , आम जनता को , श्रंगार को किस वर्तनी में लिखा जाए , इसे भी सिखाने का प्रयास किया गया है , नौसिखिये पढ़े लिखों के लिए , पुस्तक के शीर्षक में , शृंगार शब्द को , जिस वर्तनी में लिखा है , उसे देखकर कुछ लोग भड़क सकते हैं ,, लेकिन जो लिखा है , जो छपा है , वही सही भी हैं , क्योंकि हम देखते हैं , वर्तनी के इतिहास और लेखन शैली , ,शब्दों को , खंगालते हैं , तो पाते हैं कि श्रृंगार का शुद्ध रूप शृंगार ही है, श्रृंगार एक अशुद्ध वर्तनी है, और इसीलिए इसे इस पुस्तक में ऐतिहासिक बदलाव , ऐतिहासिक चुनौती में सही शब्दों में प्रकाशित किया गया है ,,,,,
शिखा अग्रवाल द्वारा सम्पादित , संकलित पुस्तक ,, शृंगार एक स्वाभाविक वृत्ति ,, में , इतिहासकार ललित शर्मा ने , नारी शृंगार के रसराज से जुड़े कला और संगीत पर व्याख्यात्मक लेख लिखा है , तो अक्षय लता शर्मा ने मत कर पिव जी परदेशां व्योपार , रूप जी रूप का आलेख , साहित्य में नारी शृंगार की अभिव्यंजना , वैदेही गौतम की रचना प्रणय निवेदन ,,साहित्यिक लावण्या दो रचनाएँ शामिल हैं , अर्चना शर्मा ने पगड़ी पुरुषों का शृंगार ,,, और सिंगार विषय पर लिखा है , डॉक्टर कृष्णा कुमारी ने , प्रियतम तुम्हारी याद आई ,,रामचरित मानस में शृंगार विषय पर अपनी अभिव्यक्ति प्रकट की है , ,डॉक्टर नेहा प्रधान ने , प्रेम शृंगार और मनोभावों की अभिव्यक्ति में अपने भाव प्रकट किये हैं , जबकि डॉक्टर अपर्णा पांडेय ने , अभिव्यक्ति ,,,,प्रेम को रस रूप में परिणित करता है श्रगार ,,रचनाएँ लिखी हैं , , अक्षय लता शर्मा ने शृंगार एक चिंतन अध्ययन मंथन विषय पर खुलकर शृंगार का वर्णन किया है , इसी तरह तितिक्षा गुप्ता का आलेख मूर्तिकला में नारी शृंगार , विषयानुसार है , जबकि अल्पना गर्ग ने सोलह शृंगार और उनके वैज्ञानिक तर्क पर अपनी क़लम चलाई है , इधर रीता गुप्ता रश्मि शंगार सौंदर्य बिंदिया चमकेगी विषय को निखारा है , प्रसिद्ध लेखक , साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही ने , राजस्थानी का शृंगार काव्य संयोग वियोग का अद्भुत मेल , विषय पर प्रकाश डाला है , दीनदयाल शर्मा का स्टेच्यू ,, टीकम चंद्र ढोढरिया का आलेख रूप निहारे , चंद्र प्रकाश की अभिव्यक्ति , साहित्य मूर्तिकला और चित्रकला में नारी शृंगार पर अपने विचार प्रकट किये है , तो डॉक्टर इंदू बाला शर्मा ने लजाती , सकुचाती गोरी ,, को वर्णित किया है , रेणू सिंह राधे ने शृंगार सजे नारी के अंग अंग, विषय को उल्लेखित किया है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के रिसर्च आलेख , गुदना परम्परा फैशन बन गया टेटू ,,,,परिधानों में शृंगार बोध ,,,बिहारी के साहित्य में शृंगार बोध ,,,विषय पर खुलकर क़लम चलाई है , ,इधर , रेखा सक्सेना ने नारी शृंगार बीसा पर लिखा है , ,नमिता सिंह आराधना ने , साहित्य में नारी शृंगार की उपयोगिता विषय पर प्रकाश डाला है ,, तो डॉक्टर मंजू यादव ने नारी सौंदर्य और प्रसाधन पर खुलकर लिखा है , ,रश्मि