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25 मार्च 2025

साहित्यकारों ने अच्छे परिणामों की आशा जताते हुए शोध के लिए उपयोगी संदर्भ ग्रन्थ बताया

 

साहित्यकारों ने अच्छे परिणामों की आशा जताते हुए शोध के लिए उपयोगी संदर्भ ग्रन्थ बताया
के.डी. अब्बासी
सूचना और जन संपर्क विभाग राजस्थान के पूर्व संयुक्त निदेशक और लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल द्वारा लिखी गई पुस्तक " राजस्थान के साहित्य साधक" इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह भी है इसमें 62 साहित्यकारों को शामिल किया गया है जो न केवल राजस्थान के वासी हैं, प्रवासी भी हैं। सुर्खियों में आना लाज़मी हैं। पूरी फेसबुक साहित्यकारों की टिप्पणियों से भरी हैं। दूर दूर से साहित्यकार फोन पर उन्हें बधाइयां दे कर पुस्तक के भविष्य में अच्छे परिणामों की आशा कर इसे उपयोगी शोध ग्रन्थ बता रहे हैं। मैंने कुछ साहित्यकारों के विचार फेसबुक पर देखे। राजस्थान साहित्य अकादमी के तीन बार अध्यक्ष रह चुके वेद व्यास का कहना है , " जो काम अकादमियों को करना चाहिए वो आप कर रहे हैं। आप तो अपने आप में संस्था हैं। बहुत ही बेहतरीन पुस्तक है और साहित्य जगत के लिए एक शोध ग्रन्थ शामिल होगी। इसके लिए आपका सार्वजनिक सम्मान किया जाना चाहिए। भूमिका के लिए विजय जोशी की मुक्त कंठ से सराहना की।" रतलाम से विख्यात साहित्यकार अजहर हाशमी का कहना है, " जो काम किया है वर्षों में बिरला ही करता है। साहित्यकारों के साक्षात्कारों को जिस खूबसूरती से शब्द शिल्प के साथ पुस्तक का रूप दिया है अप्रतिम है। साहित्य की किसी भी दृष्टि से देखते हैं तो अपने आप में संपूर्ण उत्तम कृति बन गई है।"
राजस्थान साहित्य अकादमी के ही अध्यक्ष रहे इंदुशेखर तत्पुरुष का कहना है, " पुस्तक से आपके अध्यवसाय और लेखकीय निष्ठा का पता चलता है। आपकी यह साहित्य–सेवा अभिनन्दनीय है। राजस्थान के कुछ लेखकों एवं साहित्यकारों के रचनात्मक अवदान को प्रकाशित कर आपने साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है। इस संचयन में कुछ ऐसे अल्पज्ञात साहित्य–साधक भी प्रकाशवृत्त में आए हैं जो अब तक के अकादमिक और सांस्थानिक अध्ययनों में दिखाई नहीं पड़ते। इस दृष्टि से भी यह संपादन कार्य उपयोगी सिद्ध होगा, ऐसा विश्वास होता है।"
कानपुर से विख्यात साहित्यकार राजेंद्र राव ने कहा, " इससे राजस्थानी लेखकों को देश भर में पहचान मिल सकेगी।" कोटा के मोहन वर्मा ने कहा, " नए लेखकों को प्रोत्साहन के लिए इस पुस्तक का योगदान सदा स्मरण किया जायेगा।" जयपुर से साहित्यकार फारुख आफरीदी ने कहा, " अच्छे काम की तारीफ तो होगी ही। वाकई बड़ा काम हुआ है।"
कोटा के साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही कहते हैं," पुस्तक की विशेषता है कि इसमें में अंचल के साहित्यकारों सहित राजस्थान साहित्य के प्रमुख स्तम्भों में से वेद व्यास और नंद भारद्वाज जैसे लेखक भी हैं तो राजस्थानी भाषा साहित्य के डॉ.नीरज दइया भी। देश की प्रतिनिधि साहित्यिक पत्रिका " वागार्थ" की सम्पादक कुसुम खेमानी भी है तो देश के प्रख्यात कथाकार राजेंद्र राव भी, बालकवि बैरागी और चंद्र सेन विराट की परंपरा के गीतकार अजहर हाशमी भी । कुल मिलाकर यह कृति इस अंचल के समीक्षा क्षेत्र में एक महनीय कार्य है। इसका साहित्य जगत में व्यापक स्वागत होगा। " मुंबई के साहित्यकार डॉ. ओम नागर ने कहा,"लेखक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल निरंतर हाड़ौती अंचल और प्रांत के लेखकों की रचनात्मकता को सामने लाने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रहें है। जो कि उनके कला और संस्कृति के प्रति उनके गहरे अनुराग का परिचायक है। देश -प्रदेश के सृजकों के सृजन पर केंद्रित नवीन पुस्तक शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।"बूंदी के रामस्वरूप मूंदड़ा ने कहा," आपका यह श्रमसाध्य कार्य भावी पीढ़ी के लिए संदर्भ ग्रन्थ साबित होगा।" करौली से साहित्यकार डॉ. पुरुषोत्तम 'यक़ीन' कहते हैं , " लेखक डॉ. सिंघल का यह तारीख़ साज़ कारनामा तहक़ीक़ी मरहलों के लिए यक़ीनन मश्अले-राह साबित होगा और मैआरी अदबी सरमाये में गिरॉंक़द्र इज़ाफ़ा करेगा।"
साहित्यकार नंद भारद्वाज ने भी वेद व्यास जी की बात से सहमत होते हुए कहा कि आप ने वाकई एक महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न किया है और उसके लिए जितनी सराहना की जाय, कम है। " उदयपुर की साहित्यकार डॉ. मंजु चतुर्वेदी कहती हैं, " राजस्थान में यह पुस्तक साहित्यालोचन और वैचारिकी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शोधार्थी राजस्थान के साहित्य पर जब भी काम करेंगे ये पुस्तक आधार बनेगी।" जयपुर से मंजुला सक्सेना ने कहा, "
इस काम में परिश्रम साफ झलकता है जितनी सराहना की जाए कम है। साहित्य शोध की दृष्टि से यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी ऐसा विश्वास है।" कोटा की डॉ. अपर्णा पाण्डेय ने कहा , "यह काम स्मरणीय है। भविष्य में इसके सुखद् परिणाम आयेंगे।" साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने कहा," सदियों में आता है ऐसा ग्रन्थ। इसके लिए लेखक का अथक परिश्रम अद्भुत और प्रेरक है।" एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा, " यह पुस्तक साहित्य जगत में किसी ख़ज़ाने से कम नहीं है। जब भी कोई साहित्यकारों पर शोध करेगा इसे अनिवार्य रूप से देखेगा ।" कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने पुस्तक को अपनी भूमिका ने साहित्य जगत की अमूल्य निधि बताया।"
इन प्रमुख टिप्पणियों के साथ - साथ ओडिशा से दिनेश कुमार माली, उदयपुर से डॉ. विमला भंडारी, मुंबई से किरण खेरुखा, अजमेर से संदीप अवस्थी, डॉ. पारलिया, कोलकाता से राजेंद्र केडिया , राजस्थान के जन संपर्क विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डॉ. गोपाल शर्मा, रामावतार बुनकर, प्रभात गोस्वामी, बाल मुकुंद ओझा, कोटा के हेमराज सिंह हेम, रघुनंदन हटीला, डॉ. कृष्णा कुमारी, डॉ. वैदेही गौतम सहित राजस्थान के कई साहित्यकारों के संदेश प्राप्त हुए हैं।
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