कोटा सहित पुरे देश के लोगों को पता होना चाहिए के ,, आगामी 10 नवम्बर को जयपुर में होने जा रही तहफ़्फ़ुज़ ऐ ओकाफ कॉन्फ्रेंस आज से दो माह पूर्व कोटा में होना तय हो गई थी ,, लेकिन मुझ सहित कुछ आलिमों की लापरवाही , वक़्फ़ संशोधन मामले में जो प्रस्ताव हैं , उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की कमज़ोरी की वजह से कोटा में तयशुदा उक्त कॉन्फ्रेंस हो ही नहीं सकी ,, कोटा के आलिमों , ज़िम्मेदारों को इस बारे में चिंतन करना चाहिए , के अगर एक बार किसी मीटिंग में कोई तय हो जाए ,तारीख तय हो जाए , वक़्त तय हो जाए , मुक़र्रिर तय हो जाएँ , मुद्दे तय हो जाएँ , तो फिर तयशुदा ऐसे कॉम के मसलों को बिना किसी पूर्व सुचना के यूँ ही भूल जाना फिर खामोश हो जाना ,, हमारी , हमारे आलिमों की इस्लामिक कमज़ोरी है , और इस्लाम के प्रति, मुखालिफ मुद्दों की जंग मामले में बेवफाई है , निकाह में डी जे नहीं बजेगा इससे देश नहीं सुधरेगा ,, कॉम नहीं सुधरेगी , रोज़ी रोटी ,कपड़ा , मकान , उनकी तरक़्क़ी , उनकी शिक्षा , उनका आरक्षण, उनका इंसाफ इन सब के लिए भी आवाज़ उठाना होगी , ,लेकिन सिर्फ निकाह के वक़्त डी जे पर आकर बात अटक जाती है , निकाह में कितने रूपये निकाह पढ़ाने वाले को मिलेंगे , क्या तयशुदा निकाह की रक़म है , इस्लाम में पहला निकाह हुज़ूर स अ , व का पढ़ाया गया तो क्या उजरत ली थी , क्या निकाह के रूपये क़ुरआन की रूह से , लेना जायज़ है , अगर है तो कितने रूपये उन्हें मिलना चाहिए , उनकी ज़िम्मेदारियाँ क्या होना चाहिए ,इन पर कोई चर्चा नहीं , इस्लाम केवल आम मुसलमानों के लिए नहीं , सभी मुसलमानों के लिए है जिनमे क़ाज़ी , मुफ़्ती , निकाह ख़्वाह ,, मौलवी , मौलाना , मुदर्रिस , वकील , डॉक्टर , हर पेशे से जुड़े लोग जो कलमे शरीक भाई है , सभी पर बराबरी से लागु है , अगर सभी अपने अपने गिरेहबान में , शरीयत की रूह , क़ुरआन के हुक्म की रूह से आगे बढ़ जाएँ , भूल सुधार लें , और फिर आलिमों से ही शरीयत की पालना , फतवे और तक़वे की शर्तों की पालना शुरू हो जाए तो आम मुसलमान तो खुद बा खुद बदल जाएगा , वोह आलिमों से नाराज़ है , हर मामले को कॉमर्शियल कर दने , अधिकतम आलिमों के सियासत में चले जाएं , नमाज़ रोज़े छोड़ कर , नेताओं के आगे पीछे चक्कर लगाते देखे जाने से , आम मुसलमानों के प्रति ऐसे लोगों में गुस्सा भरा हुआ है , तो फिर इन्हे भी बदलने की ज़रूरत है , फतवे देना अलग बात है , लेकिन फतवे देने वाले पहले खुद तक़वे पर ,चलेंगे तभी उन्हें फतवे देने का हक़ है , पहले खुद अपने चक गिरहबानों को शरीयत और अल्लाह के हुक्म क़ुरआन की रूह में जो भी हिदायतें दी हैं उन्हें पालना करेंगे तभी तो हम सुधर पाएंगे , किसी भी मीटिंग में वक़्त की कोई पाबंदी नहीं , अगर हुकूमत से जुड़े मुद्दों पर कोई ज्ञापन देने की ज़रूरत हो , तो भी तयशुदा वक़्त की कोई पाबंदी नहीं , जबकि नमाज़ हमे वक़्त की पाबंदी शर्त ब शर्त सिखाती है , खेर ,, में बात वक़्फ़ तहफ़्फ़ुज़ की कर रहा हूँ , कोटा में वक़्फ़ के कई मुद्दे है , महिफल खाना जंगलीशाह बाबा परिसर में टेंट के बेहिसाब खर्च , टेंट के टेंडर और वक़्फ़ बोर्ड की इन्कारी के बाद भी ,, वक़्फ़ कमेटी कोटा उपाध्यक्ष अफ़रोज़ खान के विरोध के बाद भी , यहां टेंट का ठेका फिर होने की बात सामने आई है , सभी चुप है , कोटा में मोअज़्ज़िज़ लोगों की बैठक में , ,ज़िम्मेदार आलिमों की मौजूदगी में , तय हुआ के वक़्फ़ में जो भी बदलाव हैं वोह गलत है , इसकी मज़म्मत भी होना चाहिए , इसके मुखालिफ आवाज़ भी उठना चाहिए , दो माह पहले , ईद मिलादुन्नबी के जलसे के पहले ,, कोटा