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27 मार्च 2025

ज़माना कहता है भारत में पत्रकारिता मर गई है ,

 

ज़माना कहता है भारत में पत्रकारिता मर गई है , ज़माने के साथ साथ , अब तो एलन मस्क का , ब्रांड , ग्रोक , भी तस्दीक़ कर रहा है , के यक़ीनन भारत में पत्रकारिता गोदी मिडिया के रूप में ,, दलाल पत्रकारिता के रूप में जन्म ले चुकी है ,और पत्रकारिता सिसक रही है ,, लेकिन इसी माहौल के बीच अगर ,, कुछ पत्रकार जिनमे से खास तोर पर , दैनिक भास्कर के इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट भाई अवधेश आकोदिया , निर्भीक , नीडर होकर बिना किसी लोभ लालच के लाखों रूपये के ऑफर को ठुकरा कर , अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करवाने में सफल होते हैं , तो यक़ीनन , पत्रकारिता अभी मरी नहीं है , पत्रकारिता अभी ज़िंदा है , वोह यह सो फीसदी साबित कर पत्रकारिता का शर्म से झुका हुआ सर , गर्व से ऊंचा कर देते हैं, अवधेश आकोदिया की क़लम ने आज भी पत्रकारिता को ज़िंदाबाद किया हुआ है , यही सब, उनकी खबरों को पढ़ने के बाद आम जनता के बीच में चर्चा होने लगती है , यूँ तो हर क़दम पर , एक दो सप्ताह में , इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म के नाम पर , अवधेश आकोदिया बेहतरीन खबर दैनिक भास्कर में प्रकाशित करवाकर सभी को चौंका देते हैं , लेकिन जब , डॉक्टर्स रजिस्ट्रेशन में बेईमानी , रिश्वतखोरी , के साथ , फ़र्ज़ी लोगों को डॉक्टर का लाइसेंस देकर , उन्हें जनता के साथ, खिलवाड़ करने की पोल पट्टी सामने आती है , तो फिर अपने इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म के सभी भाव ताव के साथ , अवधेश खांडल खबर खोजने में जुट जाते हैं , अलग अलग जगह, कई बार बात करते हैं , स्टिंग ऑपरेशन करते हैं , और राजस्थान मेडिकल कौंसिल के रजिस्ट्रार के पास फ़र्ज़ी डॉक्टर्स की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट लेकर जब, वोह उनका वर्जन लेने पहुंचते हैं , तो बस ,, राजस्थान मेडिकल कौंसिल के ज़िम्मेदार रजिस्ट्रार साहब कहते हैं , कोई बात नहीं , आप को भी उन फ़र्ज़ी पंजीयन जिनका हुआ है , उनसे रूपये दिलवा देंगे , सेल्यूट करता हूँ में , अवधेष आकोदिया जी को , जिन्होंने इन जनाब के मंसूबों को पैरों तले रौंद दिया , इनके प्रस्ताव को राष्ट्रहित , पत्रकारिता के मूल्य संवर्धन को जीवित कहो , या पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ठुकरा कर , उस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करवाई , में उस वक़्त के दैनिक भास्कर के स्थानीय सम्पादक को भी सेल्यूट करता हूँ , जिन्होंने , सम्पादकीय आदत के मुताबिक़ , बिना किसी नाज़ नखरे के पत्रकारिता के सिद्धांतों को सर्वोपरि माना और , उस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित भी की , वोह बात अलग के अब उस खबर का अंतिम फॉलो अप , ऐंटी करप्शन की जांच कहाँ तक पहुंची , ,कोन ,, कौन दोषी है , कौन गिरफ्तार हुआ ,, इन रजिस्ट्रार साहब के खिलाफ सरकार ने क्या कार्यवाही की और वर्तमान में भी , वही ढीलमपोल , राजस्थान मेडिकल कौंसिल में , नए रजिस्ट्रेशन में , बाहर के डॉक्टर्स , स्थानीय डॉक्टर्स को वेरिफिकेशन के नाम पर क्यों अनावश्यक देरी कर चक्कार कटवाए जा रहे हैं , इसकी फॉलो अप रिपोर्टिंग बंद हो गई है , लेकिन अवधेष आकोदिया ने , किडनी ट्रांसप्लांट घोटाला हो , कर्मचारियों का सरकारी घोटाला हो , कामचोरी , भ्रष्टाचार से संबंधित खबरें हों , प्रमुखता से इन्वेस्टीगेट की , सुबूत जुटाए और फिर आम पाठकों को परोस कर , दैनिक भास्कर के प्रकाशन और , पत्रकारिता के मूल्य संवर्धन को , बुलंदियों पर पहुंचाया है , यूँ तो अवधेष आकोदिया इस तरह की निष्पक्ष , निर्भीक , इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म , के लिए किसी पुरस्कार के मोहताज नहीं , क्यौंकि उनकी इस बहादुर क़लम को राजस्थान ने ही नहीं , देश ने सेल्यूट किया है , वोह बात अलग है , के राजस्थान सरकार ने अभी तक इन खबरों के ज़िम्मेदार, बेईमानों को दंडित नहीं किया है , ओहदों पर बैठा रखा है , लेकिन अवधेश आकोदिया ज़िंदाबाद हो गए , उन्हें कई पुरस्कार , कई सम्मान मिले , हाल ही में , उन्हें फिर एक नया सम्मान मिला है , ,उन्हें सेल्यूट , इस उम्मीद के साथ, के जब पत्रकारिता का मरणासन्न दौर है , सेटिंग और विज्ञापन के बोझ तले , सिसकने का दौर है ,, सरकार और नेताओं के मुखबीर , भेदिये , प्रवक्ता , स्पोक्स पर्सन , दलाली करने , का दौर है , पेड खबरों का दौर है , पत्रकारिता को कलंकित करने , सम्पादकीय विभाग और मालिकों द्वारा पत्रकारों , रिपोर्टर्स के मानवाधिकारों का हनन करने , उनके द्वारा कढ़ी महनत के बाद जुटाई गई निष्पक्ष , खबरों , इन्वेस्टिगेटिव खबरों को कचरे में फेंकने का दौर है, ऐसे दौर में भी वोह पत्रकारिता के मूल्य संवर्धन को जीवित रखे हुए हैं , और रखते रहेंगे , , उन्हें सेल्यूट, सलाम, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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