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21 अक्तूबर 2024

नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान का सफलतम विमोचन समारोह डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का प्रकाशन नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान , ,महिला साहित्यिक जगत ही नहीं , देश भर के ख्यातनाम साहित्यकारों , प्रकाशकों के लिए एक ज्ञानवर्धक दस्तावेज

नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान का सफलतम विमोचन समारोह
डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का प्रकाशन नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान , ,महिला साहित्यिक जगत ही नहीं , देश भर के ख्यातनाम साहित्यकारों , प्रकाशकों के लिए एक ज्ञानवर्धक दस्तावेज
कोटा 21 अक्टूबर ,, कहते हैं , चार महिलाएं एक साथ और चुप बैठना असम्भव सा है , लेकिन 81 महिलाओं,, साहित्यकारों , को एक साथ एक पुस्तक में उनकी लेखनी , उनके अनुभवों के साथ शामिल कर ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का प्रकाशन नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान , ,महिला साहित्यिक जगत ही नहीं , देश भर के ख्यातनाम साहित्यकारों , प्रकाशकों के लिए एक ज्ञानवर्धक, ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है, , उक्त पुस्तक के अवलोकन , अध्ययन के बाद , मुझे लगा ,, मुझको से मुझसे मिलाया गया है , आप भी अध्ययन कीजिये , यक़ीनन आपको भी लगेगा के आपको भी आपसे मिलाया गया है , क्योंकि एक महिला , एक नारी , पत्नी , माँ , बेटी , बहु , बहन , मार्गदर्शिका , और अवसर पढ़ने पर दुर्गा माँ भी हो जाती है ,उनके अनुभव जीवन शैली ,यह कटु सत्य , ख्यातनाम, विद्वान महिलाओं ,के लेखन , चिंतन मंथन इस पुस्तक के हर अल्फ़ाज़ में शामिल है ,,,पुस्तक के सफलतम प्रकाशन , सफलतम विमोचन कार्यक्रम के लिए डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,, उनकी पूरी टीम को बधाई मुबारकबाद ,,
यक़ीनन में साहित्य की क , ख , ग भी नहीं समझता , लेकिन नारी क्या है , उसकी चेतना क्या है , नारी पर लिखा जाने वाला साहित्य ,, नारी द्वारा लिखा जाने वाला साहित्य क्या है , एक नारी की , या नारी समूह की साहित्यिक उड़ान क्या है , नारी की उड़ान कैसी है , इसे समझने की कोशिश में ज़रूर करता रहा हूँ , शायद सीख जाऊं , शायद नहीं भी सीख पाऊं , लेकिन ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल द्वारा प्रकाशित ,, हाड़ोती ,, प्रदेश की महिलाओं, साहित्यकारों को लेकर जो सारगर्भित पुस्तक प्रकाशित की गई है , उक्त पुस्तक ,, नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान , के विमोचन समारोह में , शामिल होकर मेने बहुत कुछ जाना , उससे भी ज़्यादा मुझे ,, नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान ,, पुस्तक के अवलोकन के बाद बहुत कुछ सीखने को मिला है , मातृशक्ति के रूप में सेवा कार्य करते हुए , नोबल पुरस्कार प्राप्त ,, माँ ,, मदर टेरेसा ,, के नाम से संचालित कोटा के एक स्कूल के भवन सभागार में , आयोजित इस समारोह में , महिला साहित्यकारों का जमावड़ा था , उन्हें प्रेरित करने वाले , उनकी मदद करने वाले , उत्साहित करने वाले , मार्गदर्शित करने वाले , वरिष्ठ साहित्यकारों का सानिध्य उन्हें प्राप्त था , सभी के चेहरे पर मुस्कान थी , कुछ के चेहरे पर दम्भ ,, कुछ के चेहरे पर , स्वमभूपन था , लेकिन माहौल साहित्यिक भी था , साहित्य के मंचासीन लोगों के प्रति समर्पण का माहौल भी था , बस मंच से एक विरोधाभासी बात , तथ्यों के विपरीत बात ,, बार बार कही जा रही थी , वक्ताओं द्वारा , नवोदित महिला साहित्यकारों , का हवाला देते हुए , उक्त पुस्तक में प्रकाशित साहित्यकारों की सामग्री को नवोदित लेखिकाओं का प्रकाशन बता कर प्रचार किया जा रहा था , यक़ीनन उनकी नियत में कोई दुराग्रह नहीं था , उनका मतलब जो भी लेखिकाओं के बारे में उक्त पुस्तक में विवरण है , वोह नवोदय के रूप में माना जा रहा था , डॉक्टर वीणा अग्रवाल सहित कई नामचीन लेखिकाओं की उपस्थिति इस समारोह में थी , साहित्यिक माहौल गद गद कर देने वाला था , प्रख्यात वक्ता , डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव ने , इस पुस्तक के विमोचन समारोह में सारगर्भित वक्तव्य में , समा बाँध दिया , जबकि प्रकाशक संकलनकर्ता डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने उक्त पुस्तक के लिए वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही को , प्रेरक बताते हुए कहा के उक्त पुस्तक के प्रकाशन का बीज जितेंद्र निर्मोही की प्रेरणा से हुआ जो सभी के सहयोग से एक वटवृक्ष के रूप में सामने आया है , वरिष्ठ साहित्यकार विजय जोशी ने तो उक्त पुस्तक के प्रकाशन लेखिकाओं के लेखन ,, चिंतन के बारे में ब्योरेवार जीवंत वर्णन करते हुए , माहौल को साहित्यिक वातावरण में बदल दिया , पुस्तक के सूत्रधार बीजारोपण करने वाले , जितेंद्र निर्मोही ने साहित्यिक वातावरण को चौतरफा रोशन कर दिया , ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने मुझे भी पुस्तक भेंट की , मेने पुस्तक का अवलोकन किया , 81 साहित्यिक महाविभूतियों के बारे में प्रकशित इस पुस्तक में उनका सारगर्भित विवरण है , जीवनी है , इनमें से कई दर्जन महिला साहित्यकारों से मेरी निजी जानकारी है , कुछ को पत्रकारिता के कार्य समय से में छापता भी आया हूँ , सराहता भी आया हूँ , पुस्तक के अवलोकन के बाद एक तो मेरी तेंतीस साल आठ महीने इक्कीस दिन पूर्व की यादें ताज़ा हो गई , जब में एक विशिष्ठ साहित्यिक लहजे , साहित्यिक मनोविज्ञान , जीवन के सच को समझने की कोशिशों में जुटा था , वोह पंक्तियाँ , वोह विचार , वोह जीवंत शैली फिर से ताज़ा हो गई , मेरी अंतरात्मा को झकझोर कर उस जीवंत सत्य की तरफ मुझे धकेल रही थीं , पुस्तक में प्रकाशित साहित्यकार लेखिकाओं के गद्य , पद्य , कविता , ग़ज़ल , अतुकांत कविताएं , आधुनिक काव्य शैली का गूढ़ता से अध्ययन का मेरा प्रयास रहा , मेने देखा , समझा , के यह महिला साहित्यकार लेखिकाएं , नवोदित नहीं , यह तो एक वट वृक्ष है , इनकी रचनाएँ , सारगर्भित भी हैं , आत्मा को झकझोर देने वाली भी हैं , समाज का दर्पण भी हैं , इनमे रिश्ते भी हैं , नारी का वातसल्य है , तो माँ की ममता इसमें शामिल है , नारी की पीड़ा है , उसका समर्पण है , एक व्यथा है , तो समाज में उसकी जीवन शैली , संघर्ष का एक जीवंत मनोविज्ञान है , यह सब किसी नवोदित लेखिकाओं द्वारा लिखा जाने वाला लेखन नहीं , स्थापित से भी स्थापित लेखिकाओं से भी बेहतरीन लेखन है , में सेल्यूट करता हूँ , रेनू सिंह राधे की उन पंक्तियों को जिसमे उन्होंने मातृत्व प्रेम , मातृत्व सम्मान ,, मातृत्व विरह की पीढ़ा कुछ अल्फ़ाज़ों में यूँ बयान कर डाली है , ,,, वोह