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15 नवंबर 2024

मुख्यमंत्री जन सुनवाई में कोटा के अफसरों की जनसुनवाई , शिकायतों के निस्तारण मामले में क़लई खुल गई है

मुख्यमंत्री जन सुनवाई में कोटा के अफसरों की जनसुनवाई , शिकायतों के निस्तारण मामले में क़लई खुल गई है , शिकायतों को फूटबाल बनाने ,, इधर से उधर ट्रांसफर करने का मनोरंजन कार्यक्रम पर रोक लगे , अफसरों को ज़िम्मेदार , जवाबदार बनाकर कठोर कार्यवाही शुरू हो तभी , शिकायतों का ईमानदारी से निस्तारण सम्भव , नहीं तो ,, जो चल रहा है , वैसे ही चलेगा
कोटा 15 नवम्बर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल जी ने , जनसुनवाई के नाम पर कोटा में घंटों इन्तिज़ार करवाने के बाद , एक ही जुमला कहा , क्या कोटा के अधिकारी जन सुनवाई नहीं करते , कहने को तो बढ़ी बात है , लेकिन होगा कुछ भी नहीं , पहले एक मुख्यमंत्री अगर ऐसा संकेत दे देते थे , तो अधिकारीयों की तुरंत बदली हो जाती थी , लेकिन अब मुख्यमंत्री पर्चियों वाले होने से वक़्त मुख्यमंत्री का नहीं , उन पर गवर्न कर रहे पोलिटिकल एजेंट अधिकारीयों का वक़्त है , खेर यह पार्टीयों का आँतरिक मामला हो सकता है , लेकिन यक़ीनन जन सुनवाई एक तमाशा बन कर रह गई है , ,हर ज़िले में कलेक्टर को अधिकारीयों को जनसुनवाई के आदेश हैं , होती भी हैं , लेकिन नतीजे दस प्रतिशत से ऊपर नहीं पहुंच पा रहे हैं , इसकी सबसे बढ़ी खामी , मुख्यमंत्री पोर्टल , उस पोर्टल की कार्यवाही ,, है , कहते हैं , मशीन कभी भावनाये नहीं समझती , समस्याएं नहीं जानतीं , वोह तो बस जो उसमे फीड होता है , वही करती हैं , ,और इधर से उधर , उधर से इधर भटकाती रहती ,हैं जो उसमे पहले से फीड हैं , वही उसमे होता है , ,नया कुछ होना सम्भव ही नहीं है , ,आज आप कलक्टर को कोई शिकायत देकर आओगे , तो कलेक्टर ऑफिस या ऑफिसर को निर्देशित नहीं करेंगे , वोह शिकायत जन सुनवाई पोर्टल पर ,डलवाएंगे फिर दो तीन दिन बाद , शिकायत करने वाले के पास , जन सुनवाई पोर्टल से फोन आएगा , आपने जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत की है , आप कहोगे , नहीं मेने तो कोई शिकायत जन सुनवाई पोर्टल पर नहीं की , फिर जवाब आएगा फलानी शिकायत , आप कहोगे , मेने कलेक्टर साहब को , या मुख्यमंत्री जी को लिखी थी , फिर जवाब आएगा , आपकी शिकायत का निस्तारण कर दिया गया है ,आप कहोगे क्या किया , जवाब आएगा आपकी शिकायत का समाधान कर दिया गया है , मौके पर कोई समाधान नहीं , या जवाब आएगा आपकी शिकायत इस विभाग से संबंधित नहीं है , बस इधर से उधर उधर से इधर होते ,रहेंगे आपके पास फोन आते रहेंगे , मेसेज आते रहेंगे , लेकिन आपकी समस्या जस की तस रहेगी , तो जनाब यह तमाशे क्यों , पहले सीधे मेनुअल शिकायतों का निस्तारण , ,तुरत फुरत में होता था , मशीने कभी कोई शिकायत का निस्तारण करती है , फिर नगर निगम , नगर विकास न्यास , विकास प्राधिकरण , या किस विबाहग से शिकायत संबंधित है , इसे जाने बगैर इधर से उधर शिकायत का ट्रांसफर होता रहता है , अंत में शिकायत करने वाला खुद तक कर चूर हो जाता यही , उसका शिकायती जज़्बा टूट जाता है , मर जाता है , और शिकायत जस की तस रहती है , निजी पेंशन वगेरा की शिकायतें अलग हो सकती हैं , लेकिन सार्वजनिक शिकायतों के निस्तारण में तो यही हाल है , फोन के जवाब देते देते तक जाओ , लेकिन शिकायतें अदला बदली होती रहेंगी ,, जिन्होंने शिकायतें की हैं , या कलेक्टर , मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिए हैं , वोह इस प्रताड़ना के दौर से गुज़र रहे हैं , मान लीजिये आपके घर के बाहर एक ठेकेदार ने सड़क खोदकर कोई पाइप लाइन डाली , सड़क को ठीक नहीं किया , आवाजाही में दिक़्क़तें हैं , दुर्घटनाएं हो रही हैं , जाम लग रहा है , आपकी शिकायत पर पहले नगर निगम से फोन आएगा , आपने पोर्टल पर शिकायत की है , आप कहोगे नहीं , ठीक है , आपकी शिकायत बंद