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26 मार्च 2025

विज्ञापन के नीचे दबकर रह जाती है कोचिंग छात्रों की असली समस्या

विज्ञापन के नीचे दबकर रह जाती है कोचिंग छात्रों की असली समस्या
कोटा मार्च। कुछ भी तो नहीं किया ऐ हुकूमत तुमने हम बच्चों के लिये, फुल पेज विज्ञापन में चुप हैं अखबार, कोचिंग रेगुलेशन बिल रोक दिया तुमने, यूँ ही हमें मरता हुआ देखने के लियें, जी हां कोटा में यही कुछ आवाज़ है, कोचिंग की मनमानियों के बोझ तले दबे बचवहॉं की, आज भी जवाहर नगर कोटा में रहकर कोचिंग कर रहे बिहार के मासूम की आत्महत्या से मौत की खबर आत्मा को झकझोर देने वाली, कलेक्टर एस पी के साथ के खाने, इनके मोटिवेशन खामोश हो गए , तो मुख्यमंत्री राजस्थान भजन लाल जी का कोचिंग रेगुलेशन बिल , कोचिंग दबाव में कोंग्रेस भाजपा की एकता के आगे घुटनों के बल गिर गया, कोटा सीकर सहित , राजस्थान के कोचिंगों पर लगाम लगाने का कोचिंग रेगुलेशन बिल का सपना धरा का धरा रह गया, जबकि दस वर्षों से राजस्थान हाईकोर्ट में सो मोटो संज्ञान में कल 25 मार्च की सुनवाई भी आश्वासन , उम्मीद के नाम रही, , ,मुख्यमंत्री भजन लाल भी , पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की तरह इस मामले में फेल्योर साबित हुए , वोह तो थोड़ी बहुत गर्माहट , राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन , सो मोटो , स्व प्रेरित प्रसंज्ञान में चल रही , रिट में दिए जा रहे आदेश निर्देशों के तहत चल रही है , जिसका प्रशासन पर ,, कोचिंग पर दबाव है , हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने , उच्च शिक्षण संस्थानों में ख़ुदकुशी रोकने के लिए नेशनल टास्कफ़ोर्स बनाने के निर्देश दिए है , ,कॉलेज में आत्महत्याओं को लेकर , सुप्रीमकोर्ट ने कहा है के ऐसे वक़्त में शिक्षण संस्थानों को , माता पिता की भूमिका निभाना होगी , इसके लिए सुप्रीमकोर्ट ने , एक कमेटी भी गठन की है साथ ही वर्ष 2023 में आत्महत्या करने वाले छात्रों के परिजनों की शिकायत के आधार पर , एफ आई आर दर्ज करने के आदेश जारी किये है , कोटा ,, सीकर, राजस्थान के कोचिंग , स्कूली शिक्षण संस्थाओं में भी ऐसे आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट , या राजस्थान सरकार नज़ीर बनाकर लागू क्यों नहीं करवा सकता , ,
देश भर के कोचिंग संस्थानों के महा माया जाल से आज़ादी की जंग के इन्तिज़ार में बैठे , छात्र , छात्राओं , अभिभावकों , समाजसेवकों को , राजस्थान विधानसभा द्वारा कोचिंग नियंत्रण के लिए बनाया गया बिल , बिना पारित किये , प्रवर समिति को भेजे जाने से बढ़ा झटका लगा है , देश में सियासी दलालों के जानकारों ने इस मामले में पहले ही आशंका व्यक्त की थी, की कोचिंग ताक़त के आगे सियासत नतमस्तक रहेगी और हुआ भी यही , देश भर के कोचिंग की व्यवस्था तो अपनी जगह है , लेकिन राजस्थान में सीकर और कोटा कोचिंग का रूहझान अव्वलीन होने पर , कोचिंग गुरुओं की जो मनमानी हुई , उससे देश भर के बच्चे प्रभावित