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14 अक्टूबर 2024

जो भलाई की राह दिखाता है तो हम उस पर ईमान ले आए और अब तो हम किसी को अपने परवरदिगार का शरीक न बनाएँगे (

 सूरए अल जिन्न मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी अठाइस (28) आयतें हैं
(ऐ रसूल लोगों से) कह दो कि मेरे पास ‘वही’ आयी है कि जिनों की एक जमाअत ने (क़ुरआन को) जी लगाकर सुना तो कहने लगे कि हमने एक अजीब क़ुरआन सुना है (1)
जो भलाई की राह दिखाता है तो हम उस पर ईमान ले आए और अब तो हम किसी को अपने परवरदिगार का शरीक न बनाएँगे (2)
और ये कि हमारे परवरदिगार की शान बहुत बड़ी है उसने न (किसी को) बीवी बनाया और न बेटा बेटी (3)
और ये कि हममें से बाज़ बेवकूफ़ ख़ुदा के बारे में हद से ज़्यादा लग़ो बातें निकाला करते थे (4)
और ये कि हमारा तो ख़्याल था कि आदमी और जिन ख़ुदा की निस्बत झूठी बात नहीं बोल सकते (5)
और ये कि आदमियों में से कुछ लोग जिन्नात में से बाज़ लोगों की पनाह पकड़ा करते थे तो (इससे) उनकी सरकशी और बढ़ गयी (6)
और ये कि जैसा तुम्हारा ख़्याल है वैसा उनका भी एतक़ाद था कि ख़ुदा हरगिज़ किसी को दोबारा नहीं जि़न्दा करेगा (7)
और ये कि हमने आसमान को टटोला तो उसको भी बहुत क़वी निगेहबानों और शोलो से भरा हुआ पाया (8)
और ये कि पहले हम वहाँ बहुत से मक़ामात में (बातें) सुनने के लिए बैठा करते थे मगर अब कोई सुनना चाहे तो अपने लिए शोले तैयार पाएगा (9)
और ये कि हम नहीं समझते कि उससे अहले ज़मीन के हक़ में बुराई मक़सूद है या उनके परवरदिगार ने उनकी भलाई का इरादा किया है (10)

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