की जा रही हैं , आपने कहाँ अरे हाँ मेने कलेक्टर साहब को , हमारे घर के बाहर की सड़क ठेकेदार द्वारा अवैध रूप से खोद डाली और फिर ठीक नहीं की , उसे मरम्मत कराना है , जवाब आएगा यह सड़क तो नगर निगम ने बनाई ही नहीं , आपकी शिकायत नगर विकास न्यास या कोटा विकास प्राधिकरण में ट्रांसफर कर रहे हैं , फिर वोह शिकायत किसी और विभाग में चली जायेगी , फिर फोन आएगा , फिर गलत विभाग में शिकायत पहुंच गई , और आखिर में आप भी तक गए , शिकायत भी थक गई , ,आपके घर के बाहर ठेकेदार द्वारा जो नियमों का उलंग्घन कर , संविदा की शर्तों के खिलाफ घटिया निर्माण , घटिया काम किया है , उसके मामले में कोई कार्यवाही नहीं , सड़क की मरम्मत नहीं हुई, जस की तस है , और आप थक हार कर बैठे हो , ,कमोबेश यही हाल सार्वजनिक मुद्दों की शिकायतों का है , यह तो तब है , जब मुख्यमंत्री के नियंत्रण में करोड़ों करोड़ ख़र्च कर , जन अभाव अभियोग चलाया जा रहा है , शिकायतों के निस्तारण का कोई भौतिक सत्यापन नहीं , ,क्रॉस चेकिंग नहीं , ऐसी शिकायतों को फूटबाल बनाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं , बस शिकायतकर्ता ने असंतुष्ट बताया आपने लिख दिया , और शिकायत बंद , , इस पर मिडिया भी सावचेत नहीं है , कोई स्टिंग ऑपरेशन भी नहीं चलाया जा रहा ,तो यह तमाशा , एक तरफ तो शिकायत कर्ता को सुनवाई का मौक़ा दे रहा है , दूसरी तरफ इस मशीनी प्रोसेस में उसकी सुनवाई पर सरकारी खर्च भी हो रहा है , कर्मचारी भी काम कर रहे हैं , लेकिन उसकी शिकायत का निस्तारण नहीं हो पा रहा , बस शिकायत या तो इस विभाग से उस विभाग में जा रही हैं , या असंतुष्ट का नॉट डाल कर शिकायत बंद , ,तो फिर मुख्यमंत्री जी जिस भी शहर में जाएंगे , मंत्री जी जिस भी शहर में जाएंगे , अगर उन्होंने किसी निजी कार्यक्रम में शामिल होने की यात्रा को , सरकारी यात्रा साबित करने के लिए , जन सुनवाई का ऐलान कर दिया , तो फिर , जन सुनवाई में जो प्रताड़ित हैं , तो तो भीड़ के रूप में आएंगे ही , यह सुबूत है , सरकार के सिस्टम के फेल्यॉगीरी का , यह सुबूत है , जन सुनवाई पोर्टल शिकायत का फेल्योर साबित होने का ,, अगर जनता की ईमानदारी से सुनवाई काना है , तो पोर्टल पर नहीं मशीन पर नहीं , व्यक्तिगत सवाल जवाब , लिखित पत्रों जवाब की व्यवस्था फिर से शुरू हो , यह जो जन अभाव अभियोग विभाग ,, पोर्टल विभाग पर करोड़ों करोड़ खर्च हैं , न इसके बदले में मेनुअल व्यवस्था फिर से शुरू करो , यह पोर्टल वगेरा छोटी मोटी , निजी समस्याओं के समाधान तक सीमित रखो , सार्वजनिक समाधान मामलों में तो वैकल्पिक व्यवस्था कीजिये , क्योंकि एक मुख्यमंत्री के सामने , मीसा बंदी , जिसका लोकतंत्र सेनानी का दर्जा है , जो भाजपा समर्थित है , अगर भाजप के शासन में उसकी गली का अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए उसे इतनी मशक़्क़त करना पढ़े के हार थक कर मुख्यमंत्री की जन सुनवाई कार्यक्रम में कोटा सर्किट हॉउस पर घंटो इन्तिज़ार , फिर नारेबाजी के बाद जन सुनवाई शुरू हो , तो वोह कहे के साहब में मीसा बंदी ,, आपने जयपुर में मेरा सम्मान किया , यहां अफसर मुझे चक्कर कटवा रहे हैं , मुझे अब सुसाइड करना पढ़ेगा , तो फिर खुद ही चिंतन कीजिये , मंथन कीजिये , यह सब अव्यवस्थित जन पोर्टल , कुछ शिकायतों तक ही सीमित रखिये और कलेक्टर सहित अधिकारीयों को पाबंद कीजिये के वोह शिकायत और शिकायतकर्ता को फूटबाल ना बनाये, इधर उधर चक्कर ना कटायें , जिधर से भी , जिस विभाग से भी समाधान हो , तत्काल उसका निस्तारण सुनिश्चित करें , अन्यथा कलेक्टर संबंधित अधिकारी को निजी तोर पर ज़िम्मेदार बनाएं , उनके विरुद्ध फेल्योर होने पर कार्यवाही का क़ानून बनायें , नहीं तो जनता के साथ यह जन सुनवाई पोर्टल का मनोरंजन कार्यक्रम बंद कीजिये ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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