आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 जनवरी 2025

नेत्र सर्जरी सीखने का हुनर: जब कमजोरी बनी सबसे बड़ी ताकत

 

नेत्र सर्जरी सीखने का हुनर: जब कमजोरी बनी सबसे बड़ी ताकत
कहते हैं सर्जरी केवल हुनर और अनुभव का खेल नहीं है, यह दृढ़ता और अनुकूलन की कहानी भी है। एक बाएं हाथ के नेत्र सर्जन के रूप में, मेरी यात्रा कई चुनौतियों और सीखों से भरी हुई है। जब मैंने पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में रेज़िडेंसी की, तो महसूस हुआ कि दुनिया दाएं हाथ के लोगों के लिए डिज़ाइन की गई है। यह चुनौती थी, लेकिन मैंने इसे अवसर में बदलने का फैसला किया।
मेरे जीवन में असली मोड़ तब आया जब मैं सिडनी आई हॉस्पिटल में फेलोशिप के दौरान डॉ. ई. जॉन मिल्वर्टन के मार्गदर्शन में आया। वे बचपन में बाएं हाथ से काम करते थे लेकिन स्कूल के दबाव में उन्हें दाएं हाथ से काम करना सीखना पड़ा। उन्होंने मुझे न केवल प्रेरित किया, बल्कि सिखाया कि अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत कैसे बनाना है। उनकी सलाह थी: "हर पल का उपयोग अभ्यास के लिए करो।"
डॉ. मिल्वर्टन की बातों से प्रेरित होकर मैंने ट्रेन में सफर करते हुए अपने गैर-प्रमुख हाथ (दाएं हाथ) से सर्कल और त्रिभुज बनाना और अपना नाम लिखने का अभ्यास शुरू किया। वेट लैब में उन्होंने मुझे दाएं हाथ से कॉर्नियल टियर की सिलाई करने का अभ्यास कराया। ये छोटे-छोटे अभ्यास मेरे सर्जिकल हुनर को निखारने में बहुत मददगार साबित हुए।
वैश्विक स्तर पर केवल 10% डॉक्टर बाएं हाथ के होते हैं, जिन्हें "सिनिस्ट्रल सर्जन" भी कहा जाता है। हालांकि, अध्ययन बताते हैं कि बाएं हाथ के सर्जन में अद्वितीय स्थानिक जागरूकता और समस्या समाधान क्षमता होती है। लेकिन उनके लिए सर्जरी की ट्रेनिंग के दौरान संघर्ष अधिक होता है, क्योंकि ज्यादातर उपकरण और तकनीकें दाएं हाथ वालों के लिए डिज़ाइन की गई होती हैं।
मेरी सर्जिकल यात्रा में सबसे खास पल वह था जब मैंने एक जटिल कैटरेक्ट सर्जरी सफलतापूर्वक की। इस केस ने मुझे सिखाया कि जब आप अपने हुनर और दृढ़ता पर विश्वास करते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
आज, कोटा में सुवि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक के रूप में, मैं इन अनुभवों को अगली पीढ़ी के सर्जनों के साथ साझा करने की कोशिश करता हूं। हमारी ट्रेनिंग कार्यक्रम में बाएं और दाएं दोनों हाथ के रेज़िडेंट्स को समान अवसर दिए जाते हैं, ताकि वे अपनी सर्जिकल कला में निपुण बन सकें।
मुझे एहसास हुआ है कि बाएं हाथ से शुरू हुई मेरी यात्रा ने मुझे दोनों हाथों से सर्जरी करने में सक्षम बना दिया। यह यात्रा सिर्फ सर्जरी की नहीं थी, यह खुद को नए आयामों तक ले जाने की थी।
अगर आप अपनी चुनौतियों को अवसर में बदलना चाहते हैं, तो खुद पर विश्वास करें और हर दिन कुछ नया सीखने का प्रयास करें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...