परिवार को सोता छोड़,रात 2 बजे,तेज ठंड कोहरे में कोटा से रावतभाटा जाकर लिया नेत्रदान
2. कोटा से आयी टीम ने देर रात 2:00 बजे शहर में लिया नेत्रदान
रविवार
देर रात,बैंक ऑफ बड़ौदा के पीछे,प्रताप नगर रावतभाटा,निवासी जगदीश चंद
गुप्ता (किराना व्यवसायी) का रात 10:00 बजे हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो
गया । उनके निधन की सूचना जब समाज के व्हाट्सएप ग्रुप में गई तो, संस्था
शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र त्रिलोकचंद गुप्ता ने भवानी मंडी शहर
संयोजक कमलेश दलाल को सूचना दी की,उनके ससुराल पक्ष में दिवंगत हुए जगदीश
चंद के चचेरे भाई मधुसूदन गुप्ता को नेत्रदान के लिए कहा गया है । मधुसूदन
ने तुरंत ही जगदीश की पत्नि सरोज,बेटे पवन,अंकित और हेमंत से पिता के
नेत्रदान करवाने की सलाह दी ।
सभी की सहमति मिलते ही कमलेश की
सूचना पर कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ रावतभाटा जाने के लिए रवाना हुए, 1 घंटे
से ज्यादा का समय कोटा में ड्राइवर को ढूंढने में लग गया,बहुत मुश्किल से
एक ड्राइवर मिला,जिसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को सोता छोड़कर, उनको
बिना बताए,बाहर से ताला लगाकर, रात 12:00 बजे कोटा से डॉ गौड़ रवाना हुए और
तेज कोहरे और घाटी के सुनसान रास्ते से होते हुए 2:00 बजे रावतभाटा पहुंचे
।
डॉ गौड़ ने मोके पर उपस्थित परिवार की सभी सदस्यों को नेत्रदान
के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उनके बीच में दिवंगत जगदीश चंद के
नेत्र उत्सर्जन की प्रक्रिया संपन्न की ।
डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया
कि, मृत्यु के बाद 8 घंटे तक नेत्रदान संभव है,सर्दियों के दिनों में 12
घंटे में भी नेत्रदान लिया जा सकता है,नेत्रदान एक रक्त विहीन एवं दस मिनट
में पूरी हो जाने वाली प्रक्रिया है,जिससे चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है
।
नेत्रदान प्रक्रिया के उपरांत डॉ गौड़ ने शोकाकुल परिवार के
सदस्यों को संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र भेंट किया,और फिर सुबह 4:00 बजे
कोटा पहुंचे ।
ज्ञात हो कि रावतभाटा का यह अभी तक का चौथा नेत्रदान
है,इससे पहले मंगल चंद शर्मा,पुष्पा अग्रवाल और उर्मिला देवी का भी
नेत्रदान शहर से हो चुका है ।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 जनवरी 2025
परिवार को सोता छोड़,रात 2 बजे,तेज ठंड कोहरे में कोटा से रावतभाटा जाकर लिया नेत्रदान
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