हुए , उनका जन जीवन अस्त व्यस्त होने लगा , डिप्रेशन की समस्या बढ़ी , स्कूली शिक्षा तो मृतप्राय हो गई , स्कूलों ने भी समझौता कर डमी एडमिशन के नाम पर खूब मज़े किये , नतीजा यह रहा के , मेरिट की प्रतिस्पर्धा के बोझ तले , बच्चों का बचपन खत्म हुआ , उम्मीदें टूटने लगीं और , फिर आत्महत्याओं का दौर डिप्रेशन की समस्याएं , स्कूली शिक्षा का रसातल काल शुरू हुआ , लगातार बढ़ रही आत्महत्याओं की खबरों के दबाव में , डेमेज कंट्रोल का प्रयास हुआ , लेकिन राजस्थान की हायकोर्ट ने वर्ष 2016 में सो मोटो , स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर सख्त रुख दिखाया और सरकार को , चेतावनी दी , सुझाव दिए , सरकार के मुख्यमंत्री पद पर कार्यरत पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा सिंधिया ने घोषणा की के हम कोचिंग को नियंत्रित करने , उन्हें मनमानी से रोकने और बच्चों को डिप्रेशन ,, आत्महत्या से बचाने के लिए कारगर क़दम उठाने के साथ , कोचिंग नियंत्रण क़ानून बना रहे हैं , मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया का कार्यकाल खत्म हुआ ,, कोचिंग सरपरस्तों ने वसुंधरा का सियासी वुजूद ही , ज़ीरो करने की कोशिशें शुरू कर दीं ,, फिर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत का नंबर था , हायकोर्ट के आदेश का दबाव था , उन्होंने भी घोषणा की हम कोचिंग को रेगुलेट करेंगे , नियंत्रित ,करेंगे आत्महत्याओं पर हमे अफ़सोस है , लेकिन उन्होंने भी वही दिखावा किया और कोचिंग संस्थानों की जीत हुई , फिर केंद्र सरकार ने एक नीति फेंक दी , वोह भी टांय टांय फिस्स , यानी , चककरबाज़ी और दिखावे का दौर चलता रहा , कोचिंग अज़गर बनकर स्कूली शिक्षा को , बच्चों के बचपन , स्कूली खेलकूद , अनुशासन को निगलते रहे , और नतीजा ,डिप्रेशन , आत्महत्या , आपराधिकरण की तरफ बचपन का रुख होता चला गया ,, राजस्थान हायकोर्ट ने स्व प्रेरित दर्ज जनहित याचिका में , कोचिंग और छात्र छात्राओं की समस्याओं को जाना , जिला प्रशासन के लचरपन को देखा , ,अख़बारों के भ्रामक विज्ञापनों को समझा,बच्चों पर अनावश्यक घंटो पढ़ाई का बोझ , प्रतिसपर्धा के माहौल में , उनके बचपन छीनने की प्रवृत्ति को जाना , ,समझा और राजस्थान सरकार सहित सभी कोचिंग को पक्षकार बनाकर उन्हें उनका पक्ष रखने का अवसर दिया , ताज्जुब है के वर्ष 2016 से चल रही इस स्व प्रेरित प्रसंज्ञान याचिका में राजस्थान हायकोर्ट ने न्याय मित्र भी बनाये , कोचिंग और छात्र छात्रों के डिप्रेशन , प्रबंधन के सभी पहलुओं को जाना , समझा और इन दस सालों के अंतराल में ,, हायकोर्ट ने 65 से भी अधिक आदेश ,, निर्देश , नीतियां , सुझाव जारी किये , कलेक्टर्स , पुलिस अधीक्षक को बुलाकर हालात जाने , लेकिन कोचिंग तो कोचिंग ठहरे , जिला स्तर पर नीतियां बनीं , कमेटियां बनीं , राजस्थान सरकार ने कमेटी भेजी ,और फिर भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार ने , कोचिंग नियंत्रण क़ानून को विधानसभा में पेश कर