जंगलीशाह बाबा महफिलखाना परिसर में वक़्फ़ तहफ़्फ़ुज़ कॉन्फ्रेंस करने का फैसला हुआ , तारीख और वक़्त मुक़र्रर हो गया ,, मुक़र्रिर , महमान ,, तय हो गए , लेकिन तारीख आई , निकल गई , कॉन्फ्रेंस और सुझाव के मामले में चुप्पी हो गई , ,कॉन्फ्रेंस की तारीख के पहले , कॉन्फ्रेंस नहीं होगी , क्या वजह है , जो तारीख तय होने के बाद कॉन्फ्रेंस नहीं हो रही है , इस मामले में मौजूद लोग जिन्होंने फैसला किया था , उन्हें इसे रद्द करने की खबर तक नहीं , , जबकि कोटा में जे पी सी संसदीय समिति को गवर्न करने वाले कोटा सांसद लोकसभा अध्यक्ष हर महीने कोटा आरहे हैं ,, हमारे आलिम , हमारे ज़िम्मेदार वक़्फ़ संशोधन क़ानून गलत है , इस बारे में तो कोटा में कोई तयशुदा आवाज़ नहीं उठा सके , लोकसभा अध्यक्ष कोटा के होने पर भी उन्हें कोई ज्ञापन नहीं दे सके , कोई सुझाव नहीं दे सके , लेकिन इसके खिलाफ भाजपा समर्थित इंद्रेश कुमार का राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच सक्रिय हुआ ,, ,कोटा में इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में कोटा के कुछ ज़म्मेदार ,, कोटा के कुछ आलिम , शिक्षाविद वगेरा उसमे शामिल हुए , इंद्रेश जी एक एक करके , वक़्फ़ संशोधन पर बोलते रहे , वहां बैठे लोगों से पूंछते रहे , के यह संशोधन अगर गलत हैं , तो आप हाथ उठाकर विरोध करो , लेकिन एक भी शक्श , जिनमे आलिम भी थे , जिनमे शिक्षाविद भी थे , बुद्धिजीवी , व्यापारी , सियासत से जुड़े लोग ,समाजसेवी लोग भी थे , उन्होंने इसका विरोध नहीं किया , खेर दूसरे दिन इस लाइव प्रोग्राम्म के बाद ,, ,कोटा जिला वक़्फ़ कमेटी के ज़िम्मेदारान ने वक़्फ़ कमेटी चेयरमेन सरफ़राज़ अंसारी के नेतृत्व में एक बैठक की , और इंद्रेश कुमार जी के नेतृत्व में आयोजित कोटा में इस बैठक में जो बातें कहीं , उनका विरोध दर्ज कराया , संसदीय समिति के समक्ष ज़रिये ई मेल , रजिस्टर्ड डाक , ,वक़्फ़ संशोधन बिल के खिलाफ अपना प्रस्ताव भेजा ,,जबकि मुफ़्ती शमीम अशरफ ने यह मुद्दा मौखिक ओर लिखित में कोटा में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के समक्ष उठाया ,तो बात साफ़ है , यह वक़्फ़ तहफ़्फ़ुज़ कॉन्फ़्रेस देश में सबसे पहले कोटा में होना तय हुई , फिर किन वजूहात से इसे रद्द किया गया , दोबारा इस पर चर्चा क्यों नहीं हुई, और यह कॉन्फ्रेंस तो धरी की धरी रह गयी , ,निकाह के वक़्त डी जे के मुद्दे शुरू हो गए , फिर दुबारा इस तरह की विरोध कॉन्फ्रेंस वक़्फ़ हित में करने के लिए कोई विचार भी नहीं बना ,, ,,जबकि भाजपा समर्थित राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच ने तो वक़्फ़ संशोधन मामले में , अपनी बैठक में लोगों को बुलाकर , उन्हें शामिल कर इस संशोधन को वाजिब ठहराते हुए ,बैठक भी कर ली , तो जनाब कोटा वालों , कोटा के ज़िम्मेदारों , आलिमों , आप तो सोते रहिये सुकून से ,वक़्त की पाबंदी से खुद को अलग करते रहिये , ,बैठकों में लिए गए फैसलों को , लागू किये बगैर अचानक रद्द करते रहिए , और ऐसे ज़ुल्म , ना इंसाफ़ी के खिलाफ कोटा में लोकसभा अध्यक्ष के मौजूद होने के बाद भी , उन्हें ज्ञापन तक मत दीजिये , ,आराम कीजिये , मस्त रहिए , लेकिन यह आवाज़ जो जयपुर में पहुंची है , दुआ कीजिये , तार्किक , वैधानिक , संवैधानिक , भारतीय क़ानून , नियम , क़ायदे ,शरीयती तहफ़्फ़ुज़ के विधि नियमों के तहत , वक़्फ़ तहफ़्फ़ुज़ कॉन्फ्रेंस कामयाब हो जाए , सरकार वक़्फ़ के खिलाफ बेहूदा नियम बनाने से बाज़ आ जाए ,, , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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