तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फ़रिश्तों आखि़र तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है (31)
वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ़ भेजे गए हैं (32)
ताकि उन पर मिटटी के पथरीले खरन्जे बरसाएँ (33 th)
जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से निशान लगा दिए गए हैं (34)
ग़रज़ वहाँ जितने लोग मोमिनीन थे उनको हमने निकाल दिया (35)
और वहाँ तो हमने एक के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं (36)
और जो लोग दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है) (37)
जब हमने उनको फ़िरऔन के पास खुला हुआ मौजिज़ा देकर भेजा (38)
तो उसने अपने लशकर के बिरते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या सौदाई है (39)
तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में पटक दिया (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 अगस्त 2024
तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फ़रिश्तों आखि़र तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)