और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी)
क़ब्रों से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे
(51)
और (हैरान होकर) कहेगें हाए अफसोस हम तो पहले सो रहे थे हमें ख़्वाबगाह
से किसने उठाया (जवाब आएगा) कि ये वही (क़यामत का) दिन है जिसका खु़दा ने
(भी) वायदा किया था (52)
और पैग़म्बरों ने भी सच कहा था (क़यामत तो) बस एक सख़्त चिंघाड़ होगी
फिर एका एकी ये लोग सब के सब हमारे हुजू़र में हाजि़र किए जाएँगे (53)
फिर आज (क़यामत के दिन) किसी शख़्स पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम
लोगों को तो उसी का बदला दिया जाएगा जो तुम लोग (दुनिया में) किया करते थे
(54)
बेहश्त के रहने वाले आज (रोजे़ क़यामत) एक न एक मशग़ले में जी बहला रहे हैं (55)
वह अपनी बीवियों के साथ (ठन्डी) छाँव में तकिया लगाए तख़्तों पर (चैन से) बैठे हुए हैं (56)
बहिश्त में उनके लिए (ताज़ा) मेवे (तैयार) हैं और जो वह चाहें उनके लिए (हाजि़र) है (57)
मेहरबान परवरदिगार की तरफ से सलाम का पैग़ाम आएगा (58)
और (एक आवाज़ आएगी कि) ऐ गुनाहगारों तुम लोग (इनसे) अलग हो जाओ (59)
ऐ आदम की औलाद क्या मैंने तुम्हारे पास ये हुक्म नहीं भेजा था कि
(ख़बरदार) शैतान की परसतिश न करना वह यक़ीनी तुम्हारा खुल्लम खुल्ला दुश्मन
है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अप्रैल 2024
और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी) क़ब्रों से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे
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