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03 जून 2024

महापौर भाजपा में जाने के बाद भी , प्रतिपक्ष का नेता नहीं हटाया ,, हाईकमान से पूंछता है, कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता ,,, कांग्रेस का भाजपा से साथ का , यह रिश्ता क्या कहलाता है

 

महापौर भाजपा में जाने के बाद भी , प्रतिपक्ष का नेता नहीं हटाया ,, हाईकमान से पूंछता है, कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता ,,, कांग्रेस का भाजपा से साथ का , यह रिश्ता क्या कहलाता है ,
कोटा 3 अप्रेल ,,कोटा कांग्रेस का यह रिश्ता क्या कहलाता है, ,जिला परिषद हो , उप महापौर चुनाव हो कांग्रेस के लोग , भाजपा प्रत्याक्षी को वोट देकर क्यों जिताते हैं ,, और हाईकमान क्यों चुप रह जाता है,, , इसीलिए हाईकमान से पूंछता है , कोटा का गरीब, ,समर्पित कांग्रेस कार्यर्कता , के ज़िम्मेदार कोंग्रेसियों का, भाजपा से यह रिश्ता क्या कहलाता है,,,, कांग्रेस के कंधे पर सर रखकर कामयाबी का जश्न मनाने वाली भाजपा , कोटा में निराश निराश सी है , ,नगर निगम कोटा में वर्तमान में महापौर भी अब कांग्रेस से दल बदल कर जाने वाले महापौर राजीव अग्रवाल के बाद भाजपा का बोर्ड हो गया और नगर निगम कोटा में प्रतिपक्ष नेता भी भाजपा का ही है ,, उप महापौर चाहे कांग्रेस के हों , लेकिन नगर निगम कोटा दक्षिण के हालात बदलने के बाद भी , भाजपा सरकार महापौर को हटा नहीं रही है ,, यूँ तो नगर निगम कोटा में भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन का पुराना इतिहास है , ,सभी ने देखा है , कांग्रेस हाईकमान ने भी देखा है , ,कोटा में गत नगर निगम बोर्ड में जब , भाजपा का बोर्ड था , और उप महापौर के लिए ,, भाजपा से सुनीता व्यास , निर्दलीय के रूप में ब्रजेश शर्मा नीटू उम्मीदवार थे ,, भाजपा पर निर्दलीय उम्मीदवार पार्षदों की संख्या अधिक होने से , भारी लग रहे थे , इतिहास रचा जाने वाला था , के सत्ता पक्ष भाजपा के होते हुए , भाजपा का उपमहापौर उम्मीदवार निर्दलीय उप महापौर उम्मीदवार से हार गया , लेकिन उसी वक़्त कोंग्रस ने भाजपा के पक्ष में समर्थित निर्दलीयों के साथ , अचानक वोटिंग कर दी , तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट खुद भौचक्के हो गए , लेकिन उन्होंने किसी को पार्टी से बर्खास्त नहीं किया, कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव जीत कर आये पार्षद, कोंग्रेसी होकर , शुद्ध रूप से निर्दलीय और भाजपा के उम्मीदवार में से भाजपा के पक्ष में वोट डालने का फैसला लिया , और भाजपा उस वक़्त कांग्रेस के कंधों पर चढ़ कर , उप महापौर चुनाव में विजय घोषित हुए ,आंतरिक समझौते कोटा के बच्चों बच्चों को पता है , खेर यह एक सियासी बात है कांग्रेस की कोंग्रेस से गद्दारी है, लेकिन इस मदद के बाद भी भाजपा ने प्रतिपक्ष का नेता नहीं बनने दिया , ,फिर हायकोर्ट के आदेश से कोंग्रस प्रतिपक्ष के नेता की सीट लेने में भी कामयाब हुई ,, लेकिन कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़कर , भाजपा के उम्मीदवार को वोट देकर उसे ज़िंदाबाद करने का यह इतिहास ,, कांग्रेस को शर्मसार करने वाला रहेगा ,,,, अब वर्तमान हालातों में कोटा दक्षिण विधानसभा चुनाव में जो उलट पलट हुई , पार्षद एक एक करके , कांग्रेस से भाजपा के समर्थन में जाने लगे , आंतरिक रूप से उन्होंने खूब काम किया, नतीजा कोटा दक्षिण से कांग्रेस मज़बूत होने पर भी भीतर घात के कारण जीती हुई बाज़ी हार गई, इसके पूर्व , कांग्रेस का नईमुद्दीन गुड्डू को ,जिला प्रमुख का टिकिट दिए जाने के कार्यकाल में भी कोंग्रेसियों ने गद्दारी का इतिहास रच कर भाजपा प्रेम का शर्मनाक इतिहास रचा था, , कांग्रेस बहुमत से भी ज़्यादा बहुमत में थी, लेकिन फिर भी , भाजपा के आगे कांग्रेस डंके की चोट पर नतमस्तक हुई , और जिला प्रमुख अल्पमत भाजपा के उमीदवार को बनाया गया, ऐसे कई उदाहरण , ऐसे कई क़िस्से हैं , लेकिन कभी भी,ऐसे गद्दारों को कांग्रेस हाईकमान ने दंडित नहीं किया, , अनुशासनात्मक कार्यवाही कर बाहर का रास्ता नहीं