कोटा चम्बल फर्टिलाइज़र्स गढ़ेपान के विरुद्ध आज तक किन किन सियासी लोगों ने आवाज़ नहीं उठाई है , ,इनके गेस्ट हाउस में सेर सपाटे किन किन के कहने से लगातार महमान नवाज़ी हुई है ,, इस फैक्ट्री के प्रबंधन ने समाज कल्याण और विकास के नाम पर चैरिटी फंड से ,, किस किस नेता और प्रभावशाली लोगों के कहने से , ,सड़क निर्माण , शाला सहयोग , श्मशान विकास सहित चैरिटी कार्य किये है , ,गत बीस वर्षों का लेखा जोखा ,, तीस वर्षों का लेखा जोखा अगर निकल जाए , तो पता चल जाएगा गड़बड़ ,, नतमस्तक कहाँ है ,, गोडावण अभ्यारण्य ,,, रुग्घी नाले की मछली जल जीव संकट , आसपास खेती की फसल का रकबा , नज़दीक ही अवैध खनन ,,, अवैध क्रेशर ,, यह सब किन प्रभावशाली लोगों के हैं , ,अगर केंद्र सरकार की टीम या राजस्थान सरकार की टीम निष्पक्ष जांच कर ले , पुराने चालीस साल से अभी तक की शिकायतें ,शिकायतकर्ताओं से सेटिंग , उनकी चुप्पी , मुक़दमे बाज़ी फिर खामोशी , एफ आर मामलों की ही जांच हो जाए तो एक कहानी खुलकर सामने आएगी , सफेद पॉश लोग , परत दर परत लोगों के असली चेहरे के साथ सामने आएंगे , ,और एक उप अधीक्षक एस सी एस टी सेल के भेरू लाल जी ने जो जांच की थी , दिल्ली के फैक्ट्री मालिकों तक को हिला दिया था , उस जांच को भी सार्वजनिक कर दें तो जनता के सामने कई सच आ जाएँ , ,लेकिन , क्या ऐसा हो सकेगा , क्या कोई भी सत्ता पक्ष ,प्रतिपक्ष का नेता मंत्री ,पूर्व मंत्री विधायक , पूर्व विधायक , एक शब्द भी इस तरह की जांच करवाने के मामले में बोल सकेंगे , बस तात्कालिक घटना पर खबर प्रकाशन फिर बिना फॉलो अप के ख़ामोशी फिर वही हर बार की तरह क्लीन चिट ,, खेर देखते हैं एक ब्रेक के बाद , क्योंकि मामला बच्चों की जान जोखिम से जुड़ा है , बिना किसी दबाव में आकर काम करने वाले , शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के शिक्षा विभाग के स्कूल के बच्चों के संकट से जुड़ा है , ,मामला कोटा ज़िले से जुड़ा है , जहाँ के कलेक्टर खुद डॉक्टर हैं , और नियमित रूप से बच्चों के प्रति उनके हॉस्टल , कोचिंग जाकर उन्हें मोटिवेट कर रहे हैं , इससे उनके दिल में बाल प्रेम खुलकर नज़र आता है , दो तीन पत्रकार ,, जो पत्रकारिता में , पर्यावरण ,, प्रदूषण जर्नलिज़्म का हुनर रखते हैं , वोह रिटायर हो गए है ,उनमे से एक तो एक विशिष्ठ पार्टी विचारधारा के इशारे पर चलते हैं , तो उनसे तो खेर कोई उम्मीद नहीं , लेकिन एक पत्रकार जो निष्पक्ष है , जो खुलकर सच लिखने का अब साहस कर रहे हैं , आज़ादी का जश्न बना रहे हैं ,सेवानिवृत्ति के बाद उनकी हर पोस्ट सच का विश्लेषण है , वोह धीरेन्द्र जी राहुल प्रारम्भ काल से ही , प्रदूषण , पर्यावरण मामले के विशेषज्ञ रहे हैं , एक अन्य भी हैं , , लेकिन उनसे उम्मीद नहीं , हाँ मुझे भरोसा है , धीरेन्द्र राहुल जी , अपने पुराने अनुभवों ,, पुराणी खबरों के अनुभवों , पुराने खबर सोर्स ,, पर्यावरण ,, प्रदूषण मानदंडों के विशेषज्ञ होने से ,, एक सच तो उजागर ज़रूर करेंगे ,, ,इंशा अल्लाह , इन्तिज़ार है ,, इन्तिज़ार रहेगा , और इन्तिज़ार एक विशेषज्ञ ,, निष्पक्ष ईमनादार रिपोर्ट ,, विशेलषण के साथ , एक आर्टिकल के रूप में सामने भी आएगा , हो सकता है ,, सम्भव है ,, मेरा अंदाज़ा आज के वर्तमान जर्नलिज़्म सेट अप में गलत साबित हो जाए और में सोचता हूँ काश ऐसा ही हो जाए , मुझे अख़बारों में , सूक्ष्म ईमानदार विश्लेषण के साथ , ,खोजपूर्ण खबर , स्टिंग ऑपरेशन की खबर पढ़ने को मिल जाए तो यक़ीनन में आज के जर्नलिज़्म को फिर से सेल्यूट करने लगूँ ,, उनसे में भी इस बुढ़ापे में कुछ सीखने की कोशिश करूँ , और सीना ठोककर कहूँ , हमारे कोटा में पत्रकारिता मरी नहीं है , व्यवसायिक नहीं हुई है , यहना पत्रकारिता ज़िंदा है , ज़िंदा थी , ज़िंदा रहेगी , ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 फ़रवरी 2025
कोटा चम्बल फर्टिलाइज़र्स गढ़ेपान के विरुद्ध आज तक किन किन सियासी लोगों ने आवाज़ नहीं उठाई है
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