पहला रोजा रखकर अकीदतमंदों ने की बुराइयों से तौबा
कोटा 2 मार्च माह-ए-रमजान में पहले रोजे के साथ ही मोमीनों ने बुराइयों से तौबा कर ली। रविवार की सुबह सहरी के बाद दिन का रोजा रखा गया।
वहीं मस्जिदों में कुरानख्वानी और तरावीह आरंभ हो गई। घरों में भी अकीदतमंदों ने कुरान की तिलावत पाठ शुरू कर दिया है। दिन भर रोजा रखने के बाद शाम को नमाज में उलेमाओं ने रमजान के महत्व पर प्रकाश डाला।मौलाना शौकत ने बताया कि रमजान के महीने में ही कुरान शरीफ नाजिल हुई थी।
मौलाना शौकत ने बताया कि यह इबादत और फजीलत का महीना है। इसमें किए गए सबाब का फल कई गुना अधिक मिलता है। उलेमाओं ने कहा कि रोजे का मतलब दिनभर सिर्फ भूखे प्यासे रहना नहीं है, बल्कि सभी तरह की बुराइयों से तौबा करना भी है। रमजान में हर अंग का रोजा होना चाहिए, यानी हाथों से न कोई गलत काम करना चाहिए और न ही जुबान से गलत बोलना चाहिए।
इसके अलावा आंख, नाक, पैर सहित सभी अंगों पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि इससे कोई गलत कार्य न हो सके।पार्षद सलीना शेरी ने बताया दिनभर रोजा रखने के बाद शाम को मस्जिदों और घरों में इफ्तारी की गई। बाजारों में इफ्तारी खरीदने वालों की भीड़ भाड़ रही इसके बाद मस्जिदों में रात साढ़े नौ बजे तरावीह की नमाज अदा की गई। महिलाओं ने घरों पर नमाज अदा की घरों में भी कुरानख्वानी शुरू हो गई। अब पूरे माह अकीदतमंद रोजा रखकर इबादत में मशगूल रहेंगे। पार्षद सलीना शेरी ने कहा कि रमजान में इबादत का 70 गुना अधिक सवाब मिलता है।
मालूम हो कि इस्लाम में माह-ए-रमजान को अल्लाह का महीना माना गया है। यही कारण है कि इसे इबादत और बरकतों का महीना भी कहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)