दिखाया , फिर भी भाजपा के यह सेटिंग बाज़ लोग कांग्रेस को दीमक की तरह चाटते रहे , निजी व्यापार , निजी व्यवसायों , कोंग्रेस के पॉवर में रहते वक़्त निगम, सरकारी ठेकेदारी में यह लोग ,, कांग्रेस में रहकर भाजपा को ज़िंदाबाद करते रहे , ,व्यवसायी पार्टनर शिप में तो ,,, कांग्रेस भाजपा गठबंधन ने इतिहास ही रच डाला है,, निजी दोस्ती के नाम पर निजी संबंधों के नाम पर , चुनावों में भी खुद पाले बदला बदली होती रही है ,, खेर अब , पाला बदलने का तो इतिहास ही हो गया , थोक में ,कांग्रेस के कोटा उत्तर , कोटा दक्षिण के पार्षद ,, कांग्रेस से भाजपा में चले गए ,, कांग्रेस के टिकिट से चुनाव लड़कर , कांग्रेस के वोटर से गद्दारी कर , भाजपा में शामिल होने वाले पार्षदों की तो कोई बात नहीं , लेकिन प्रतिपक्ष नेता और महापौर कोटा दक्षिण की निजी मित्रता , ,पारिवारिक संबंध जग ज़ाहिर हैं, फिर कांग्रेस के टिकिट पर ,कांग्रेस के महापौर चुनाव में , पुलिस की लाठियां खाकर, कांग्रेस कार्यर्कताओं ने , भाजपा की हर चाल को नाकामयाब करते हुए , ,राजीव भारती को महापौर बनाया था ,, कटटर कोंग्रेसी के नाम पर उन्हें यह पुरस्कार दिया गया था , लेकिन वक़्त बदला, तो इनका मन भी बदल गया ,, यह भी कांग्रेस छोड़कर , भाजपा में चले गए , कोई बात नहीं , चले गए तो चले गए , अब इनके भाजपा में जाने से , इनकी दोस्ती , दोस्ती के नाम पर एक दूसरे की मदद , यानी नेता प्रतिपक्ष और महापौर के पद में से एक पद पर संकट खड़ा हो गया है ,, क़ानूनी बात है, नगर पालिका क़ानून है, के एक निगम बोर्ड में , एक ही पार्टी का नेता महापौर , और प्रतिपक्ष का नेता नहीं हो सकता ,ज़ाहिर हैं ,, महापौर में ज़रा भी नैतिकता होती तो वोह इस्तीफा देते , फिर भाजपा के समर्थन से अगर चुनकर आते , तो उनके दोस्त को , प्रतिपक्ष नेता के पद से हटना पढता , लेकिन , क़ानून, निति ,, नियम और नैतिकता कहाँ है ,,, खेर , भाजपा तो हठधर्मिता पर है, क़ानून जेब में रखकर घूमती है,, कोटा दक्षिण महापौर कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद तुरंत या तो प्रतिपक्ष नेता हटाकर,दुबारा कांग्रेस का प्रतिपक्ष नेता बनाया जाता ,,या फिर महापौर हटना चाहिए थे , ,वैसे तो कांग्रेस की भीख में जो पद मिला ,ज़रा भी नैतिकता होती तो खुद ही छोड़ देना चाहिए था ,, लेकिन ऐसा कहाँ हुआ ,,,,,,सभी जानते है, के कोटा नगर निगम में गत से गत वर्ष मुशायरे के वक़्त , ,,जब तय हुआ के मुशायरे का भुगतान कोटा दक्षिण के खाते से होगा तो शायरों को, उनके भुगतान के लिए महीनों रुलाया गया था , फिर आखिर ऊपरी हस्तक्षेप के बाद यह भुगतान हो सका ,, कुछ कोंग्रेसियों ने , महापौर का खुला विरोध किया , ,चेंबर में ताले लगाए , ,प्रदर्शन किया,, लेकिन अब वोह खामोश है , क्योंकि महापौर अब कोंग्रेसी नहीं है ,भाजपा के हो गए है, और विरोध करने वाले कांग्रेसी पार्षद ,,, इस मामले में ,, महापौर को हटाने के लिए कोई आंदोलन , ,कोई प्रदर्शन ,, ,या फिर क़ानूनी राय लेकर, हाईकोर्ट का दरवाज़ा नहीं खटखटा रहे हैं ,, बात साफ़ है,कुछ तो है ,जो पर्दादारी है , वर्ना इतना वक़्त गुज़रने के बाद तो , विधानसभा में प्रश्न उठता ,,, हायकोर्ट में याचिका लगाकर, इन्साफ माँगा जाता ,,जिला कांग्रेस ,,, प्रदेश कांग्रेस को राज्यपाल को ज्ञापन दिया जाता , लेकिन , यह पब्लिक है सब जानती है ,,,क़ानून ही जब ,जेब में है, तो फिर में यह करूँ ,में वोह करूँ ,मेरी मर्ज़ी , वजह साफ़ है , विरोध करने वाले भी तो सेट है , वोह कोनसे , धरना प्रदर्शन कर रहे हैं , कोनसा हाईकोर्ट में ,जाकर, क़ानून की पालना निर्धारित समयावधि में करवाने के लिए याचिका पेश कर रहे हैं , यह तो बेचारा आम कार्यकर्ता है , जो मुक़दमे भी दर्ज करवाता है, अपने , मकान ,,दूकान ,, तुड़वाता है, गिरफ्तार होता है,,पाबंद होता है,, बाक़ी के तो , रिसोर्ट ,, मल्टी स्टोरी हॉस्टल , दुकाने ,, अतिक्रमण के पट्टे सभी कुछ तरह के कारोबार होते है,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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