जन्नत थी मेरी और आज वोह खुद जन्नत में खो गई ,, , यूँ तो डॉक्टर विणा अग्रवाल , जिला जज स्तर की अधिकारी , बीना दीप ,, वरिष्ठ साहित्यकार , प्रेमलता जैन सहित सभी की रचनाएँ दिल को भा जाने वाली हैं , जीवन के कड़वे सच , अनुभवों को समझाने वाली हैं , उक्त पुस्तक में 81 लेखिका रचनाकार साहित्यकारों में से ,,41 लेखिका साहित्यकार डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है , जबकि जिला जज स्तर की अधिकारी , शिक्षिकाएं , स्कूली प्रधानाध्यापिकाएँ, सफल ख्यातनाम उद्गघोषिकाएँ ,व्यवस्थापिकाएँ , सफलतम गृहिणियां , समाजसेविकाएं शामिल है , ,इनके अनुभव ,, इनका चिंतन , वर्तमान हालातों का चित्रण , उक्त लेखिका साहित्यकारों द्वारा कम शब्दों में गागर में सागर भरकर किया गया है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान ,, उड़ान नहीं , एक शाहीन की तरह सर्वोच्च बुलंदी का कामयाब सफर है , एक साहित्यिक माला है , जिसकी ,सुंदरता ,, जिसका चिंतन , मंथन , पुरुष हो , या वरिष्ठतम कहे जाने वाले साहित्यकार हों उनकी विधा , उनका लेखन , उनकी सर्वोच्चता श्रोधार्य है , लेकिन उक्त पुस्तक में समामेलित लेखिकाओं की जीवन शैली ,उनके द्वारा, शब्दों के ज़रिये उनके अनुभवों को उकेरकर जो प्रस्तुति उनके द्वारा की गई है , वोह नवोदित , नवोदिता साहित्यकार हरगिज़ नहीं , एक परिपक्व,, सफलतम , बेहतरीन साहित्यिक प्रतिभाओं की प्रस्तुति है , ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल द्वारा संकलित इस पुस्तक में वरिष्ठतम साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही सर की प्रेरणा , ख्यातनाम वक्ता डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव का उत्साहवर्धन , ख्यातंमाम साहित्यकार विजय जोशी जी की विजय पताका साथ होने से इस प्रकाशन में चार चाँद लग गए है , ओर चाँद तक की यही उड़ान ,,,इस पुस्तक, पुस्तक की सामग्री , रचनात्मक दर्शन को ,सबसे, अव्वलीन बना देती है , साहित्यागार , प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में 81 लेखिकाओं के बारे में संकलन है , मुख पृष्ठ पर , नारी द्वारा एक मोटी क़लम से पत्थर पर कुछ शब्द उकेरने के प्रयास की तस्वीर है , लेकिन सबसे बहतर , सबसे जुदा सबसे अव्वलीन , इस पुस्तक में , खास बात यह है , के प्रत्येक परिचय आलेख के अंत में जिस पृष्ठ पर भी थोड़ी खाली जगह बची ,, वहां अलग अलग भाषा में , अलग अलग धर्म ,, उनके धार्मिक ग्रंथों की सर्वसम्मत ,, क़ौमी एकता के उद्देश्य की तस्वीरें हैं , जबकि , कुछ पृष्ठों पर महिला वातसल्य , प्रेम , क्षत्रुओं के नाश करते वक़्त , आक्रोशित महिला, देवियों, योद्धा की युद्ध संघर्ष की तस्वीरें भी हैं , जो इस पुस्तक के दर्शन को , और अधिक महत्वपूर्ण बना देती है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , पुस्तक में शामिल लेखिकाओं ,, प्रकाशक और पुस्तक की प्रेरणा जितेंद्र निर्मोही , उत्सावर्धक डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव ,,विजय जोशी सहित सभी को उक्त पुस्तक के सफलतम प्रकाशन , सफलतम विमोचन के लिए बधाई , मुबारकबाद , ,ओर इससे भी बहुत कुछ अधिक, मुझ से मुझे मिलाने के लिए डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का धन्यवाद , ,,,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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