भाजपा में 75 वर्ष के बाद सेवानिवृत्ति फार्मूले के चलते ,, सैद्धांतिक तोर पर अगर नरेंद्र जी मोदी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया ,. तो भाजपा में अमित शाह , योगी आदित्यनाथ , नितिन गड़करी ,, राजनाथ सिंह में से कोई प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित हो सकते हैं , ,,,,,,,इस फेरबदल से राजस्थान की राजनीति भी प्रभावित होने की संभावना
17 सितम्बर 1950 को तात्कालीन बॉम्बे राज्य के मेहसाणा जिला स्थित वडनगर ग्राम में जन्में नरेंद्र जी मोदी आज , भारत ही नहीं , पुरे विश्व में शीर्षस्थ स्थान पर है , उन्हें चाहने वाले जानते है , के वोह सिद्धांत के पक्के ,वचन के पक्के , और भाजपा,, संघ के सिद्धांतों का शत प्रतिशत पालन करते है , वोह जो दूसरों के लिए नियम बनाते हैं , वोह खुद पर भी लागू करते हैं , उनकी इसी नैतिकता ,,इसी सिद्धानातवादिता ने , उनके चाहने वालों की नींद उड़ा रखी है , और 17 सितम्बर 2025 के पहले फार्मूले के अनुरूप कुछ लोगों ने गुपचुप तरीके से , भारत में नए प्रधानमंत्री की तलाश शुरू कर दी है ,,, भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व काल में देश ने देखा है , के 75 वर्ष के बाद कितना ही मज़बूत हो , लोकप्रिय हो , उसकी भाजपा की सक्रिय राजनीति में कोई जगह नहीं है ,, उन्हें सम्मान दिया जाता है मार्ग दर्शन मंडल में रखकर उनसे उनके अनुभवों के आधार पर परामर्श लिया जाता है , 75 वर्ष पुरे होने के बाद नरेंद्र जी मोदी भी पूर्व सेद्धानतिक प्रणाली के तहत सम्मानित मार्गदर्शन मंडल में शामिल हो सकते है और देश का प्रधानमंत्री कोई नया हो सकता है , , भाजपा बेहतर से बेहतर प्रधानमंत्री देश को देने के लिए वचनबद्ध है इसलिए भाजपा में अब नितिन गडकरी , योगी आदित्यनाथ , राजनाथ सिंह या फिर कोई और के नाम पर आंतरिक रूप से बहस होना संभावित है ,, अगर भाजपा अपने सिद्धांत , फार्मूले पर अडिग रहती है , तो इससे भाजपा का सम्मान पूरे भारत ही नहीं , विश्व स्तर पर भी बढ़ेगा , भाजपा को खतरा है के सभी के लिए 75 पार के बाद रिटायरमेंट सिद्धांत लागु होता रहा है , अगर अब इस सिद्धांत को किसी भी वजह से बदला गया तो फिर भाजपा की नैतिकता ,, सिद्धांतों को लेकर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा , इस मामले में , पिछले दिनों , अरविन्द केजरीवाल आप पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष ने सवाल उठाये थे , खुद आर एस एस के मोहन जी भागवत साहब से सिद्धांत और नैतिकता को लेकर सवाल किये थे , भाजपा ज़मीन से जुडी पार्टी है , इसके पास नेतृत्व की कमी नहीं है , स्कूली स्तर से लेकर , कॉलेज स्तर तक , विशेष प्रशिक्षण फिर संघ में नैतिकता का पाठ पढ़ने के बाद ही , राजनीति में शामिल होने वाले इस भाजपा के पास एक से एक ज़िम्मेदार भरे पढ़े हैं , इसलिए बेहतर से बेहतर कौन इस मामले में तो कोई चिंता का विषय ही नहीं है , वैसे अमित शाह भी इस लाइन में आगे लाये जा सकते हैं , ऐसे में नए प्रधानमंत्री को लेकर नितिन गडकरी , योगी आदित्यनाथ , राजनाथ सिंह , अमितशाह सहित कई भाजपा के नौ रत्नों में से किसी को आगे क्या जा सकता है , ,लेकिन इस फेरबदल ,, या बहानेबाज़ी कर इस फेरबदल को रोकने के प्रयासों के चलते राजस्थान का शीर्ष नेतृत्व कमज़ोर किया जा सकता है , यहां शीर्ष पद पर बैठे किसी को , राज्यपाल या फिर उप राष्ट्रपति के बदले दूसरा उपराष्ट्रपति बनाकर पद पर बैठाया जा सकता है ,, अगर ऐसा हुआ तो राजनीतिक रूप से राजस्थान फिसड्डी हो जाएगा ,,,खेर देखते हैं , 75 वर्षीय रिटारयमेंट फार्मूले पर भाजपा के सिद्धांत , नैतिकता का फैसला एक ब्रेक के बाद ,,, ,,भारत में बेहतर