बेशक परहेज़गारों के लिए बड़ी कामयाबी है (31)
(यानि बेहिश्त के) बाग़ और अंगूर (32)
और वह औरतें जिनकी उठती हुयी जवानियाँ (33)
और बाहम हमजोलियाँ हैं और शराब के लबरेज़ साग़र (34)
और शराब के लबरेज़ साग़र वहाँ न बेहूदा बात सुनेंगे और न झूठ (35)
(ये) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से काफ़ी इनाम और सिला है (36)
जो सारे आसमान और ज़मीन और जो इन दोनों के बीच में है सबका मालिक है बड़ा मेहरबान लोगों को उससे बात का पूरा न होगा (37)
जिस दिन जिबरील और फरिश्ते (उसके सामने) पर बाँध कर खड़े होंगे (उस
दिन) उससे कोई बात न कर सकेगा मगर जिसे ख़ुदा इजाज़त दे और वह ठिकाने की
बात कहे (38)
वह दिन बरहक़ है तो जो शख़्स चाहे अपने परवरदिगार की बारगाह में (अपना) ठिकाना बनाए (39)
हमने तुम लोगों को अनक़रीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया जिस दिन आदमी अपने
हाथों पहले से भेजे हुए (आमाल) को देखेगा और काफि़र कहेगा काश मैं ख़ाक हो
जाता (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 नवंबर 2024
बेशक परहेज़गारों के लिए बड़ी कामयाबी है
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