लौट के बुद्धू घर की तरफ आना चाहते हैं, लेकिन आएंगे नहीं , क्योंकि कोंग्रेस में आज भी नीति निर्धारक चमचे, चापलूस, भाजपा के कमलछाप मुखबीर, विचारक भरे पड़े हैं, अभी भाजपा में जाने की लाइन में खड़े हैं, शुद्धिकरण , ही एक रास्ता, सभी को हटाकर फिर से ऐ बी सी डी , कोंग्रेस के लिखित संविधान के अनुरूप चलें तो ही सम्भव, आज भी ब्लॉक, ज़िला , प्रदेश, राष्ट्रीय कोंग्रेस कार्यालय सूने पढ़े है, वहां नियमित बैठने वाले नहीं, ज़िलों में राहुल जी हों, खड़गे जी हों, मंत्री , मुख्यमंत्री, हों , कोंग्रेस कार्यालयों में जाकर बैठक करते ही नहीं, कार्यकर्ताओं के दुख दर्द में साथ आते ही नहीं बोलते ही नहीं, कोटा में तो कई कोंग्रेसी भाजपा में चम्पीगिरी कर रहे हैं, जबकि कई कोंग्रेसी आज भी कोटा भाजपा नेताओं के इशारे पर मुद्दों पर चुप है, भाजपा नेताओं की क़दम बोसी में लगे हैं, कोटा कोंग्रेस , प्रदेश कोंग्रेस की लिस्ट से भाजपा में शामिल हुए पलटू बाज़ , ओर खुले रूप से चुनावों में कोंग्रेस से गद्दारी करने वाले सूचीबद्ध गद्दारों को कोंग्रेस से निकालकर सूची आज तक सार्वजनिक नहीं कि है, लोग पूंछते हैं, कोटा कोंग्रेसियों का भाजपा से यह रिश्ता क्या कहलाता है, कोटा लोकसभा में प्रह्लाद गुंजल कोंग्रेस प्रत्याक्षी की हार इसका खुला उदाहरण है, मेने खुद राहुल जी को, जब अशोक जी गहलोत राष्ट्रीय महासचिव थे , तब लिखित सुझाव पत्र लिखकर उन्हें पप्पू के श्राप से मुक्ति के सुझाव दिए थे, लेकिन कोंग्रेस को खत्म करने की कोशिशों में जुटे लोगों को खुद राहुल जी और अशोक गहलोत जी ने सर पर बिठाया आस्तीनों में सांप पाले, आज वही पूर्व आस्तीन के सांप भाजपा में मंत्री, केंद्रीय मंत्री , सांसद, विधायक, ऊंचे ओहदों पर हैं , तो अशोक जी गहलोत के आस्तीन के सांप, उनके ही खिलाफ मुखबीर, सरकारी गवाह बनकर ज़हर उगल रहे हैं, वोह तो अगर अशोक जी गहलोत का अंदर से भजपाइकर्ण नहीं होता तो उन्हें जेल पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं थी,
अख़्तर
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