से बेहतर मिला है , और खासकर भाजपा ने तो देश में सिद्धांतों के फार्मूले तय कर , बिना किसी झिझक के बेहतर से बेहतर दिया है , , भारत को भाजपा ने , नौजवानों का फार्मूला दिया , 75 साल बाद राजनीति से सन्यास ,, यानी रिटायरमेंट और मार्गदर्शन मंडल का फार्मूला स्थापित किया ,, भाजपा के नरेंद्र मोदी देश में दूसरे प्रधानमंत्री है , जो तीसरी बार बने है , इसके पहले अटल बिहारी वाजपई भाजपा से देश के प्रधानमंत्री थे वोह भी तीन बार कमोबेश भारत के प्रधानमंत्री रहे थे , चाहे 13 दिन ,, 13 महीने फिर पूरे पांच साल के कार्यकाल में रहे हों , देश जानता है , नरेंद्र मोदी भारत के सिद्धांतवादी प्रधानमंत्री मंत्री है , भाजपा और संघ के वफादार सिद्धांतवादी सिपाही है , जो फार्मूले उनके कार्यकाल में , लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी सहित दूसरे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर लागू हुए , वही फार्मूले वोह खुद पर भी , स्वेच्छिक लागू कर सम्भवतः आगामी 17 सितम्बर को 75 वर्ष के लागू होने के बाद देश के सामने सिद्धांतवादी होने का प्रमुख उदाहरण पेश कर सभी को चौंका सकते हैं ,, - दरअसल, 2014 में नरेंद्र मोदी ने 75 पार के नेताओं को कैबिनेट में नहीं रखा था, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तक को मार्गदर्शक मंडल तक सीमित कर दिया था,, उसी दौरान पार्टी में स्पष्ट कर दिया गया था कि चुनाव लड़ने की अधिकतम आयु सीमा 75 साल है। बीजेपी शासित राज्यों में भी यही फॉर्मूला अपनाया गया,, गुजरात में मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल को 75 की उम्र पार होते ही कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने यह आयु सीमा पूरी होने से महीने पहले ही पद छोड़ दिया था,, फेसबुक पोस्ट में उम्र ही उन्होंने इस्तीफे की वजह बताई थी, देश ने खुद देखा है ,, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री नेतृत्व काल में , आडवाणी और जोशी जैसे , भाजपा को ज़िंदाबाद करने वाले नेता मार्गदर्शक तक सीमित रखे गए थे ,, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी , मंत्री और राष्ट्रपति पद से वंचित रहे, संगठन में मार्गदर्शक मंडल तक सीमित रहे,, जिस मार्गदर्शन मण्डल की आजतक एक भी बैठक नहीं हुई,,, आनंदीबेन पटेल ,, गुजरात की मुख्यमंत्री थीं, पद से उम्र के फार्मूले की वजह से हटना पड़ा,, नजमा हेपतुल्ला ,, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद थीं और केंद्र में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री, 75 की उम्र होने पर न चाहते हुए पद छोड़ना पड़ा,, फिर राज्यपाल बनाई गईं ,, यशवंत सिन्हा , झारखंड के हजारीबाग से जीतते रहे थे उन्हें रोक दिया गया जबकि वह अटल सरकार में वित्त-विदेश मंत्री रहे, फिर टिकट उनके बेटे को दिया, यशवंत ने जून 2015 में कहा था कि - ‘बीजेपी में 75 पार के लोगों को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है,,
उत्तराखंड के पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी , को मंत्री नहीं बनाया था जसवंत सिंह , , अरुण शौरी , लालजी टंडन , कल्याण सिंह , केशरी नाथ त्रिपाठी ,समेत कई नेता उम्र की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर कर दिए गए थे ,,, यह सब देश ने देखा है , अब देश की नज़रें , देश की जनता की नज़रे , भाजपा द्वारा नरेंद्र जी मोदी के प्रधान मंत्री कार्यकाल में प्रतिपादित इस सिद्धांत को खुद पर कैसे क्रियान्वित किया जाता है , इसके नतीजे पर हैं , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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