वर्मा गर्ग ने नारी शृंगार , सौंदर्य से भरपूर साहित्य को फोकस किया है , ,महेश पंचोली जी की अभिव्यक्ति खिलता गुलाब , मीनाक्षी पंवार मीशात , ने युग युगांतर , से शृंगार की असीम महिमा पर अपनी क़लम चलाई है ,, खुद सम्पादक शिखा अग्रवाल ने , शृंगार का बोध कराता फैशन विषय पर , एवं प्राचीन भारत में फैशन शोधात्मक लेख लिखे है , , रीता गुप्ता रश्मि की रचना शृंगार मेरा बस तुम , प्रार्थना भारती की कृति भारतीय चित्रकला में नारी शृंगार ,, , मेरा प्यार मेरा श्नृंगार , विषय पर हैं , ,कविता गांधी ने भी चित्रकला में नारी शृंगार विषय पर अपने विचार प्रकट किये है , इसी तरह राम मोहन कौशिक की रचना , साहित्य में नारी सौंदर्य एवं शृंगार विषय पर है , तो पल्ल्वी दरक न्याति ने स्त्री शृंगार पर खुलकर क़लम चलाई है , ,डॉक्टर शशि जेन की क़लम , तुमने जब से दस्तक दी है विषय पर चलाई गई है , ,मध्यकालीन कवियों का शृंगार वर्णन विषय पर , अनुराधा गर्ग ने अपनी क़लम चलाई है , इसी तरह ,साजन से ही शृंगार विषय पर साधना शर्मा ने प्रकाश डाला है , जबकि साहित्य में नारी शृंगार विषय को सुश्री हैमलता गाँधी ने अपने शब्दों में उल्लेखित किया है , अनिष कुमार की रचना नारी शृंगार , तरुण राय कागा की रचना पनघट ,, अभिज्ञा गुप्ता की रचना एक बेटी की अभिव्यक्ति प्रमुख रचनाएँ इस पुस्तक में संकलित कर शामिल की गई हैं ,,, लेखिका शिखा अग्रवाल ने ,, अपने सम्पादकीय में , सारगर्भित तरीके से , सौंदर्य , शृंगार ,,विषय पर, आदिकाल से आज तक के अलग अलग चरणबद्ध बदलाव के बारे में व्याख्यात्मक जानकारी दी है , ,लेखिका अर्चना शर्मा ने ,, पुरुषों के लिए पगड़ी के शृंगार का अलग अलग विवरण आलेखित किया है ,जबकि पगड़ी , साफा वगेरा में अंतर् भी दिखाने की कोशिश की है , पुरुषों के लिए पगड़ी , पाग शृंगार के लिए प्रमुखता से दर्शित किया गया है , , अल्पना गर्ग ने ,, सोलह शृंगार और उनके वैज्ञानिक तर्क , ,विषय को व्याख्यात्मक तरीके से , एक शोध लेख के रूप में लिखा है , जिसमे सोलह शृंगार , चूड़ियां , सिंदूर , बिंदी ,, काजल , मेहँदी , अंगूठी , नथ , गजरा , मांग टीका , झुमके , मंगलसूत्र ,, बाजूबंद , कमर बंद ,पायल , बिछिया ,स्नान ,, का ज़िक्र किया गया है , विख्यात लेखक जितेंद्र निर्मोही , ने राजस्थान का शृंगार काव्य संयोग वियोग का अद्भुत मेल है , आलेख में , अलग अलग काल के शृंगार की रचनाओं , दोहों , कविताओं के माध्यम से इसे समझाने का प्रयास किया है , डॉक्टर अपर्णा पांडेय ने संस्कृत साहित्य में शृंगार को पृथक से परिभाषित करने का प्रयास किया है , ,रेणू सिंह राधे ने ,, मन सुंदर तन सुंदर तू सुंदरता की खान है , ,औरत का मन दर्पण वहीँ बस्ते चारों धाम है ,, नख से सिख तक ,अनमोल हर पायदान है , तेरे ये सोलह शृंगार करते खुद पर अभिमान है , जैसी पंक्तियों में नारी और शृंगार की शोभा बढ़ा दी है , ,विख्यात साहित्यकार महेश पंचोली ने , चेहरे से तो आप खिलता गुलाब लगती हो , ,कुछ पढ़ी कुछ अनपढ़ी सी किताब लगती हो , ,बढ़ी शिद्द्त से संवारा खुदा ने आपको यार , हर तरफ से आप बढ़ी लाजवाब लगती हो , बेठ कर निहारा करूं में आपको जीवन भर , मेरे किसी सवाल का आप जवाब लगती हो , होगा नहीं शायद यह हक़ीक़त में बदल जाए ,, इसलिए मुझे एक सुहाना सा ख्वाब लगती हो , कोई मोल , तोल नहीं आपसे हुई मुलाक़ात का , सच मानिये आप मुझे बढ़ी बेहिसाब लगती हो , इस श्रगार पर संकलित पुस्तक की बेहतरीन रचनाओं में से एक है , जिसमे , शृंगार से लदी , सजी संवरी महिला , जिससे एक चाहने वाले के प्यार ,, मोहब्बत का इज़हार अनुकरणीय शब्दों में किया गया है , ,रीता गुप्ता ने तो शृंगार मेरा बस तुम , रचना में ,, श्रगार के लिए काम में आने वाली बिंदिया ,लालिमा ,.सिन्दूर सभी सोलह श्रगार से , याचना करते हुए , कैसे खुद को सजाना संवारना है , उस पर कम शब्दों में बहतरीन तरीके से , अपनी भावनाओं को आलेखित किया हैं ,,, डॉक्टर शशि जेन ने , तुमने जब से दस्तक दी है , रचना में , शृंगार के साथ ,, भावनाओं को जीवंत कर दिया है , ,, साधना शर्मा ने ,साजन से ही शृंगार , रचना में , साजन की अहमियत बयान करते हुए , साजन को शृंगार का मुख्य सर्वोच्च स्थान दिया है , अर्चना शर्मा ने ,, सिंगार, रचना में , शृंगार को विवरणात्मक अंदाज़ में लिख डाला है , ,इस पुस्तक में शृंगार को एक शोध ग्रंथ के रूप में श्रृंगार के हर काल में , हर शासन में , हर धर्म , मज़हब के कार्यकाल के बदलते स्वरूप और वर्तमान में इसकी बढ़ रही , ब्यूटी पार्लर संस्कृति को खूबसूरती के साथ संकलित किया है , देश पर आतंकी हमले का जवाब देने के लिए जब , देश की बहादुर सेना , ,दुश्मन पाकिस्तान पर हवाई हमलों के माध्यम से , जब आतंकियों को निशाना बनाकर , आंतकियों को , उनके ठिकानों को , ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता के साथ , दुश्मन को सबक़ सिखा रही थी , जब देश की दो बहने , ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता , और उसके अटेक के बारे में प्रेस ब्रीफिंग कर रही थीं, जब खुद प्रधानमंत्री ऑपरेशन सिन्दूर की कामयाबी को लेकर , राष्ट्र के नाम संबोधित कर रहे थे , तब ,, कोटा की एक होटल के खूबसूरत हॉल में , शहर के प्रमुख साहित्यकारों , समाजसेवकों , की मौजूदगी में , राष्ट्रभक्ति की ओजस्वी कविताओं के साथ , देश को गौरवान्वित करने वाली सैन्य शक्तियों के साहसिक क़िस्सों के साथ , भारत माता की जय के उद्घोष के साथ , ऑपरेशन सिन्दूर , के वक़्त , शृंगार एक स्वाभाविक वृत्ति , पुस्तक का विमोचन , प्रमुख साहित्यकारों ने किया , जो अपने आप में एक अनूठा उदाहरण रहा ,, पुस्तक प्रकाशन के लिए समरस संस्थान साहित्यिक सृजन भारत गांधी नगर गुजरात , सम्पादिका शिखा अग्रवाल और सभी लेखक बंधुओं , लेखिका बहनों को , दिल से सलाम , सेल्यूट , बधाई , मुबारकबाद , ,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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