दिया , उम्मीद थी , कुछ तो होगा , लेकिन दावेदारों का कहना था , छोड़िये जनाब यह कोचिंगों के खिलाफ मामला है , ऐसे नहीं चलेगा अभी देखिये , सब मटियामेट होने वाला है , और हुआ भी यही , कोचिंग नियंत्रण के सभी दावे धरे रह गए , कांग्रेस भाजपा के सभी नेता , मंत्री , पूर्व मंत्री एक जुट हो गए , नतीजा कोचिंग नियंत्रण की उम्मीद , टूट गई और यह बिल बिना पारित हुए , विधानसभा स्थगित होने के दिन ,, प्रवर समिति को भेजने की घोषणा कर दी गई , स्कूलों के हालात तो सभी देख रहे हैं , स्कूली शिक्षा खत्म हो गई है , स्कूल रो रहे हैं , कुछ स्कूलों ने कोचिंग द्वारा स्कूली व्यवस्था के तहत घंटों पढ़ाई का मुद्दा उठाया , एक छात्र एक बार में एक ही जगह उपस्थित रहे , स्कूली टाइम के बाद ही कोचिंग व्यवस्था हो , तो ऐसी आवाज़ उठाने वालों को , केंद्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की आकस्मिक जांच के बाद , सबक़ मिल गया , जबकि ,, कोचिंग में स्कूली शिक्षा की तरह , स्कूली दक्ष ट्रेंड शिक्षकों द्वारा शिक्षा नहीं देकर , तनाव के हालातों में पढ़ाई करने की व्यवस्था पर , केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोई आवाज़ नहीं उठाई , कोई जांच व्यवस्था नहीं की , कोटा कोचिंग को सभी जानते है , यहां बढ़ी बढ़ी बिल्डिंगे है , कोचिंग साम्राज्य है ,, कोचिंग गुरुओं के एक इशारे पर प्रॉपर्टी डीलर अफवाहें फैलाकर , करोड़ों करोड़ रूपये प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करवा देते हैं , वैसे तो कोटा के कोचिंग को कोई नुकसान नहीं है , सब्ज़ बाग दिखाकर कोचिंग मालिकों ने तो अपनी बिल्डिंग प्रोपर्टियां बना ली हैं , पार्टनर्स बना लिए है , अलग अलग राज्यों में विकेन्द्रीकरण कर व्यवस्थाएं कर ली हैं , मरण अगर है तो कोटा में मिडिल क्लास लोगों का है जिन्होंने ,, स्टूडेंट के लालच में कई मंज़िला ,, कई सो कमरों के हॉस्टल , मेस बना ली हैं , पी जी बना लिए हैं , लेकिन विकेन्द्रीकरण होने के कारण स्टूडेंट अलग अलग राज्यों में रुक गए है , दूसरे यहां जिला प्रशासन द्वारा बार बार सकारात्मक माहौल बनाने के प्रयास करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पा रहे हैं , अब कोचिंग रेगुलेशन में , स्कूलों से अलग शिक्षा , पांच घंटे पढ़ाई , कोचिंग पहले छोड़ने पर फीस वापसी , व्यवस्थाएं , अवकाश की समय सीमाएँ , नियम क़ायदे क़ानून से , कोचिंग बंदिशों में बंधना नहीं चाहते इसलिए ,, हायकोर्ट के क़रीब 65 आदेशों के बाद भी राजस्थान विधानसभा में कोचिंग बिल पेश तो हुआ ,लेकिन कांग्रेस भाजपा गठबंधन के साथ ही , एक ही दिन में विधानसभा स्थगित और कोचिंग बिल ,, प्रवर समिति के हवाले के साथ , उसका ढक्क्न बंद हो गया ,, ताज्जुब है ,, के राजस्थान में तीन मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया , अशोक गहलोत , और भजनलाल जी अभी तक कई साल गुज़रने पर भी कोचिंग बिल नहीं पारित करवा पाए ,, हाईकोर्ट सो मोटो प्रसंज्ञान के बाद कई जजों के