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22 मई 2024

जेन स्थल की ज़मीन विवाद में एस डी एम पर तो दोष मंड दिया , लेकिन पत्रावली की सूक्ष्म जांच भी ज़रूरी है , पुलिस इमदाद में कितने जवान मांगे , कितने गए , पुलिस उप अधीक्षक को भेजे पत्र में उन्होंने क्या ज़िम्मेदारी निभाई , अतिरिक्त पुलिस बल का खर्च पक्षकार से जमा करवाने और हालात बिगाड़ने के प्रयास पर फौजदारी मुक़दमा दर्ज भी होना चाहिए ,

जेन स्थल की ज़मीन विवाद में एस डी एम पर तो दोष मंड दिया , लेकिन पत्रावली की सूक्ष्म जांच भी ज़रूरी है , पुलिस इमदाद में कितने जवान मांगे , कितने गए , पुलिस उप अधीक्षक को भेजे पत्र में उन्होंने क्या ज़िम्मेदारी निभाई , अतिरिक्त पुलिस बल का खर्च पक्षकार से जमा करवाने और हालात बिगाड़ने के प्रयास पर फौजदारी मुक़दमा दर्ज भी होना चाहिए ,,
कोटा 22 मई कोटा जवाहर नगर थानाक्षेत्र स्थिति जेन धर्म स्थल ,,सामजिक स्थल की बाउंड्री तोड़ कर ज़मीन क़ब्ज़ाने के मामले में प्रशासनिक जांच पूरी हो गई है , इसमें पूरी तोर पर एस डी एम मनीषा तिवारी को दोषी माना है , लेकिन ताज्जुब है इतनी गंभीर गलती के बावजूद भी उनपर किसका हाथ है , जो उन्हें अभी तक ऐ पी ओ या निलंबित नहीं किया गया है , ,खेर यह जांच तो इस गंभीर भूमि विवाद में मुंग में सफेदी के बराबर है , अभी तो इस जांच में और परतें खुलना बाक़ी है ,,, जिला प्रशासन ने ना जाने क्यों इस मामले में जांच का सीमित दायरा सिर्फ पुलिस इमदाद की तहरीर तक ही रखा , जबकि उक्त पत्रावली का प्रत्येक आदेश चीख़ चीख ,, अनियमितता ,, चुप्पी, अव्यवहारिक , अविधिक आदेश की दास्तान कह रहा है , नगर विकास न्यास का रिकॉर्ड भी खंगालना होगा , नगर निगम , न्यास की क़िस्म भूमि उसका बदलाव देखना होगा , सीमांकन , सहित कई ऐसे मुद्दे है , जिनकी जांच ,, और परस्पर कुछ मामलों में चुप्पी के मुद्दों को भी खंगालना होगा ,, पूरी पत्रावली का पोस्टमार्टम , सम्पूर्ण दस्तावेज के साथ अगर हुए , घटनाक्रम के वक़्त ,के सभी लोगों , अधिकारीयों के मोबाइलों की कॉल डिटेल अगर वॉइस रिकॉर्डिंग के साथ निकलवाई गई , तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ,, एक ख़ास पहलु तो प्रशासनिक जांच में छोड़ दिया गया , इधर जवाहर नगर थाना क्षेत्र में जब पुलिस इमदाद की चिट्ठी सीधे पुलिस उप अधीक्षक महोदय को भेजी गई , तो फिर थानाधिकारी को निलंबित किस अनियमितता की वजह से किया गया, बात समझ के बाहर है , ,, ,जबकि पुलिस इमदाद का नियम बना हुआ है , कितने पुलिस जवान चाहिए , सेल अमीन की रिपोर्ट किया है , झगड़ा होने की कहाँ संभावना है , और जितने भी पुलिस जवान , अधिकारी की डिमांड की जाती है , उसी हिसाब से पुलिस कल्याण कोष में , उनकी राशि जमा कराना होती है , वोह कितने जवानों की पुलिस इमदाद की राशि जमा हुई , बिना राशि के कितने पुलिस जवान गए , पुलिस अधीक्षक कोटा नगर , पुलिस महानिदेशक कोटा रेंज के लिए भी अब यह जांच ज़रूरी हो गई है , के जिस पक्षकार ने वहां पुलिस इमदाद मांगी थी , उसके द्वारा मांगे गए पुलिस जाब्ते के अलावा .. कितने पुलिस कर्मी ज़्यादा गए, और फिर पुरे जाब्ता को भेजना पढ़ा, तो हालात जिसकी वजह से भी बिगड़े , पुलिस को अतिरिक्त बल भेजना पढ़ा , शहर के हालात बिगड़ने की सम्भावनाये रहीं , तो फिर पुलिस यूँ ही थानाधिकारी पर ज़िम्मेदारी डाल कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती , वरिष्ठ अधिकारी क्या कर रहे थे , जाब्ता अगर अतिरिक्त गया ,, डिमांड से अधिक जाब्ता गया , जितने जवानों के रूपये जमा हुए उससे ज़्यादा अगर पुलिस जवान अधिकारी गए तो सभी की उपस्थिति के रूपये हिसाब बनाकर , संबंधित पक्षकार से समुचित राशि पुलिस कल्याण कोष में जमा करवाना ज़रूरी है , और एक अवैध आदेश जो प्राथमिक जांच में साबित हो गया है , उस आदेश की पालना के वक़्त , जो भी बावेला हुआ , समुदाय को भड़काने का प्रयास किया , शहर के ला ऐंड ऑर्डर को बिगड़ने का प्रयास किया ,, हालात बिगाड़े गए, ऐसे में , ज़िम्मेदार पक्षकार , ज़िम्मेदार अधिकारी के खिलाफ ,, संबंधित धाराओं में फौजदारी मुक़दमा दर्ज होकर , कार्यवाही भी होना ज़रूरी है , क्योंकि पुलिस के पास हर व्यवस्था की विडिओ रिकॉर्डिंग है , उक्त लापरवाही , मनमानी , से पुलिस के कई अनुसंधान और दूसरे ज़रूरी काम प्रभावित हुए है , ,ऐसे में पुलिस को अब सख्त क़दम उठाना ही चाहिए , मुख्यमंत्री शिर भजन लाल जी को , इस मामले को गंभीर क़दम उठाते हुए , पूरी पत्रावली , और बाद के हालातों और घटना के दिन और इसके पूर्व एक सप्ताह के संबंधित पक्षकारों के मोबाइल फोन की कॉल रिकॉर्डिंग भी निकलवाकर जांच का हिस्सा बनाना चाहिए , पूरी पत्रावली में जो नाले , तलाई की क़िस्म बदली गई है , उसकी गंभीरता और क़ानूनी स्थिति को देखकर दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही करना ज़रूरी है ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

 

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