क्या उन लोगों के (बनाए हुए) ऐसे शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए ऐसा दीन
मुक़र्रर किया है जिसकी ख़़ुदा ने इजाज़त नहीं दी और अगर फ़ैसले (के दिन)
का वायदा न होता तो उनमें यक़ीनी अब तक फैसला हो चुका होता और ज़ालिमों के
वास्ते ज़रूर दर्दनाक अज़ाब है (21)
(क़यामत के दिन) देखोगे कि ज़ालिम लोग अपने आमाल (के वबाल) से डर रहे
होंगे और वह उन पर पड़ कर रहेगा और जिन्होने ईमान क़़ुबूल किया और अच्छे
काम किए वह बेहिष्त के बाग़ों में होंगे वह जो कुछ चाहेंगे उनके लिए उनके
परवरदिगार की बारगाह में (मौजूद) है यही तो (ख़़ुदा का) बड़ा फज़ल है (22)
यही (ईनाम) है जिसकी ख़़ुदा अपने उन बन्दों को ख़ुशख़बरी देता है जो
ईमान लाए और नेक काम करते रहे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं इस (तबलीग़े
रिसालत) का अपने क़रातबदारों (एहले बैत) की मोहब्बत के सिवा तुमसे कोई सिला
नहीं मांगता और जो शख़्स नेकी हासिल करेगा हम उसके लिए उसकी ख़ूबी में
इज़ाफा कर देंगे बेशक वह बड़ा बख्शने वाला क़दरदान है (23)
क्या ये लोग (तुम्हारी निस्बत कहते हैं कि इस (रसूल) ने ख़़ुदा पर झूठा
बोहतान बाँधा है तो अगर (ऐसा) होता तो) ख़़ुदा चाहता तो तुम्हारे दिल पर
मोहर लगा देता (कि तुम बात ही न कर सकते) और ख़ुदा तो झूठ को नेस्तनाबूद और
अपनी बातों से हक़ को साबित करता है वह यक़ीनी दिलों के राज़ से ख़ूब
वाकि़फ है (24)
और वही तो है जो अपने बन्दों की तौबा क़ुबूल करता है और गुनाहों को माफ़ करता है और तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह जानता है (25)
और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करते रहे उनकी (दुआ) क़़ुबूल
करता है फज़ल व क़रम से उनको बढ़ कर देता है और काफ़िरों के लिए सख़्त अज़ाब
है (26)
और अगर ख़ुदा ने अपने बन्दों की रोज़ी में फराख़ी कर दे तो वह लोग
ज़रूर (रूए) ज़मीन से सरकशी करने लगें मगर वह तो बाक़दरे मुनासिब जिसकी
रोज़ी (जितनी) चाहता है नाजि़ल करता है वह बेषक अपने बन्दों से ख़बरदार (और
उनको) देखता है (27)
और वही तो है जो लोगों के नाउम्मीद हो जाने के बाद मेंह बरसाता है और
अपनी रहमत (बारिश की बरकतों) को फैला देता है और वही कारसाज़ (और) हम्द व
सना के लायक़ है (28)
और उसी की (क़ु़दरत की) निशानियों में से सारे आसमान व ज़मीन का पैदा
करना और उन जानदारों का भी जो उसने आसमान व ज़मीन में फैला रखे हैं और जब
चाहे उनके जमा कर लेने पर (भी) क़ादिर है (29)
और जो मुसीबत तुम पर पड़ती है वह तुम्हारे अपने ही हाथों की करतूत से और (उस पर भी) वह बहुत कुछ माफ़ कर देता है (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 जून 2024
क्या उन लोगों के (बनाए हुए) ऐसे शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए ऐसा दीन मुक़र्रर किया है जिसकी ख़़ुदा ने इजाज़त नहीं दी और अगर फ़ैसले (के दिन) का वायदा न होता तो उनमें यक़ीनी अब तक फैसला हो चुका होता और ज़ालिमों के वास्ते ज़रूर दर्दनाक अज़ाब है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)