बदलने , सो से भी अधिक सुनवाई के बाद , पेंसठ अलग अलग आदेश ,, निर्देशों के बाद भी ,, कोचिंग व्यवस्था में सुधार नहीं आया है , अख़बार तो फुल पेज विज्ञापन के पार्टनर है , जबकि सियासी लोग भी एडमिशन छूट , फीस माफ़ी , रियायतें और निजी कार्यों की मदद , इलेक्शन मदद , सहित कई मामलों में शामिल होने से , जी हुज़ूरी में हैं , ,राहुल जी आएं तो यहां , मुख्यमंत्री आएं तो यहां , मंत्री आएं तो यहां , योग हो तो इनके ज़रिये , अपराध हो जाए , मर्डर हो जाए तो अपराधी को पकड़ने पर इनाम की घोषणा कोचिंग गुरुओं की तरफ से ना जाने क्या क्या , खेर कोरोना में कोचिंग मदद की भूमिका लाजवाब रही , , मददगार रही , लेकिन कोचिंग को सकारात्मक रुख बनाना होगा , खुद भी कमाए , कोटा के मध्यमवर्गीय लोगों के लिए भी रोज़गार के अवसर फिर से शुरू करवाए , छात्र छात्राओं में प्रतिसपर्धा की जगह , मनोवैज्ञानिक तरीके से , पारिवारिक माहौल में उनका पालन पोषण करते हुए , उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए , यूँ तो कोटा में कोचिंग में पढ़े हुए किसी भी स्टूडेंट अधिकारी को , कोटा में किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं करना चाहिए , क्योंकि कई चीज़े प्रभावित होती है , लेकिन कोटा कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक ने , कोटा के कोचिंग के छात्र छात्राओं के साथ बैठकर रोज़ मर्रा नहीं तो एक दो दिन बीच , अपन सारा प्रशासनिक कार्य छोड़कर खाना खाया , उन्हें मोटिवेट किया , लेकिन इन सब के बावजूद भी कोचिंग को , क़ानून की बंदिशों में बाँध कर अगर नियम क़ायदे नहीं बनाये तो कोचिंग फिर कोचिंग नहीं , अराजक व्यवस्था का हिस्सा कहलायेंगे , इसलिए खुद कोचिंग को ही खुद को क़ानून की बंदिशों में बाँधने के लिए स्वप्रेरित व्यवस्था देना होगी , नहीं तो , सरकार का तो आलम दो दशक से देश देख रहा है , हायकोर्ट में दस सालों से पेंसठ आदेश हुए , सैकड़ों सुनवाई हुई , लेकिन ,,कोचिंग नियम अभी भी नहीं बन पाए , हर बार हायकोर्ट में बिल लाने , क़ानून बनाने के वायदे बस वायदे , सी पी जोशी पूर्व शिक्षा मंत्री जब कोचिंग को रेगुलेट नहीं कर सके तो कोई भी नहीं कर सकता , सी पी जोशी ने , शिक्षा मंत्री होते हुए , एक घोषणा की थी , जिसमे उन्होंने कोचिंग रेगुलेट करने , और एम बी बी एस ,, बाहरवीं की प्रतिशत रेंक के आधार पर एडमिशन की घोषणा की थी ,बाद में खुद ही कोचिंग कोचिंग घूमते रहे , और वोह घोषणा हवा हवाई हो गई , ,, अभी कोटा ज़िले के विधायक मदन जी दिलावर खुद शिक्षा मंत्री हैं, लेकिन कोचिंग शक्तियों के मुकाबले बच्चों , स्कूली शिक्षा, अभिभावकों का दर्द ना जाने कोई वाली कहावत यहां , लोकसभा अध्यक्ष के संसदीय क्षेत्र में भी चरितार्थ सी लग रही है जिसका एक ही इलाज कोचिंग रेगुलेशन नियंत्रण क़ानून, स्कूली शिक्षा को पुनर्जीवित करने का सख्त कानून, ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

 

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